गुरुग्राम, 13 दिसम्बर – आप ज़रा कल्पना कीजिए कि नर्सिंग या मेडिकल का कोई अप्रशिक्षित छात्र यदि अस्पताल में भर्ती आपके परिवार के रोगी का इलाज कर प्रैक्टिकल ज्ञान हासिल करे।

लेकिन कुछ साल पहले तक यह वास्तविकता थी कि भविष्य के डॉक्टर और नर्स अस्पताल जाकर रोगियों पर सीधे प्रयोग कर प्रैक्टिकल ज्ञान प्राप्त करते थे।

हालाँकि अब समय बदल चुका है और डॉक्टरों तथा नर्सों के प्रशिक्षण के लिए सिमुलेशन लैब विकसित हो चुके हैं।

एसजीटी विश्वविद्यालय, गुरुग्राम में एशिया का पहला नेशनल रेफरेंस सिमुलेशन सेंटर (सिमुलेशन लैब) स्थापित हो चुका है जहाँ देशभर से नर्सिंग फैकल्टी प्रशिक्षण के लिए आते हैं।

सिमुलेशन लैब की कार्यवाहक निदेशक सुश्री अनु ग्रोवर ने बताया कि यह सिमुलेशन लैब नर्सिंग कौंसिल ऑफ इंडिया (आईएनसी) के सहयोग से 2018 में स्थापित हुआ। इसके लिए एसजीटी विश्वविद्यालय का आईएनसी, जपाइगो (जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध गैर-लाभकारी संस्था जो अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए कार्य करती है) और लारडल (नार्वे की कंपनी जो हेल्थकेयर के लिए उत्पाद और कार्यक्रम तैयार करती है) से एक समझौता हुआ।

एसजीटी मेडिकल इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (एसजीटी विश्वविद्यालय) की चौथी मंजिल पर सी ब्लॉक में स्थित है यह सिमुलेशन सेंटर। इस सेंटर में जाने पर एक अत्याधुनिक हेल्थ केयर सेंटर का अहसास होता है जो क्रिटिकल केयर य़ूनिट, ट्रॉमा और इमरजेंसी यूनिट, बाल चिकित्सा वार्ड, स्त्री रोग तथा प्रसूति वार्ड से लैस है।

हालाँकि रोगी के बेड पर रोगी के बदले पुतले होते हैं लेकिन बावजूद इसके ऐसा लगता है कि वे पुतले रोगी की तरह प्रतिक्रिया देते हैं और डॉक्टरों और नर्सों को उनके सवालों का जवाब देते हैं।

यह अलग बात है कि वे रिमोट से संचालित होते हैं जिन्हें ट्रेंड प्रोफेशनल एक अलग कक्ष से संचालित करते हैं।

रोगी के रूप में बेड पर लेटे इन पुतलों से मेडिसिन और नर्सिंग के छात्र ब्लड प्रेशर मापना, इंजेक्शन देना और ट्रॉमा इमरजेंसी के दौरान इलाज करना सीख सकते हैं।

स्त्री रोग और प्रसूति वार्ड में छात्र-छात्राएँ “गर्भवती” पुतलों से सीख सकते हैं कि बच्चे की डिलीवरी के समय किस तरह की इलाज देने की जरूरत होती है । ये पुलते इलाज के दौरान मानवीय प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं।

सुश्री अनु ग्रोवर ने बताया कि सिमुलेशन मेडिकल की पढ़ाई का एक तरीका है। महंगे उपकरण न होने पर भी इसके माध्यम से इलाज करना सीखा जा सकता। ट्रेनी डॉक्टर या नर्स सिमुलेशन के माध्यम से वर्चुअल माहौल में वास्तविक रोगी के इलाज का अनुभव प्राप्त करते हैं। शुरुआती दौर में सिमुलेशन का प्रयोग एयरलाइंस में किया जाता था लेकिन बाद में इसका प्रयोग मेडिकल और नर्सिंग के क्षेत्र में बढ़ता गया। अब नर्सिंग कौंसिल ऑफ इंडिया ने इसके प्रयोग को आवश्यक बना दिया है।

उन्होंने बताया कि नर्सिंग और मेडिकल के छात्र-छात्राओं से यह उम्मीद की जाती है कि वे सबसे पहले वे पुस्तकों, लेक्चर, ऑडियो-वीडियो मीडिया और अन्य माध्यमों से ज्ञान प्राप्त करें। उसके बाद मेडिकल क्षेत्र में अपनाई जाने वाली तमाम तकनीकों का प्रयोग कर अपनी दक्षता का निरंतर विकास करें। सिमुलेशन एक ऐसी तकनीक है जहाँ ट्रेनी डॉक्टरों और नर्सों को ‘’पुतलों के रोगी’’ के माध्यम से वास्तविक रोगी के इलाज का अनुभव मिलता है। सिमुलेशन तकनीक से इलाज का बड़ा लाभ यह होता है कि छात्र-छात्राएँ यहाँ सीख कर वास्तविक रोगी के साथ होने वाली गलतियों से बच जाते हैं क्योकि सिमुलेशन में वे अपनी ही गलतियों से सीखते हैं।

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