गुरुग्राम, 5 फरवरी 2025 – स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा में 33 नगर निकायों के चुनाव की देरी को लोकतंत्र के साथ बड़ा खिलवाड़ बताया। उन्होंने कहा कि इन निकायों का कार्यकाल 2 से 4 साल पहले ही समाप्त हो चुका था और चुनाव उसी समय होने चाहिए थे, लेकिन भाजपा सरकार ने जानबूझकर इन चुनावों में देरी की, जिससे प्रदेश के शहरी मतदाता अपनी पसंद की सरकार चुनने से वंचित रह गए।

विद्रोही ने कहा कि जिस भावना से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने नगर निकाय व पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव का कानून बनाया था, उसे हरियाणा में भाजपा सरकार ने पूरी तरह दरकिनार कर दिया। पहले पंचायत चुनावों में दो साल की देरी की गई और अब नगर निकाय चुनाव भी 2 से 4 साल की देरी से कराए जा रहे हैं।

निर्धारित समय पर चुनाव कराने की मांग

विद्रोही ने केंद्र सरकार से मांग की कि संसद में ऐसा स्पष्ट प्रावधान किया जाए, जिससे किसी भी नगर निकाय या पंचायती राज संस्था के कार्यकाल की समाप्ति से पहले हर हाल में चुनाव कराए जाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रदेश चुनाव आयुक्त को यह अधिकार दिया जाए कि वह चुनाव आयोग की तरह किसी भी निकाय का कार्यकाल समाप्त होने से छह माह पहले ही चुनाव प्रक्रिया शुरू कर सके।

दलबदल पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून की जरूरत

विद्रोही ने यह भी मांग की कि नगर निकायों के चुने गए मेयर और चेयरमैन पर दलबदल कानून को सख्ती से लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि जनता किसी पार्टी के प्रत्याशी को चुनती है, लेकिन सत्ता और पैसों के लालच में कई निर्वाचित जनप्रतिनिधि दलबदल कर लेते हैं, जो मतदाताओं के साथ सीधा धोखा है। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि कोई मेयर या चेयरमैन दलबदल करता है तो उसे तत्काल अयोग्य घोषित कर दोबारा चुनाव कराया जाए।

लोकतंत्र को बचाने की जरूरत

विद्रोही ने सभी राजनीतिक दलों और संसद से अपील की कि नगर निकाय और पंचायती राज चुनावों के लिए ऐसा कानून बनाया जाए, जिससे राज्य सरकारें सत्ता के दुरुपयोग से इन चुनावों में देरी न कर सकें। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए यह जरूरी है कि चुने हुए जनप्रतिनिधि अपने पद की गरिमा बनाए रखें और सत्ता के प्रभाव में आकर जनादेश के विपरीत कार्य न करें।

error: Content is protected !!