भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र आरंभ हुआ। जैसे कि आशा थी कि सत्र पूर्णरूप से हंगामेदार रहा। दोपहर दो बजे सत्र आरंभ हुआ। पहले सीडीएस विपिन रावत और अन्य सैन्य शहीदों एवं अन्य हरियाणा के दिवंगत लोगों को दो मिनट का रख श्रद्धांजलि दी गई।

सत्र आरंभ होते ही अभय सिंह चौटाला ने किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरा और मुख्यमंत्री से किसान बिल पारित करने के लिए मांफी मांगने को कहा। उसके बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसान मुद्दे पर सरकार को घेरा। शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दी और यूनिवर्सिटी के अमेंडमेंट बिल का विरोध किया।किसान आंदोलन के अतिरिक्त जनता की मांगों पर किरण चौधरी और नीरज शर्मा आदि ने सरकार को घेरा।

विधायक जोगीराम सिहाग ने भी कहा कि पिछले सत्र में कहे हुए काम भी पूरे नहीं हुए। और तो और सत्तापक्ष के विधायक सत्यप्रकाश जरावता ने किसानों के भूमि अधिग्रहण के भुगतान संबंधी एवं सरकार द्वारा किसानों को पुराने रेट पर पेमेंट और उनको दिए हुए प्लॉटों की नए रेट पर देने के प्रश्न भी उठाए। 

विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता से विधायक किरण चौधरी और विधायक गीता भुक्कल का वाद-विवाद भी हुआ। कुल मिलाकर सरकार बैकफुट पर नजर आई, जिसका प्रमाण यह है कि प्रश्नकाल में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री सदन से चले गए।

किसान आंदोलन कहने को तो समाप्त हो गया है लेकिन अगर गंभीर दृष्टि डालें तो लगेगा कि यह अभी समाप्त नहीं हुआ है। किसान नेता राजू मान का कहना है कि वह टोल टैक्स नहीं देंगे। इसी प्रकार दादरी के विधायक सोमबीर सांगवान ने नीतियां बनाने के लिए दो तारीख को मीटिंग बुला रखी है। और वर्तमान में भाजपा-जजपा सरकार किसानों के मसले पर बैकफुट पर है और इसी का लाभ विपक्ष पूर्ण रूप से उठा रहा है। अब मैं यदि यह कहूं कि जब सरकार यह कह रही थी कि यह आंदोलन किसानों का नहीं है, कांग्रेस और विपक्ष के कुछ लोग यह काम कर रहे हैं तब लगता था कि शायद विपक्ष के लोग भी आंदोलन में शामिल हैं लेकिन जिस प्रकार आंदोलन चला और प्रधानमंत्री को तीनों कानून वापिस लेने पड़े, इससे यह प्रमाणित हो गया कि यह आंदोलन विपक्ष द्वारा प्रायोजित कतई नहीं था, किसान खुद आंदोलनरत थे लेकिन अब जरूर यह लग रहा है कि विपक्ष चाहे उसमें अभय चौटाला हों या फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा, किसानों का सबसे बड़ा हमदर्द खुद को दर्शाना चाहते हैं। अब आने वाले समय में किसानों के वोट उन्हें मिल जाएंगे। और तो और महम के विधायक बलराज कुंडू भी अब किसानों के हमदर्द के रूप में फिर खड़े हो गए हैं, जबकि आरंभ में वह किसानों के साथ थे। जब उन पर आइटी की रेड पड़ी थी, उसके बाद उन्होंने आंदोलनरत किसानों के तंबू तक उखड़वा लिए। फिर जो व्यक्ति राजनीति में हैं, वे समाज की हर घटना पर राजनीति तो करेंगे ही। चाहे वह सत्तापक्ष हो, विपक्ष हो या फिर निर्दलीय हों।

आज के सदन की कार्यवाही को देखकर ऐसा लगता है कि शेष बचे तीन दिन भी सरकार पर भारी पड़ेंगे। आज उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह मंत्रीमंडल का विस्तार शीघ्र चाहते हैं। अब दो साल और मंत्रीमंडल का विस्तार नहीं हुआ। हमारे विधायक नाराज हो सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि हमने अपने कोटे के मंत्री का नाम मुख्यमंत्री को दे दिया है और मुख्यमंत्री से यह भी दर्खास्त करेंगे कि बोर्ड और निगमों के चेयरमैन भी साथ ही बना दिए जाएं। इस समय में इस प्रकार की बातें गठबंधन सरकार को बैकफुट पर ही धकेलेंगी।वर्तमान परिस्थितियों में यह सत्र सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक तो किसान आंदोलन दूसरे प्रदेश के लगभग हर क्षेत्र के कर्मचारी परेशान हैं। रोजगार में भ्रष्टाचार का मुद्दा सरकार की फजीहत करा रहा है। इसके साथ ही अन्य क्षेत्रों के भ्रष्टाचार भी सामने आने लगे हैं।

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