कमलेश भारतीय

पहले पहल जयपुर साहित्योत्सव की धूम थी और दूर दराज से लेखक इसमें विचार चर्चा के लिए आमंत्रित किये जाते । ‌अब हाल ही में दिल्ली के प्रगति मैदान में पुस्तक मेला संपन्न हुआ है और बेशक इस पर किसान आंदोलन का साया भी थोड़ा पड़ा लेकिन नये से नये लेखक वहाँ दूरदराज से पहुंचे और अपनी पसंद की किताबें खरीदीं । ‌किताबों की बात तो फूलों की तरह छिड़ी ही रहनी चाहिए । फिर छिड़ी बात बात, फूलों की, फिर छिड़ी बात बात किताबों की, साहित्य की ।

अब कुल्लू में 28 फरवरी से तीन दिवसीय साहित्योत्सव होने जा रहा है । अभी तक तो हिमाचल के शिमला में ही साहित्योत्सव होता आया है, यह पहली बार है कि कुल्लू के किशन श्रीमान् हिमतरु प्रकाशन समिति और भाषा विभाग के तत्त्वाधान में तीन दिवसीय साहित्योत्सव आयोजित करने का साहस जुटाया है और हम भी इनके साहस को सलाम करते हैं । कुल्लू आज तक अपने दशहरे के कारण जाना जाता है लेकिन यह पहली बार साहित्योत्सव के लिए जाना जायेगा । यह एक नयी शुरुआत होने जा रही है । साहित्योत्सव में देश के बड़े साहित्यकार, पर्यावरणविद, फिल्मकार और विचारक,रचनाकार इसमें आयेंगे और तीन दिन कुल्लू में साहित्य की ही बात होगी ।

साहित्य आज भी पढ़ा जाता है, बेशक यह बात चर्चा में है कि आजकल ईबुक्स ही पढ़ी जाती हैं । ऐसी धारणाओं या मुगालतों को दूर करते हैं, ऐसे साहित्योत्सव ! खूब गुजरेगी जब मिल बैठेंगे साहित्य के दिगज्ज !

साहित्य जीवन जीने लायक बनाता है यह साहित्य ही है जो हमारी संवेदना को झकझोरता है, हमारी आत्मा को जगाये रखता है ।

आइये फिर मिलते हैं कुल्लू के साहित्योत्सव में – साहित्य की बात करते हुए और साहित्य में रमते हुए ।
9416047075

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