त्याग और वीरता की मिसाल थे गुरु गोबिंद सिंह – राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय

*गुरु गोबिंद सिंह के जीवन से प्रेरणा लेकर देश के लिए बलिदान और त्याग के लिए हम रहें तत्पर – राज्यपाल* 

गुरुग्राम, 9 जनवरी।* हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने आज कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह त्याग और वीरता की मिसाल थे, जिन्होने अन्याय और धर्म एवं अत्याचार और दमन के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर हमें अपने देश के लिए त्याग  और बलिदान के लिए तैयार रहना चाहिए।

राज्यपाल रविवार को गुरु गोबिन्द सिंह के प्रकाश पर्व पर गुरुग्राम के डीएलएफ़ गोल्फ़ कोर्स क्लब में आयोजित गुरबाणी तथा सम्मान समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने गुरु गोबिन्द सिंह जी के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके चरणों में अपना शीश नवाया और प्रदेशवासियों को प्रकाश पर्व  की बधाई भी दी। गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें गुरु थे। राज्यपाल ने गुरु गोबिन्द सिंह के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला और बताया कि उन्होंने कभी भी राज सत्ता प्राप्ति, धन संपदा, ज़मीन या यश प्राप्ति के लिए लड़ाईयाँ नहीं लड़ीं। उनकी लड़ाई अन्याय और धर्म एवं अत्याचार  और और दमन के ख़िलाफ़ होती थी। गुरु गोबिन्द सिंह जी ने समूचे राष्ट्र के उत्थान के लिए संघर्ष के साथ साथ निर्माण का रास्ता अपनाया। उनकी तीन पीढ़ियों ने देश के लिए महान बलिदान दिया।

राज्यपाल श्री दत्तात्रेय ने कहा कि उन्होंने गुरु गोबिन्द सिंह जी की जीवनी पढ़ी है, वे संस्कृत, पंजाबी, पारसी, अरबी और उर्दू भाषाओं का ज्ञान रखते थे और वे बहुत अच्छे संगीतकार भी थे जिनकी वाणी से लाखों लोग प्रभावित होते थे। गुरु गोबिन्द सिंह ने ही खालसा पंथ की स्थापना की थी। हालाँकि गुरु गोबिंद सिंह शांति के पक्षधर थे लेकिन धर्म की रक्षा के लिए यदि ज़रूरत हो तो हम तलवार भी उठा सकते हैं,  यह संदेश उन्होंने दिया । धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोबिन्द सिंह ने अपने पूरे परिवार का एक एक करके बलिदान कर दिया था । उनका त्याग, तपस्या और बलिदान हमारी विरासत है, जिसे हमें आगे लेकर जाना है। वे हिन्दु, मुस्लिम, पारसी में भेद नहीं करते थे। आज समूचा भारतवर्ष आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, जिसमें गुरु गोबिंद सिंह जी जैसे वीरों की गाथाओं को पब्लिक के सामने लाया जाएगा ।

इस मौक़े पर राज्यपाल ने समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित भी किया। इनमें से कोविड काल में 4000 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करवाने वाले शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक पद्मश्री जितेंद्र सिंह शंटी भी शामिल थे। जितेन्द्र सिंह ने अपने अनुभव भी सभी के साथ साँझे किए और बताया कि उस समय जब परिवार वाले भी अपने परिजनों को पहचानने से इनकार कर रहे थे, ऐसे समय में उन्होंने अपनी टीम को साथ लेकर  लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करवाया, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति ने पद्म श्री से सम्मानित किया है। उन्होंने बताया कि पिछले 25 वर्षों में सेवादल 56,000 से ज़्यादा शवों का अंतिम संस्कार करवा चुका है। इनके अलावा प्रगट सिंह गोताखोर को सम्मानित किया गया, जो अपनी तैराकी से 13 हज़ार लोगों की जान बचा चुके हैं। राज्यपाल ने  झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को नृत्य सिखाने वाली मिस राबिया हारा, जिन्हें मिस टीन अर्थ के टाइटल से नवाज़ा जा चुका है, के अलावा दक्षिण एशिया में हज़ारों बच्चों को शिक्षा देने वाले फ़ादर टॉमस कुरियाकोस, कोविड समय में ऑक्सिजन लंगर लगाकर डेढ़ लाख से ज़्यादा लोगों को फ़्री ओकसीजन उपलब्ध करवाने वाले हेमकुंठ फ़ाउंडेशन से इरिंदर सिंह आहलुवालिया, फ़ेडरेशन ओफ़ इंडीयन इंडस्ट्री के महानिदेशक दीपक जैन को ग़रीबों को फ़्री चिकित्सा सुविधा दिलवाने के लिए राज्यपाल ने सम्मानित किया । सरदार हरभजन सिंह ने राज्यपाल का स्वागत किया जबकि क्लब के अध्यक्ष एमपी सिंह ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया ।

इस कार्यक्रम से पहले राज्यपाल श्री दत्तात्रेय डीएलएफ़ फ़ेज़-एक के एच ब्लॉक स्थित गुरुद्वारा भी गए जहाँ पर उन्होंने गुरू ग्रंथ साहिब के सामने मत्था टेका। दोनो जगहों पर सरोपा भेंट कर राज्यपाल का सम्मान किया गया। 

इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार जसपाल सिंह चड्ढा , न्यू कॉलोनी गुरुद्वारा से अजीतपाल सिंह पसरीचा सहित ज़िला प्रशासन के अधिकारिगण उपस्थित थे ।

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