हमारे पूर्वजों ने ही गणित को समूचे विश्व से साझा किया

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम। 
गणित भारत की प्राचीन विरासत है और हमारे पूर्वजों ने ही इसे समूचे विश्व से साझा किया। शून्य को एक संख्या के रूप में भारतीय गणितज्ञों ने ही अध्ययन में प्रयोग किया। उक्त बातें कनाडा रिसर्च चेयर प्रोफेसर सुजाता रामदोराई ने राजकीय महाविद्यालय सेक्टर 9 के गणित विभाग के अंतर्गत कार्यरत रामानुजन मैथेमैटिक्स सोसाइटी द्वारा आयोजित गणितोत्सव 2021 कार्यक्रम में विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कही।

महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की 134वीं जयंती के उपलक्ष्य में गणित के क्षेत्र में भारत का योगदान विषय पर ज़ूम क्लाउड मीटिंग एप्प पर आयोजित इस व्याख्यान  में रामानुजन के योगदान का ज़िक्र करते हुए  कहा कि अपरिमेय संख्याओं का विस्तार बिना किसी तकनीकी उपकरण और औपचारिक शिक्षा के बिना 11 दशमलव संख्या तक उन्होंने ही किया था। ज्ञात हो महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती को प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस ऑनलाइन कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सत्यमन्यु यादव ने की।

विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं स्वयं रसायन शास्त्र का विद्यार्थी रहा हूँ किन्तु गणित ही समस्त विज्ञान की जननी है। अपने उद्बोधन में सफल कार्यक्रम का श्रेय विद्यार्थियों और सहकर्मियो को देते हुए कार्यक्रम संयोजक रोहित शर्मा ने कहा कि यह विद्यार्थियों द्वारा, विद्यार्थियों का और विद्यार्थियों के लिए आयोजित कार्यक्रम है। साथ ही उन्होंने अपने सहकर्मी विजयवीर, निशा यादव, सोमी देवी, मोहिता शर्मा आदि की मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की। कार्यक्रम का मंच संचालन छात्रा नम्रता, चंचल ने किया तो वहीं वर्षा, मोनिका, दिपिन, हितेश,अरुण साक्षी, काजल आदि विद्यार्थियों ने भी व्यवस्थाओं में सहयोग किया।

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