भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। गुरुग्राम लंबे समय से प्रदूषण की मार झेल रहा है, जिसके कारण आम जनता की कार्य क्षमता का ह्वास हो रहा है। यूं तो सभी को प्रदूषण से बीमारी का खतरा है परंतु विशेष रूप से बुजुर्ग, दमा पीडि़त या अन्य बीमारियों से ग्रसित लोग तो जिंदगी से लडऩे की स्थिति में आ रहे हैं परंतु सरकार और प्रशासन इस ओर से पूर्णतया: उदासीन दिखाई देते हैं। अब जो सावधानी के लिए स्कूलों की छुट्टी, निर्माण कार्यों पर रोक, वाहनों को निर्देश आदि उपाय अपनाए जा रहे हैं, जोकि सुप्रीम कोर्ट के दबाव में अपनाए जा रहे हैं। प्रदूषण के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार वाहन, सफाई, निर्माण आदि बताए जाते हैं। इन सबके पीछे सरकार की सावधानियां दिखाई देती नहीं। सर्वप्रथम तो बात करें हरियाणा सरकार द्वारा गठित पर्यावरण संरक्षण विभाग हरियाणा के प्रमुख नवीन गोयल गुरुग्राम में ही रहते हैं। इस आपात स्थिति में भी उनकी ओर से कोई ब्यान आया नहीं। अभी चंद माह पहले बरसात में उनका दावा था कि हर जगह ग्रीन बैल्ट पर हमने पेड लगा दिए हैं परंतु वास्तविकता यह है कि ग्रीन बैल्ट पर गंदगी के ढ़ेर हैं, अवैध कब्जे हैं, कुछ ने तो वहां बोर्ड लगाकर पार्किंग भी बना रखी हैं। ऐसा माना नहीं जा सकता कि इसकी जानकारी पर्यावरण प्रमुख को नहीं हो, क्योंकि एक जगह तो हमें ज्ञात हैं जहां ग्रीन बैल्ट में पार्किंग बना रखी है, वह वहां किसी कार्यक्रम अतिथि के रूप में भी सम्मिलित हुए थे। खैर, अधिक लिखने की आवश्यकता नहीं, गुरुग्रामवासी स्वयं ही देख रहे हैं। कल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने भाजपा मंत्रियों, सांसदों, कार्यकर्ताओं की बड़ी बैठक ली, जिसमें उन्होंने आगामी कार्यक्रम भी बनाए, किंतु यहां के निवासी होते हुए भी उन्हें यहां के नागरिकों का और पर्यावरण का कोई विचार नहीं आता। अर्थात उन लोगों की नजर में यह साधारण बात है, जिस पर विचार करने की आवश्यकता नहीं। गुरुग्राम नगर निगम सफाई के लिए जिम्मेदार है और सफाई की जो हालत गुरुग्राम में दिखाई दे रही है, वह किसी से छिपी नहीं है। निगम के सफाई कर्मचारी धरना प्रदर्शन करते रहते हैं, आज भी किया। 10 जोन के ठेकेदारों में भी सफाई की पूर्ण शिकायतें आती रहती हैं कि क्षेत्र में गंदगियों का अंबार है, ट्रैक्टर-जेसीबी की कमियां दृष्टिगोचर होती रहती हैं। सबसे बड़ी सफाई की कंपनी इकोग्रीन के पास गुरुग्राम की सफाई का दायित्व है। वह कंपनी आरंभ से ही विवादों में रही है। निगम की सामान्य बैठक में सभी 35 के 35 पार्षद उसके विरूद्ध लामबंद हो चुके हैं लेकिन वह अपनी मर्जी से काम करते हैं। जब पार्षद ही संतुष्ट नहीं हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि उस क्षेत्र की जनता पार्षद को परेशान होकर शिकायत करती है। तात्पर्य यह कि अधिकांश गुरुग्रामवासी सफाई व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है। आज निगम की विज्ञप्ति द्वारा जानकारी प्राप्त हुई कि कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि हम जो कूड़ा खुद घरों से एकत्रित करते हैं, उसका निस्तारण करेंगे। उनका ही कहना था कि गुरुग्राम में जगह-जगह गंदगी के खत्ते बने हुए हैं, उनसे वह नहीं उठाएंगे। प्रश्न यह है कि उस कंपनी को ठेका कूड़ा निस्तारण का दिया है और उसे पैसा जितना कूड़ा वह ले जाएगा, उसके तोल के हिसाब से दिया जाएगा। फिर वह अन्य स्थानों से कूड़ा क्यों नहीं उठाता?दूसरा प्रश्न यह भी है कि उनका कहना है कि कुछ लोग दूसरे लोगों से कूड़ा उठवाते हैं। हमारी जानकारी में आया है कि कंपनी जिस घर से 21 रूपए लेती है कूड़ा उठाने के, उसी घर से निजी कूड़ा उठाने वाले सौ रूपए लेते हैं। और फिर भी जनता उन्हें सौ रूपए देकर खुश है तो जानने की आवश्यकता है कि इस महंगाई के जमाने में 21 रूपए की जगह सौ रूपए देकर जनता क्यों खुश है? गुरुग्राम का अधिकतर क्षेत्र निगम में आता है और जो यातायात अवरूद्ध होता है, या यूं कहें कि जब जाम लगते हैं तो सर्वाधिक वातावरण दूषित होता है और जाम लगने का कारण सड़कों पर अतिक्रमण है तो प्रश्न वही कि निगम बार-बार अतिक्रमण हटाने की मुहिम छेड़ता रहता है लेकिन चार दिन बाद स्थिति फिर वही हो जाती है। इसे क्या कहेंगे? क्या निगम को आंख बंद करने के नाम का नजराना मिल जाता है? निगम की इंजीनियरिंग विंग अधिकांश कार्यों के लिए जिम्मेदार है, जिनमें सड़क, सीवर, पानी सभी आ जाते हैं और उसकी स्थिति यही दिखाई देती है कि जो काम शुरू कर दिया जाता है, वह महीनों पूरा नहीं होता। सड़कें खुदी रहने से यातायात तो अवरूद्ध होता ही है, पर्यावरण की भी हानि होती है। ऐसी ही हालत गुरुग्राम के अन्य विभागों जैसे जीएमडीए, पीडब्ल्यूडी, हुडा आदि की भी है। गुरुग्राम में गुरुग्राम की समस्याओं का ध्यान रखने के लिए विधायक हैं। भाजपा का बड़ा संगठन है और अभी बरसात के मौसम में भाजपा संगठन और उसके नेताओं ने लाखों पेड लगाने के दावे किए थे गुरुग्राम को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए। यदि वह कार्य प्रचार के लिए किया गया था तो प्रचार तो कर दिया लेकिन यदि वास्तव में पर्यावरण शुद्धि के लिए गया था तो क्या भाजपा के पदाधिकारी वह पेड दिखा सकते हैं? विधायक के घर से दो सौ गज की दूरी पर ही कूड़े के खत्ते नजर आ जाएंगे। ऐसा ही कुछ अन्य पदाधिकारियों और भाजपा कार्यालय के आसपास देखा जा सकता है। ऐसे में सरकार और भाजपा से कितनी उम्मीद की जा सकती है? सरकार और भाजपा इसलिए कहा कि वर्तमान में यह पता लगाना मुश्किल है कि भाजपा का कौन कार्यकर्ता संगठन का है और कौन सरकार का, क्योंकि सरकार संगठन का काम कर रही है और संगठन सरकार का, जनता हताश, निराश। Post navigation मधुमेह प्रबंधन सीखने को तीन दिवसीय योग शिविर का हुआ शुभारम्भ। आरसीपीएसडीसी के अधिकारियों ने किया रबर-प्लास्टिक उद्योग का दौरा