तरविंदर सैनी (माईकल ) 

आम आदमी पार्टी नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर कल गुरुग्राम शहर में पूर्वांचल के सबसे बड़े छठ पर्व की शुभकामनाएं देने पधार रहे हैं  जिसको लेकर खूब प्रचार प्रसार किया जा रहा है  तथा प्रशासन भी बड़ी मुस्तैदी से भाजपा पूर्वांचल प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों को अपने साथ लेकर  सभी पूजन स्थलों पर स्ट्रीट लाइट ,मूवेबल टॉयलेट , पानी टैंकरों के साथ पुलिस की सुरक्षा सुविधाएं मुहैया कराने में जुटा हुआ है  जो एक अच्छी पहल हो सकती है  परन्तु  एक हाथ से रोजगार छीनकर दूसरे हाथ से शुभकामनाएं देना  जले पर नमक छिड़कने जैसा प्रतित हो रहा है !

नोकरियों में स्थानीय युवाओं को 75% हिस्सेदारी सुनिश्चित करने वाले (आरक्षण ) कानून के नोटिफिकेशन को शनिवार स्वतः ही जारी कर  मुख्यमंत्री जी कल जिनके रोजगार छिनेगा यह कानून  उन्हीं लोगों के बीच बडी ही बेशर्मी के साथ शुभकामनाएं देने पधारने वाले हैं  जब्कि उन्हें अच्छे से ज्ञात है कि कोई भी व्यक्ति काम, धंधे, रोजगार के लिए ही प्रवास करता है , अपने घर का त्याग करता है  और पूर्वांचलियों ने भी अपने बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने उनके ठीक से लालन पालन करने के लिए ही अपना घर दर छोड़ा था  और यहां रहकर काम सीखकर अपनी मेहनत और लगन से कामयाबी हांसिल की और शहरों के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान देकर आज गुरुग्राम जैसे शहर को विश्वस्तरीय पहचान दिलायी , अपना खून पसीना कारखानों की भट्टी में जलाकर  बड़ी-बड़ी इमारतों के निर्माण में बहाकर शहर को विकसित शहर बनाने में मदद करने के साथ प्रदेश के राजकोष में भी बढ़ोतरी का कारण बने तथा यहाँ के माहौल में ढलने के साथ अपनी सांस्कृतिक परंपराओं के रँग भी बिखेरे , सरकार के निर्माण में भी अपनी अहम भूमिका निभाई मगर मिला क्या बाहरी होने का दाग ? खैर ….

ताज्जुब की बात तो यह है कि खट्टर सरकार द्वारा थोपे गए इस कानून के पक्ष में न तो कॉरपोरेट घराने और ना ही श्रमिक संगठन हैं ना मजदूर वर्ग और ना ही उद्योग जगत है क्योंकि 75% आरक्षण प्रदान करने वाले कानून का शुरुआत से ही विरोध दर्ज कराते आ रहे उद्योगिक सँगठन  सरकार को पलायन करने तक की मजबूरी जाहिर कर चुके है मगर सरकार सुनने को तैयार नहीं , उद्योगपति समूह का मानना है कि अनस्किल्ड वर्कर्स से उनकी प्रोडक्शन प्रभावित होगी और वेस्टेज से उनका नुकसान बढ़ेगा  जिससे बचने के लिए उन्हें यहां से जाना पड़ेगा मगर सरकार है कि दबाकर तेल निकालने से बाज ही नहीं आ रही है जबरन अपने अपरिपक्व कानून बना थोपे जा रही है जो हर प्रकार से असहनीय पीड़ा पहुंचाने वाले हैं , उन्होंने तो इस कानून से भविष्य में किसी नए उद्योग को भी यहां पर स्थापित होने के लिए शंका जाहिर की है  जो अपने आप मे गंभीर स्तिथि की ओर सोचने पर मजबूर करती है ।

पूर्व में कोविड की पहली लहर के चलते लगाए गए लोकडाउन में भुगती अमानवीय व्यवहार यातनाएँ और पडताड़ना का दंश प्रवासी भारतीयों से अभी भुलाया भी नहीं गया था कि सरकार ने लोकल्स के लिए 75% रोजगार कानून बना दिया जिसके कारण सबसे अधिक पूर्वांचल के लोग ही प्रभावित होंगें  सर्वज्ञात है परन्तु अपनी छवि सुधारने के लिए  यूँ कहें कि क्षतिपूर्ति करने के उद्देश्य से और पूर्वांचलियों को अपना वोटर बनाए रखने की मंशा से  कल इन्हें ही शुभकामनाएं देने आ रहे हैं मुख्यमंत्री महोदय ।।

 वाह री नीच राजनीति तू नीचे क्या गिरी , उठने का नाम ही नहीं ले रही ?