बैंक से नगदी लेनदेन करने वाले उपभोक्ताओं को हुई परेशानी.
हड़ताल के दूसरे दिन शुक्रवार को प्राइवेट बैंक भी हुए शामिल

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम ।
 केंद्र सरकार के द्वारा राष्ट्रीय कृत बैंक को के निजीकरण किए जाने के खिलाफ दूसरे दिन शुक्रवार को भी जिला मुख्यालय गुरुग्राम से लेकर सोहना, तावडू, पटौदी, फरुखनगर व अन्य स्थानों पर सभी सरकारी बैंकों पर ताले लटके रहे ।

विभिन्न बैंकों के द्वारा बैंक के बाहर 16 और 17 दिसंबर को 2 दिन की हड़ताल के पहले से ही नोटिस चस्पा कर दिए गए थे । एलडीएम पीआर गोदारा के मुताबिक करीब एक दर्जन राष्ट्रीय कृत बैंक स्टाफ के द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में हड़ताल करते हुए कामकाज बंद रखा गया। उन्होंने बताया की सबसे अधिक जो परेशानी हुई वह बैंकों में नगद कैश जमा करवाने वाले , नगदी निकल वाले वाले , विभिन्न प्रकार के लोन संबंधित मामलों को लेकर ही उपभोक्ताओं के सामने पेश आई है। उन्होंने बताया कि सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक ने बैंकों की इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल से अपने आपको अलग रखा और विभिन्न प्राइवेट तथा सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक में सामान्य दिनों की तरह कामकाज होता रहा। वहीं सूत्रों की मानें तो बैंकों के निजीकरण के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल में हड़ताल के दूसरे दिन शुक्रवार को एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, यस बैंक और सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक की कुछ शाखाओं के द्वारा भी हड़ताल के समर्थन में कामकाज बंद रखा गया।

राहत की बात यही रही कि अपनी जरूरत और दिनचर्या के खर्चे के लिए उपभोक्ताओं के सामने नकदी प्राप्त करने के लिए एटीएम खुले रहे । अधिकांश एटीएम में पर्याप्त मात्रा में नकदी की व्यवस्था की गई।  जिससे कि उपभोक्ताओं को पैसे के लिए परेशान नहीं होना पड़े। वहीं दूसरी ओर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत के द्वारा भी बैंकों के निजीकरण को पूरी तरह से गलत बताते हुए हड़ताल का समर्थन किया गया और उनके द्वारा पुरजोर तरीके से मांग की गई कि सरकार, सरकारी बैंकों का निजी करण बैंक कर्मचारियों सहित उपभोक्ताओं के हित को ध्यान में रखते हुए नहीं करें।

इस प्रकार के कोई भी आंकड़े उपलब्ध नहीं हो सके हैं कि 2 दिन की सभी राष्ट्रीय कृत बैंकों की हड़ताल में कितना लेन देन अथवा टर्नओवर प्रभावित हुआ होगा। जानकारों के मुताबिक इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि करीब 1 दर्जन से अधिक राष्ट्रीय कृत बैंकों की हड़ताल के कारण करोड़ों रुपए का लेन देन प्रभावित हुआ होगा । वही ऐसे उपभोक्ताओं को भी परेशानी झेलनी पड़ी होगी जिनको अपना सामान मंगवाने अथवा खरीदने के लिए विक्रेता पार्टी के पास बैंक के माध्यम से ही भुगतान करने का विकल्प होता है । बहरहाल अब देखना यह है कि निजीकरण के खिलाफ राष्ट्रीय कृत बैंकों की 2 दिन की हड़ताल के बाद केंद्र सरकार और केंद्रीय वित्त मंत्रालय भविष्य में इस प्रकार की हड़ताल नहीं हो , क्या कुछ रणनीति अपनाता है । या फिर विभिन्न बैंक यूनियनों के साथ बातचीत कर मांगों के समाधान की पहल की जा सकती है।

error: Content is protected !!