वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र :- योगासन और दिनचर्या में आहार-विहार की आदत बदल कर शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है। मंगलवार को श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय और हरियाणा योग आयोग द्वारा श्रीकृष्णा राजकीय महाविद्यालय एवं अस्पताल में लगे तीन दिवसीय योग शिविर में मधुमेह के रोगियों को इसकी जानकारी विशेषज्ञ डॉक्टरों और योगाचार्य ने दी। इससे पहले विधिवत रूप से शिविर का शुभारंभ मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलसचिव नरेश भार्गव द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। कॉलेज के विद्यार्थियों ने भगवान धन्वंतरि की स्तुति वंदना गाई। शिविर के पहले दिन आए सभी मधुमेह रोगियों का वजन, बीपी और शुगर की जांच की गई। योगाचार्य योगेंद्र कुमार ने सूक्ष्म व्यायाम के बाद सरल योगासन और प्राणायाम करवाए। स्वस्थवृत विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सीमा रानी ने उपस्थित अतिथियों का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। श्रीकृष्णा राजकीय महाविद्यालय के प्रिंसिपल डॉ. देवेंद्र खुराना ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि योग और प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से मधुमेह का प्रबंधन सरलता से किया जा सकता है। योग को जीवन में अपनाने के बाद किसी प्रकार की दवाई भी रोगी को नहीं लेनी पड़ती है। यौगिक प्रक्रिया द्वारा हम अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं। शुगर को पूर्ण रूप से खत्म नहीं किया जा सकता। मगर ठीक आहार-विहार जीवन अपनाने से कंट्रोल जरूर कर सकते हैं। इस अवसर पर मुख्यातिथि आयुष विश्वविद्यालय के कुलसचिव नरेश भार्गव ने कहा कि हरियाणा योग आयोग दिन-रात योग को जन-जन तक पहुंचाने में लगा है। भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में लोगों की आस्था बढ़ रही है। कोरोना महामारी में ये बात साबित भी हो चुकी है। मधुमेह ऐसा रोग है जिसे योग, प्राणायाम और योग द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है। जो भी बंधु-भगिनी इस शिविर में आए हैं अगर इस शिविर से योग और आहार-विहार के नियमों को सिख कर जाएंगे और निरंतर अभ्यास करेंगे। निश्चित रूप से उनको इसका अवश्य लाभ मिलेगा। इस अवसर पर पंचकूला से हरियाणा योग आयोग के रजिस्ट्रार डॉ. हरीश, डायरेक्टर आयुष, डॉ. संगीता नेहरा, डॉ. सुरेंद्र सहरावत, डॉ. शितल सिंगला, डॉ. प्रियंका चौधरी व अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। Post navigation अपनी लंबित मांगों को पूरा किया जाने के लिए गरजे कर्मचारी कोरोना के बाद प्रदूषण की मार झेल रहा गुरुग्राम,कोरोना प्राकृतिक प्रकोप, प्रदूषण क्या सरकार का दोष?