आजादी के वीर सेनानियों का बच्चों को ज्ञान कराना जरूरी: सुधीर सिंगला

-विधायक ने भारत के 75 वीर स्वतंत्रता सेनानी पुस्तक का किया लोकार्पण
-सुरुचि परिवार द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव पर पुस्तक प्रकाशित

गुरुग्राम। प्रमुख स्वाधीनता सेनानियों को तो हम जानते हैं। बहुत से ऐसे वीर स्वतंत्रता सेनानियों ने भी देश के लिये अपना बलिदान दिया, लेकिन वे गुमनाम हो गए। उनके बारे में बच्चों को जानकारी देना जरूरी है, ताकि हमारी पीढिय़ां उनके भी बलिदान को याद रखें। यह बात गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला ने रविवार को अपने कार्यालय में आजादी के अमृत महोत्सव पर प्रकाशित पुस्तक भारत के वीर 75 स्वतंत्रता सेनानी का लोकार्पण करते हुए कही।

इस पुस्तक को सुरुचि परिवार द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव पर तैयार करके लोकार्पित किया गया है। बच्चों तक जानकारी पहुंचाने के लिए चुने हुए 75 पुष्प इस पुस्तक में संग्रहित किए गए हैं। इस अवसर पर विधायक सुधीर सिंगला ने सुरुचि परिवार को इस बेहतरीन और देशभक्ति से ओत-प्रोत रचना के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि साहित्यकार समाज का दर्पण होता है। उसे सामाजिक सरोकारों को अपनी रचनाओं में शामिल करना चाहिए। एक सकारात्मक सोच के साथ काम करते हुए समाज में मार्गदर्शक बनना चाहिए। उन्होंने गुरुग्राम के सुरुचि साहित्य परिवार के प्रयासों को सराहते हुए कहा कि संस्था ने अपने गठन के उद्देश्य को सदैव पूरा किया है। संस्था से जुड़ा हर साहित्यकार समाज में अपनी महत्ती भूमिका निभा रहा है।

सुरुचि परिवार के महासचिव मदन साहनी ने कहा कि मन की बात में प्रधानमंत्री ने कहा था कि क्यों न आजादी के अमृत महोत्सव पर 75 सेनानियों की पुस्तक प्रकाशित की जाए। उन्हीं से प्रेरणा लेकर सुरुचि परिवार ने इस पुस्तक के प्रकाशन का निर्णय लिया, जो आज साकार हुआ है। संस्था के अध्यक्ष डॉ. धनीराम अग्रवाल ने कहा कि इस पुस्तक में तथ्यों को पूरी प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुत किया गया है। इस श्रम साध्य कार्य के लिये सभी लेखक बधाई के पात्र हैं। पुस्तक में जहां देश के अग्रणी स्वाधीनता सिपाही महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, वल्लभ भाई पटेल, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह के योगदान पर लेख हैं, वहीं कुछ ऐसे भी सिपाही हैं, जिनके बारे में नवागत पीढ़ी तक जानकारी पहुंचनी चाहिए। उन सभी आजादी के दीवानों को नमन है। पुस्तक में देश के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त लेखों को सम्मिलित किया गया है। इसमें कुल 54 लेखकों ने सहभागिता की है। सम्पादन मदन साहनी ने, जबकि सह-सम्पादन अनिल श्रीवास्तव, नरोत्तम शर्मा ने किया है। रविन्द्र सिंह यादव का सराहनीय योगदान है।

पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में घमंडीलाल अग्रवाल, सुधीर त्रिपुरारी, वीणा अग्रवाल, त्रिलोक कौशिक, कपूर सिंह दलाल, कुलदीप शर्मा, नरेन्द्र खामोश, रजनेश त्यागी, आरएस पसरीचा, सुनील पुजारी, सरिता शर्मा, नरोत्तम शर्मा, रविन्द्र यादव, प्रचार सचिव अनिल श्रीवास्तव, आशा डाटा, हरीन्द्र यादव, लाडो कटारिया, विजेंदर सिंह ठाकरान, लेखराज सिंह उपस्थित थे।

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