Category: साहित्य

मेरी यादें जालंधर कीं ……… ये तेरे प्यार की जादूगरी, छोटे बन जाते बड़े : अशोक गर्ग

-कमलेश भारतीय यह अशोक गर्ग भी कमाल का आदमी है, इसमें ऐसी जादूगरी है कि समाज के छोटे तबके के लोगों को अपने प्यार से बड़े बना देता है !…

रक्तदान को समर्पित : डाॅ युद्धवीर ख्यालिया

कमलेश भारतीय मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ, जिसे अपने और अपनी बेटियों के लिए बड़े बड़े अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़े। कभी बड़ी बेटी रश्मि के लिए न केवल रोहतक…

मेरी यादों में जालंधर …….. हिसार की बेटी, जिम्मेदार अधिकारी

कमलेश भारतीय कमलेश! आपके शहर की लड़की वर्षा है जिसने प्रतियोगी परीक्षा एचपीएससी में टाॅप किया है । आज ही उसे ढूंढ़ कर तुरंत इंटरव्यू भेजो‌ ! एक शाम चंडीगढ़…

मेरी यादों में जालंधर …………. आईएएस हो तो ऐसी संवेदनशील : दीप्ति उमाशंकर

कमलेश भारतीय हिसार में मैं सन् 1997 में आया था , पहली जुलाई से ! तब नहीं जानता था कि इस हिसार में कैसे पत्रकारिता में पांव जमा पाऊंगा !…

मेरी यादों में जालंधर ……… जीना इसी का नाम है : अनिल राव

कमलेश भारतीय क्या आपको सन् 1995 में डबवाली में हुए भयंकर अग्निकांड की याद है ? किसी और को याद हो या न हो एक शख्श है जिसे यह अग्निकांड…

साहित्य से दोस्ती : विकास नारायण राय

कमलेश भारतीय आज एक ऐसे व्यक्तित्व को याद करने जा रहा हूँ, जिन्होंने अपने दम पर ‘ साहित्य से दोस्ती’ जैसी मुहिम चलाई ।इसी के अंतर्गत कभी ‘ प्रेमचंद से…

मेरी यादों में जालंधर ……. आम लोग के दर्द को बयान करतीं कविताएँ

कमलेश भारतीय आपको एक थोड़ी हंसी मज़ाक की बात बताता हूँ, भारतीय जी ! जी हाँ, बताइये । जब पंचकूला में हरियाणा के शिक्षा विभाग के लिए ‘ शिक्षा सदन…

मेरी यादों में जालंधर – भाग बत्तीस ……… आईएएस का साहित्य में योगदान क्यों नहीं नहीं मानते हो रहा है कि…

कमलेश भारतीय क्या आप कमलेश भारतीय हैं?मैं हरियाणा सचिवालय की वीआईपी लिफ्ट के सामने खड़ा था और एक सभ्य, सभ्रांत सी महिला मुझसे यह सवाल कर रही थीं ! मैं…

मेरी यादों में जालंधर – भाग बत्तीस ……… आईएएस होने के बावजूद साहित्य में रूचि…..

कमलेश भारतीय यादें आ रही हैं, बेतरतीब और बेहिसाब ! सबकी अपनी अपनी यादें होती हैं और यादों से मिलते हैं संदेश ! जो जीवन भर की कमाई कही जा…

मेरी यादों में जालंधर – भाग इकतीस …….भगत सिंह और पाश से जुड़ने के दिन

कमलेश भारतीय चंडीगढ़ के मित्रों के नाम या उनका काम, स्वभाव बताते संकोच नहीं हुआ । इतने दिन में दो बार बड़े भाई जैसे मित्र फूल चंद मानव का कहीं…

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