जीना मरना अटल है ,बिमारी का इलाज हो सकता है मगर मृत्यु का नही : गीता मनीषी ज्ञानानन्द महाराज

पत्रकार संजय   व विधायक दैनश  के पीए  की माता दिंवगत  सत्या भुटानी  की शोक सभा  में  पहुँचे सैकड़ों लोगों ने उन्हे श्रद्वा के सुमन अर्पित किए  ,धार्मिक ,सामाजिक ,पत्रकार सगठनों व राजनीति दलों के प्रतिनिधि पहुँचे 

हांसी ,2 दिसम्बर । मनमोहन शर्मा

सुख दुख अटल है ,वैज्ञानिकों हर क्षेत्र में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं मगर अभी तक जीव मृत्यु  मामले में कुछ नही कर सका । मरना जीना सब ईश्वर के हाथ है । कोविड़ समय विज्ञान  धरा रह गया ,  वे समझ नही पा सका कि उसका आकार  कैसे है  ।यह बात गीता मनीषी स्वामी ज्ञानान्द महराज जी  ने हांसी के  वरिष्ट पत्रकार व  एमएलए के पीए संजय भुटानी व दैनश भुटानी की माता शिक्षका सत्या भुटानी  की शोक सभा में कही ।

उन्होने  कहा कि सृष्टि के  नियमों में कोई सिफारिश नही चल सकती है वे तो  निश्चित है जो आया है उसके दिन जाना है । उसमें किसी नही चलती है  । स्वामी जी  अपने प्रवचनों में  महिष व्यास व रावण जैसे विद्वानों  ने भी अपनी यात्रा करने के बाद जाना पड़ा ।  इन्सान खाली हाथ आता है और खाली हाथ जाता है उसके साथ जीवन में किए गए अच्छे संस्कारों ,संत्सग ,धर्म आचरण  व लोगों की गई भलाई ही साथ में जाती है । जीवन में हमें अच्छे कार्य करने चाहिए जिस प्रकार सत्या भुटानी के पुत्र संजय ,दैनश व सुधीर अपनी माता के बताए रास्ते पर चलकर समाज  की सेवा में जूटे हुए हैं ।इस मौके पर  अवतार पराशर , कमलेश गर्ग ,अशोक  कनोजिया ,जगदीश भाटिया ,दुन्नी चन्द्र ,कृष्ण लुथरा ,पत्रकार दैवन्द्र उप्पल ,पवन राठी ,मेहन्द्र सपड़ा ,राजेश  सलूजा ,एडवोकेट पवन शर्मा ,श्याम मुखिजा , प्रदीप शर्मा , राजेश ठकराल ,सतपाल रवाण्डेवाला ,सतीश महता , डाक्टर अविनाश चावला  ,सुभाष गिरधर ,विजय ,सजीव सलूजा  ,विजय जैन ,कृष्ण यादव ,राहुल मक्कड़ ,राजीव शर्मा ,विनोद सैनी  ,जसवन्त वासुदेव , धर्मवीर रेतरियां  ,राकेश भाटिया ,अशोक ढालिया ,अशोक ठकराल  के अलावा शहर की धार्मिक ,सामाजिक व राजनीति दलों के लोगों ने उन्हे श्रद्धा के समुन सत्या भुटानी को अर्पित किए । इस सभा में कई वे छात्र आए जिन्होने सत्या भुटानी से  प्राईमरी शिक्षा  लेकर अलग अलग क्षेत्रों में हांसी का नाम रोशन कर रहे है ।

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द ने कहा  कि   बिमारी का ईलाज हो सकता है मगर मृत्यु का इलाज नही हो सकता है । वे अटल है एक दिन उसे जाना ही   है  । हकीम लुकेबान  का नाम बड़ा प्रसिद्ध था वे अपने पुत्र को मरने से बचा नही सके ।कोविड़ काल में लोग आक्सीजन के लिए दड़फते रहे मगर तिजोरी रुपयों से भरी रही  वे उसमें काम नही आई  ।  जीव जो आया उसे जाना  पक्का है  ।स्वः सत्या भुटानी  की प्रार्थना सभा में आए परिजन ,दोस्तों   ने उन्हे इस दुःख घड़ी में पहुँचकर  सवेदना व्यक्त की है । सभी लोग अरदास लगाए कि दिंवगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें ।उन्होने कहा कि चरणजीत भुटानी परिवार से पिछलें 27/28 वर्षों सें जुड़ाव है I वे सभी संगत भाव से  नेक कामों में लगे हुए है ।कोई जीव साथ में कुछ नही ले जाता हैं साथ जाता है उसके किए अच्छे काम । बाकी सभी यही रहे जाता है । केवल प्रभु का नाम साथ में जाता  हैं ।   

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