Tag: लोकतंत्र

आरटीआई संशोधन पर 30 से अधिक संगठनों ने जताई गहरी चिंता, सरकार से संशोधन वापस लेने की मांग

नई दिल्ली, सतीश भारद्वाज: सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) 2005 में प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ 30 से अधिक नागरिक समाज संगठनों ने एकजुट होकर विरोध दर्ज कराया है। शुक्रवार को…

क्यों लोग वोट देने नहीं निकल रहे?

क्या नागरिक कथित राजनीतिक तानाशाही से उत्पीड़ित महसूस कर रहे हैं और ब्रिटिश राज की याद कर रहे हैं? क्या लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण चुनावी प्रक्रिया में रुचि कम हो…

मतदान प्रक्रिया की संदिग्ध कार्यप्रणाली से मतदाताओं का हुआ मोहभंग: करण दलाल

–किसी एक राजनीतिक दल द्वारा ऐसा माहौल बना देना लोकतंत्र के लिए सही नहीं गुरुग्राम। कांग्रेस के गुडग़ांव प्रभारी एवं पलवल के पूर्व विधायक करण सिंह दलाल ने निकाय चुनावों…

हरियाणा में 33 नगर निकाय चुनावों में देरी पर उठे सवाल, वेदप्रकाश विद्रोही ने की चुनाव प्रणाली में सुधार की मांग

गुरुग्राम, 5 फरवरी 2025 – स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा में 33 नगर निकायों के चुनाव की देरी को लोकतंत्र के साथ बड़ा खिलवाड़ बताया।…

संसद के कलुषित परिवेश का जिम्मेवार कौन?

संसद में शोर-शराबा, वेल में जाकर नारेबाज़ी करना, एक-दूसरे पर निजी कटाक्ष करना यहां तक कि कई बार हाथापाई पर उतारू हो जाना आज संसद की आम तस्वीर है। आखिर…

स्वतंत्रता खो रही पत्रकारिता- -डॉ. प्रियंका सौरभ

आज पेड न्यूज, मीडिया ट्रायल, गैर-मुद्दों को वास्तविक समाचार के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जबकि वास्तविक मुद्दों को दरकिनार किया जा रहा है, वास्तविक और समाज हित…

स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का अभाव झेलती मीडिया

डॉ. सत्यवान ‘सौरभ’ हाल के वर्षों में मीडिया की भूमिका बदली है। स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का घोर अभाव है। समाज का ध्रुवीकरण करने के लिए मीडिया के बड़े पैमाने…

गोपनीयता का एक बंधन – आंखें खोलने वाला लेख, चुनावी बांड पर – अशोक लवासा, भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त

गुस्ताख़ी माफ़ हरियाणा – पवन कुमार बंसल गुरुग्राम – चुनावी बांड के माध्यम से प्राप्त फंडिंग के प्रकटीकरण (या गैर-प्रकटीकरण) के पक्ष और विपक्ष में लगभग सभी चीजें सार्वजनिक डोमेन…

एक साथ चुनाव भारत के लोकतंत्र के लिए हानिकारक क्यों ?

एक साथ चुनावों से देश की संघवाद को चुनौती मिलने की भी आशंका है। एक साथ चुनाव होने से लोकतंत्र के इन विशिष्ट मंचों और क्षेत्रों के धुंधला होने का…

लोकतंत्र पर एक अलोकतांत्रिक बहस …………

योगेन्द्र यादव जैसे -जैसे लोकतंत्र का पतन होता है, सार्वजनिक बहस छिछली और बेतुकी होती जाती है। इसका नमूना हाल ही में देखने को मिला। अनएकैडमी नामक ऑनलाइन कोचिंग संस्था…

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