प्रदेश प्रधान सैलजा अब पदाधिकारियों की संसोधित सूची भेजेंगी, ऐलनाबाद चुनाव में काम न करने वाले होंगे पदाधिकारियों की सूची से बाहर, दिज्गज नेताओं के जिलों की सूची को रोका जा सकता है, ऐलनाबाद चुनाव प्रचार में नेताओं के भाषण को भी बनाया जा रहा है आधार ईश्वर धामु ऐलनाबाद के उप-चुनाव ने हरियाणा कांग्रेस को हिला कर रख दिया है। कभी मुद्दों पर चिंतन और मंथन से दूर रहने वाली कांग्रेस को ऐलनाबाद उप-चुनाव में पार्टी प्रत्याशी पवन बेनीवाल की जमानत जब्त ने विचार करने पर मजबूर कर दिया। अब कांग्रेेस ऐलनाबाद में शर्मनाक हार के कारणोंं पर विचार करने लगी है। क्योकि कांग्रेस की प्रदेश प्रधान कुमारी सैलजा के लिए ऐलनाबाद का चुनाव एक चुनौती था। वें बड़ी इमानदारी से चुनाव प्रचार मेंं रम गई थी। कांग्रेस के एक दिज्गज नेता ने टिप्पणी की थी कि ऐलनाबाद का चुनाव तो अभय चौटाला बनाम कुमारी सैलजा का बन गया है। क्योकि कुमारी सैलजा ने अपने प्रत्याशी को जीताने के लिए घर-घर जाकर वोट मांगे थे। साथ ही वो अपने नेताओं पर भी पैनी नजरें रखी हुई थी। सैलजा की किचन कैबेनेट हार के कारणों का विशलेषण करने में जूट गई है। टीम जल्द ही अपनी रिपोर्ट कुमारी सैलजा को सौंप देगी और इसके बाद रिपोर्ट पर चिंतन और मंथन होगा। दूसरी ओर कुमारी सैलजा ने भी हालातों का विचार कर संगठन के पदाधिकारियों की सूची पर पुनर्विचार करना शुरू कर दिया है। ऐलनाबाद के चुनाव परिणाम ने कांग्रेस की संगठन सूची को भी प्रभावित किया है। कांग्रेस के उच्च सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश प्रधान कुमारी सैलजा ने उन नेताओं और प्रमुख कार्यकर्ताओं की एक लिस्ट बनाई है, जो ऐलनाबाद चुनाव में प्रचार के लिए नहीं पहुंचे थे। साथ ही जिन कांग्रेसियों के पूर्व में किए गए कामों को लेकर प्रदेश प्रधान ने उनके वफादारी के वायदें पर पद देने का आश्वासन दिया था, अब उन नामों पर भी पुन: विवेचन किया जा रहा है। कुमारी सैलजा के बदले तेवरों से लगाता है कि वें अब ऐलनाबाद में चुनाव प्रचार में न जानेवाले कार्यकर्ताओं को संगठन में कोई पद नहीं देगी। इतना ही नहीं पार्टी के जिन बड़़े नेताओं ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी थी, उनके द्वारा अपने कार्यकर्ताओं को पद देने के लिए भेजी गई संतुति सूची पर भी दोबारा विचार किया जायेगा। अब तो चर्चाकार यह भी बता रहे हैं कि जो नेता चुनाव प्रचार में गए थे, उनके प्रचार के तरीकों और उनके भाषणों की रिकाडिंग को सुना जायेगा। बताया गया है कि कुमारी सैलजा ने दिल्ली दरबार को भेजी गई संगठन पदाधिकारियों की सूची को जारी होने से रूकवा दिया है। बताया गया था कि पार्टी आलाकमान हरियाणा के पदाधिकारियों की सूची ऐलनाबाद चुनाव के बाद जारी करना चाहती थी। परन्तु बदले हालातों में उस सूची की सामयिकता पर प्रश्र चिंह लग गया है। ऐेसे में अब प्रदेश प्रधान कुमारी सैलजा आलाकमान को नई संसोधित सूची देंगी। इस सूची का आधार ऐलनाबाद के उप-चुनाव को बनाया गया है। बताया तो यह भी जा रहा है कि पार्टी संगठन में आपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं और समर्थकों को पद दिलवाने के लिए जो सूची विपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, किरण चौधरी, कुलदीप बिश्रोई, कैप्टन अजय यादव, रणदीप सिंह सुरजेवाला ने दी हुई थी, उन पर भी कुमारी सैलजा फिर से विचार कर नामों में कांट-छांट कर सकती है? राजनैतिक चर्चाकारों से यह भी जानकारी मिली है कि सैलजा की किचन कैबेनेट में भी विचार का मुद्दा बना है कि भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, किरण चौधरी जैसे दिज्गज नेताओं के जिलों को छोड़ कर बाकि जिलों के पदाधिकारियों की सूची जारी करवा दी जाए। इस विचार पर गम्भीरता से चर्चा चल रही बताते हैं। अगर सैलजा की किचन कैबेनेट का इस बारे विचार बनता है तो पश्चात कुमारी सैलजा आलाकमान के सामने यह प्रस्ताव रख सकती हैं। संगठन पदाधिकारियों की सूची को फाइनल करने के बारे में कुमारी सैलजा जो भी निर्णय लें पर आने वाले समय में हरियाणा कांग्रेस में बड़ा बदलाव अवश्य सम्भव है। क्योकि कुमारी सैलजा को उसके सलाहकार यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि उसे वर्तमान घेरे से बाहर निकल कर अपने आप को साबित करना होगा। वरना उनका भी हश्र पूर्व प्रदेश प्रधान अशोक तंवर जैसा हो जायेगा। इसलिए अपने को हरियाणा की राजनीति में अपने को स्थापित करने और संगठन में अपना जनाधार बनाने के लिए वर्तमान के राजनैतिक घेरे को तोडऩा होगा। सैलजा से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि प्रदेश प्रधान को प्रादेशिक नेताओं के दबाव से बाहर निकलना होगा। तभी वें वर्तमान की राजनैतिक धारणाओं को तोड़ पायेंगी। Post navigation हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ‘गोपाष्टमी’ के शुभ अवसर पर पिंजौर के ‘कामधेनु गौशाला सेवा सदन’ पहुंचे भारत को भीख में नहीं बल्कि अनगिनत कुर्बानियों व बरसों के संघर्ष से मिली है आजादी – हुड्डा