राष्ट्रबोध विषय पर अंतरराष्ट्रीय काव्य गोष्ठी

अखिल भारतीय साहित्य परिषद गुरुग्राम इकाई ने किया आयोजन
“हिंदी है तन मेरा हिंदी है मन मेरा
हिंदी है धन मेरा हिंदी जीवन मेरा
हिंदी मेरी भारत माता हिंदी वंदन मेरा।”

गुरुग्राम, 26 जनवरी – कलम के कबीर, विचार के प्रस्तोता, राष्ट्रीय चेतना के ध्वजावाहक सारस्वत मोहन मनीषी की अध्यक्षता में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् गुरुग्राम इकाई द्वारा आभासी पटल के माध्यम से ‘राष्ट्रबोध’ विषय पर गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या पर अन्तरराष्ट्रीय काव्य संन्ध्या का आयोजन किया गया। इस काव्य संध्या में मुख्य अतिथि श्री अनूप भार्गव अमेरिका से, सारस्वत अतिथि प्रो. आनंद शर्मा बल्गारिया से एवं सुश्री रेखा राजवंशी ऑस्ट्रेलिया से जुड़े थे।

कार्यक्रम में पधारे अतिथिगण का स्वागत करते हुए गुरुग्राम इकाई की अध्यक्ष प्रो. कुमुद शर्मा ने स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के परिप्रेक्ष्य में कहा कि आज के लेखक या कवि के कुछ राष्ट्रीय दायित्व हैं। आज भी देशभक्ति से ओतप्रोत कविताएँ विदेशों में रहने वाले भारतवंशियों की कविताओं मे उतनी ही शिद्दत से देखने को मिलती हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ सुप्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती वीणा अग्रवाल की भावपूर्ण वाणी वन्दना से हुआ।

गुरुग्राम इकाई की महामंत्री सुश्री मोनिका शर्मा ने कार्यक्रम का सुंदर एवं सुष्ठु संचालन किया। ऑस्ट्रेलिया से कवयित्री रेखा राजवंशी ने अपनी रचना के माध्यम से तिरंगे को नतमस्तक होकर प्रणाम करते हुए कहा-

“तिरंगा शान भारत की तिरंगा आन भारत की” देशप्रेम से ओतप्रोत उनकी कविताएँ दिल को छू लेने वाली थीं। प्रो.आनंदवर्धन शर्मा की “याद आया गाँव याद आया बचपन” रचना व अन्य सभी रचनाएँ अनुपम थीं। मुख्य अतिथि श्री अनूप की कविता
“जाने सूरज जलता क्यूं है इतनी आग उगलता क्यूं है।” सुनाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। गुरुग्राम इकाई उपाध्यक्ष श्री त्रिलोक कौशिक ने विशिष्ट कवि की भूमिका में कहा

” रोशनी से पूछो उदास क्यूं है क्या उसने फिर से किसी ग्रहण लगे सूरज को देख लिया है ” को सभी ने बहुत पसंद किया ।इनके अलावा श्री राजपाल यादव, श्री नरेन्द्र शर्मा, श्रीमती वीणा अग्रवाल, डॉ. मनोज तिवारी, श्रीमती सविता स्याल, श्रीमती सुशीला यादव, श्री हरेंद्र यादव, डॉ मीनाक्षी पाण्डेय और संचालिका सुश्री मोनिका शर्मा आदि ने भी काव्यपाठ किया ।

अन्त में कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो.सारस्वत मोहन मनीषी (प्रान्तीय अध्यक्ष )ने कहा गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या अपूर्व और अद्भुत संध्या बन गई है। उनके उत्कृष्ट काव्यपाठ ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। ऐसा अविस्मरणीय समाँ बंधा कि श्रोता सुनने ही रह गए। ” हिन्दी है तन मेरा हिन्दी है मन मेरा और “एक आँख रानी एक आँख पानी” सुनाते हुए अपने आशीर्वचनों के साथ इस सुंदर और अविस्मरणीय शाम का समापन किया।

इस सारस्वत आयोजन में परिषद के मार्गदर्शक डॉ. शिवकुमार खंडेलवाल व डॉ. पूर्णमल गौड़, प्रांतीय उपाध्यक्ष श्री रामधन शर्मा, प्रांतीय महामंत्री डॉ योगेश वासिष्ठ, संगठन मन्त्री डॉ. मनोज भारत, रेवाड़ी इकाई अध्यक्ष श्रीमती श्रुति शर्मा व महामंत्री गोपाल शर्मा, दर्शना शर्मा, सोनीपत इकाई संयोजिका डॉ. गीतांजलि ग्रोवर, नारनौल इकाई से डॉ पंकज गौड़, श्रीमती कृष्णा आर्या, गुरुग्राम से विदु कालरा, सुरेंद्र मनचंदा, कान्ता अग्रवाल, डॉ चेतना पाण्डेय, अलका गुलाटी, मोहिनी झा, प्रदीप तिवारी, विदिशा अग्रवाल, सविता जैमिनी, सुनील कुमार, सुनीता सिंह, अंशु यादव, अदिति ओझा, कमलेश दीवान, देवी दयाल, मेहजबीन अंसारी, अरविंद कुमार शुक्ला आदि शामिल थे।

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