चरखी दादरी जयवीर फोगाट

24 जनवरी,जिला की प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन संबंधित स्कूल वेलफेयर एण्ड डेवपलपेंट एशोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल द्वारा ने आज जिला उपायुक्त कार्यालय में तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। जिला प्रधान सुरेश सांगवान, प्रीतम फौगाट, विक्रम फौगाट, मुन्ना लाल, नवीन श्योराण, कपिल जैन, संजय कुमार, अजीत सिंह, योगेंद्र सिंह, राजेन्द्र राणा आदि निजी विद्यालयों के संचालकों द्वारा वर्ल्ड बैंक आदि संस्थाओं द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्टों का हवाला देते हुए प्रदेश सरकार के समक्ष विद्यालयों को खोलने की मांग उठाई। प्रतिनिधि मंडल ने अपने ज्ञापन में बताया कि एक जनवरी से स्कूलों को बंद करने के निर्णय से न तो बच्चे, न अभिभावक, न अध्यापक और न ही स्कूल संचालक संतुष्ट हैं। कारण बहुत स्पष्ट हैं। बच्चों की पढ़ाई का पहले बहत नुक्सान हो चूका है, इससे आगे उनकी कक्षाएं न लगवाना उनके साथ घोर अन्याय होगा।

ऑनलाइन पढाई के नुक्सान पर पहले ही बहुत कुछ लिखा जा चूका है। अब वल्ड बैंक और युनीसेफ जैसी इंटिनेशनल संस्थाओं ने भी स्पष्ट तौर पर कहा है कि स्कूलों को बंद रखने का कोई आधार नहीं है। वर्ल्ड बैंक की एक टीम ने कोरोना के शिक्षा पर असर का अध्यर्थन किया है। का कहना है, ‘स्कूल खोलने से संक्रमण में तेजी आने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। कई देशो में स्कूल बंद होने के बावजदू कोरोना संक्रमण की कई लहरें आई हैं। उनका कहना है कि स्कूल खोलने के लिए सभी बच्चों को टीका गने का तर्क भी गलत और अव्यवहारिक है, संक्रमण के नई लहर के दौरान भी आखिरी उपाय के तौर पर ऐसा कदम उठाया जाना चाहिए।

स्कूल खोले रखने से बच्चों में संक्रमण का जोखिम बहुत कम होता है, लेकिन इसकी तुलना में बच्चों की शिक्षा को लेकर होने वाला नुकसान अधिक होता है। कोरोना काल की शुरुआत के दौरान दुनिया भर में प्रतिबंधों का दौर शुरू हुआ। उस समय स्कूलों को बंद करना इसमें शामिल था। अब महामारी के दो साल बाद दुनिया भर में सरकारें ज्यादा परिपक्व फैसले कर सकती हैं। पिछले दो साल के दौरान भारत में स्कूल बंद होने से 10 साल तक के 70 फीसदी बच्चों की सीखने की क्षमता पर असर पड़ा है। इसे लनिर पावर्टी कहा जाता है। इसमें 10 साल तक के बच्चों को सामान्य वाक्यों को भी पढ़ने और लिखने में मुश्किले आती है। यूनीसेफ के दिसंबर, 2021 में जारी रिपोटि के अनुसार दनिया भर में लगभग 100 से अधिक देशो में स्कूल खुल गए हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और जापान में हए शोध के अनुसार स्कूल खोलने से संक्रमण
फैलाव पर बहुत कम असर पड़ता है। मैक्सिको, फिलीपींस जैसे कुछ ही देश है जिन्होंने ओमिकान संक्रमण की लहर के दौरान स्कूलों को बंद किया है।

कोरोना काल के दौरान स्कूल बंद होने से दुनिया भर में लगभग 30 करोड़ बच्चे प्रभावित हुए थे। स्कूल बंद होने के क्रम से बच्चों की पढ़ाई पर बहुत अधिक असर पड़ता है। एक अनुमान के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था को इससे आने वाले समय में लगभग 30 लाख करोड़ रुपए का घाटा होने की आशंका है। जब लॉकडाउन था, तब स्थिति अलग थी। लेकिन जब स्कूलों को छोड़ अन्य सभी कुछ खुला है तो बच्चे घर पर रहकर सुरक्षित कैसे हैं पेरेंट्स ही अपने बच्चों को वायरस से संक्रमित कर सकते है। गली में खलेते हुए एक दुसरे से संक्रमित हो सकते हैं। वो बाहर जाने से या किसी गेस्ट के पर आने से संक्रमित हो सकते हैं। और अब तो 15 से 18 वर्ष के बच्चों को काफी संख्या में वैक्सीन भी लग पकी है। इन दो वर्षों में हए पढाई के नुकसान ने हमारे बच्चों को दस वर्ष पीछे धकेल दिया है। वर्ल्ड बैंक और एक्सपर्ट्स की इस रिपोर्ट व अन्य तथ्यों से स्पष्ट है कि स्कूलों को बंद करके हम अपने बच्चों को सिर्फ अंधकारमय भविष्य की तरफ धकेल रहे हैं। शिक्षण संस्थाओं को खोलने की मांग को लेकर प्रदेश भर में बड़े स्तर पर हो रहे धरने प्रदर्शन भी आपकी नजरो से छिपे नहीं हैं। और इस बार ये मांग स्कूलों की नहीं, प्रदेश के बच्चों और अभिभावकों की तरफ से है। स्कूलों के बंद रहने से होने वाले नुकसान को अब बच्चे और अभिभावक समझ चुके हैं और इसलिए स्कूल खोलने की मांग दिन प्रतिदिन जोर पकड़ती जा रही है। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आपसे अनुरोध है कि स्कूल जल्द से जल्द खोले जाएँ।

शिक्षण संस्थानों को खुलवाने की मांग को लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों ने बाढड़ा में किया प्रदर्शन।

कोरोना के कारण बीते काफी समय से शिक्षण संस्थान बंद होने के कारण संस्था संचालकों व अभिभावकों मे रोष बना हुआ है। इसी को लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों ने सोमवार को बाढड़ा के चौधरी छोटूराम किसान भवन में एकत्रित होकर रोष जताया। उसके बाद शहर में प्रदर्शन किया व बाढड़ा के क्रातिकारी चौक पर पहुंचकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। बाद में प्रदर्शनकािरयों ने बाढड़ा एसडीएम डा. संजय सिंह को सीएम के नाम ज्ञापन सौंपकर जल्द शिक्षण संस्थानों को खोलने की मांग की।

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