संघी कभी भी राष्ट्र भक्त व देश के लिए कुर्बानी देने वाली जमात में शामिल नही रहे : विद्रोही

दो जगह शहीदों के सम्मान के लिए ज्योति जलाने के लिए पैसा नही, इससे अधिक शहीद सैनिकों व देश के साथ क्रूर मजाक और क्या हो सकता है? : विद्रोही

22 जनवरी 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने विगत 50 वर्षो से भारतीय जाबांज शहीद सैनिकों व 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेनाओं की शानदार विजय पर वीर सैनिकों का देशवासियों की ओर से आभार जताने के लिए इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति लो को बुझाने के मोदी-भाजपा-संघी सरकार के  तुगलकी व सैनिक शौर्य विरोधी फैसले की कठोर आलोचना करते इसे सैनिक इतिहास के साथ ऐसी छेडछाड बताया जिस पर आने वाली पीढिया संघीयों को कभी माफ नही करेगी।

विद्रोही ने कहा कि संघी कभी भी राष्ट्र भक्त व देश के लिए कुर्बानी देने वाली जमात में शामिल नही रहे। आजादी आंदोलन में संघी अंग्रेजो के मुखबिर, दलाल बनकर आजादी आंदोलन के दिवाने स्वतत्रंता सेनानियों के विरूद्ध अंग्रेजी हुकूमत से मिलकर षडयंत्र रचते थे और अब आजादी के 75 साल बाद भी संघी स्वतत्रंता सेनानियों व शहीद सैनिकों को अपमानित करने का लगातार पाप करके अपने पूर्व पापों को छिपाने खातिर सत्ता दुरूपयोग से इतिहास को बदलने के षडयंत्र में सलिप्त है। विगत 50 वर्षो से इंडिया गेट पर शहीद सैनिकों की याद, सम्मान में जल रही अमर जवान ज्योति का वर्ष 2019 में बनाये गए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लो में कथित रूप से मर्ज के नाम पर बुझाना शहीद सैनिकों का घोर अपमान व इतिहास को मिटाने का ऐसा जघन्य अपराध है जिसे किसी भी हालत में न तो देश की जनता माफ करेगी और न ही इतिहास माफ करेगा।

विद्रोही ने कहा कि भारत-पाकिस्तान युद्ध में  भारत की सेना की शानदार जीत के बाद उस समय की प्रधानमंत्रीेे इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकडे करके बंगलादेश नाम से नया देश बनाने का रास्ता साफ किया, वहीं 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों से हथियार डलवाकर दुनिया के सैनिक इतिहास में ऐसा अमिट इतिहास बनाया जिसकी न तो कोई मिसाल है और न ही भविष्य में ऐसा इतिहास बनने कोई संभावना। ऐसे गौरवपूर्ण क्षणों व शहीद सैनिकों को सम्मान देने ही 1971 में 50 साल पूर्व इंदिरा गांधी जी ने इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की लो प्रज्जल्लित की जो लगातार 50 सालों से जल रही थी। पर इतिहास बदलने को आतुर आज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र तुगलक मोदी ने उस अमर जवान ज्योति की लो को बुझाकर  भारत के सैनिक इतिहास में व जाबांज शहीद सैनिकों का ऐसा अक्ष्मय जघन्य अपराध किया है जिसे कभी भी माफ नही किया जा सकता। 

विद्रोही ने कहा कि मोदी-संघी सरकार का यह तर्क बेमानी है कि दो जगह शहीदों की याद में ज्योति जलाना व्यवहारिक नही और इससे व्यर्थ का खर्च बढता है। आश्चर्य है कि जो प्रधानमंत्री दस लाख का सूट, डेढ़ करोड़ का चश्मा, 2 करोड़ की घडी पहनना हो और अपनी सुविधा के लिए 8500 करोड रूपये का हवाई जहाज, 12 करोड़ की गाडी खरीदता हो, उसकी सरकार के लिए दो जगह शहीदों के सम्मान के लिए ज्योति जलाने के लिए पैसा नही, इससे अधिक शहीद सैनिकों व देश के साथ क्रूर मजाक और क्या हो सकता है? वहीं संघी सत्ता के दलाल जिस तरह इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति लो को बुझाकर उसका राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लो से कथित मर्ज करने की वकालत कर रहे है, वह भी बेशर्मी, अनैतिकता व सरकारी चाटुकारिता की पराकाष्ठा हैै।

विद्रोही ने देश के 140 करोड लोगों से आग्रह किया कि वे देश की रक्षा, सम्मान के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले देश के जाबांज शहीदों, वीर सैनिकों का मोदी-संघी सरकार द्वारा किये गए अपमान व इतिहास के साथ किये जा खिलवाड को कभी नही भूले और वोट की चोट से इस संघी सरकार को ऐसा करारा सबक सिखाये कि अंग्रेजों के दलाल, मुखबिर रहे संघीयों की आने वाली सौ  पीढिया भी शहीद सैनिकों व जाबांज भारतीय सैनिकों व इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने का कभी भविष्य में दुस्साहस भी न कर सके। 

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