कत्थक नृत्यांगना शोवना नारायण की प्रस्तुति से सजी गीता महोत्सव की संध्या

मीता पंडित ने भी ‘राम नाम रस भीजे मनवा’ भजन गाते हुए गीता महोत्सव की संध्या को अध्यात्म से किया रोशन।

गुरुग्राम 14 दिसंबर। गुरुग्राम के सेक्टर 44 स्थित अपैरल हाउस में गीता जयंती महोत्सव के अवसर पर आयोजित की गई सांस्कृतिक संध्या का जिलावासियों ने जमकर लुत्फ उठाया। कत्थक नृत्यांगना शोवना नारायण की प्रस्तुति ने जहां गीता महोत्सव की संध्या को अपनी कला से रोशन कर दिया, वही मीता पंडित के भजन ‘राम नाम रस भीजे मनवा’ की धुन ने लोगों के अंतर्मन में स्थान बनाया ।

गीता जयंती महोत्सव के दौरान 13 दिसंबर को देर सांय सेक्टर 44 स्थित अपैरल हाउस में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर विश्व विख्यात कथक कलाकार तथा पदमश्री से सम्मानित शोवना नारायण ने प्रख्यात कवि रामधारी सिंह दिनकर के ‘रश्मिरथी’ पर आधारित कथक नृत्य प्रस्तुत किया।’रश्मिरथी’ कर्ण के जबरदस्त और उदास जीवन पर केंद्रित है । इस प्रस्तुति में उन्होंने कर्ण के जीवन के अलग-अलग अध्यायों का उल्लेख किया कि कर्ण त्याग, बलिदान, पालन-पोषण का प्रतीक थे, उनके जन्म से लेकर मृत्यु तक के सफर का उल्लेख किया गया। इस प्रस्तुति की कोरियोग्राफी शोवना नारायण, महेश पवार, शैलजा नलवडे द्वारा की गई थी जबकि नृत्य निर्देशन पदमश्री शोवना नारायण द्वारा किया गया । इस नृत्य को पांच अलग-अलग दृश्यों में विभाजित करते हुए कर्ण के जीवन को दर्शाया गया था। इस प्रस्तुति को उपस्थित दर्शकों ने खूब सराहा और जमकर तालियां बजाई।

गीता जयंती महोत्सव के अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत भजन गायिका श्रीमती मीता पंडित ने भगवान राम, मंगल भैरव तथा मीरा व भगवान कृष्ण पर आधारित भजन प्रस्तुत करते हुए पूरे वातावरण को भक्तिमय कर दिया। उनका भजन ‘राम नाम रस भीजे मनवा’ को उपस्थित दर्शकों ने अत्यधिक पसंद किया और झूमने पर मजबूर कर दिया। इनकी इस आकर्षक प्रस्तुति में सहयोगी कलाकार अभिषेक मिश्र ने तबला, सुमित मिश्र ने हारमोनियम तथा तानपुरा पर आमना त्यागी ने सहयोग दिया।

इस अवसर पर गुरुग्राम की मेयर श्रीमती मधु आजाद ने अपने विचार रखते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में ज्ञान और धर्म एक साथ चलते हैं, जो हमें आपस में मिल जुल कर रहना सिखाते हैं। गीता में कर्म करने के साथ-साथ आचरण, ज्ञान व आस्था के उचित संतुलन की बात कही गई है। भारतीय परंपरा में इन सभी के संतुलन के साथ जीवन में निरंतर कर्म करने के लिए प्रेरित किया गया है। चरैवति-चरैवति की परंपरा में अपने विवेक के साथ आगे बढऩे का श्रेष्ठ ज्ञान भारतीय धर्म-संस्कृति में ही निहित है। गीता के ज्ञान में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यही ज्ञान दिया कि उठ और युद्ध कर। आज हर किसी के अंतर्मन में कुरुक्षेत्र है और मन की दुविधा को कैसे दूर करना है, इस बात का जिक्र गीता में मिलता है।

उन्होंने कहा कि जिस काम के लिए जो बना है उसे अपना श्रेष्ठï देते हुए कर्म करना चाहिए। जीवन में बड़ा ध्येय रखते हुए हमें किसी स्तर पर रूकना नहीं चाहिए। गीता जयंती महोत्सव के जरिए कर्म पर फोकस करने की सीख मिलती है, अगर कर्म अच्छा होगा तो स्वाभाविक है कि परिणाम भी अच्छा मिलेगा।

इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा, नगराधीश सिद्धार्थ दहिया सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित है।

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