डॉ. सत्यवान ‘सौरभ’ हाल के वर्षों में मीडिया की भूमिका बदली है। स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का घोर अभाव है। समाज का ध्रुवीकरण करने के लिए मीडिया के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग ने स्थिति को बदतर बना दिया है। लोकतंत्र में त्रुटियों और गलत कामों को उजागर करने के लिए एक प्रहरी के रूप में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है। मीडिया लोगों को किसी भी विषय पर समाचारों पर चर्चा और बहस करने के लिए मंच प्रदान करता है। विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों की यह बातचीत समाज में नागरिक जुड़ाव को मजबूत करती है। फेक न्यूज कोई नई घटना नहीं है जो सोशल मीडिया के उदय से जुड़ी है। फर्जी खबरों के उभरते खतरे का चुनावी चक्र पर अभूतपूर्व प्रभाव पड़ सकता है, जो लोकतांत्रिक चुनावों की अखंडता, नीति-निर्माण और बड़े पैमाने पर हमारे समाज के बारे में गंभीर सवाल उठा सकता है। कम्प्यूटेशनल प्रचार सोशल मीडिया नेटवर्क पर भ्रामक जानकारी को उद्देश्यपूर्ण रूप से वितरित करने के लिए एल्गोरिदम, स्वचालन और मानव क्यूरेशन का उपयोग है। प्रतिस्पर्धी हितों को संतुलित करने में असमर्थ मीडिया कंपनियां लाभ की पूंजीवादी प्रेरणाओं के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को संतुलित करने में असमर्थ रही हैं। आधी अधूरी राय से दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए मीडिया एंकर बिना जिम्मेदारी के कानून और व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर टिप्पणी कर सकते हैं। विपरीत विचारों के प्रति असहिष्णुता अंतर्निहित पत्रकारिता या मीडिया की सबसे आम आलोचनाओं में से एक यह है कि जहां लोग केवल उन दृष्टिकोणों को देखते हैं जिनसे वे सहमत होते हैं और हमें ध्रुवीकरण के लिए अलग करते हैं। सोशल मीडिया के आगमन के साथ, तकनीकी परिवर्तन, मीडिया की पहुंच में काफी वृद्धि हुई है। जनमत को प्रभावित करने में इसकी पहुंच और भूमिका ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। सनसनीखेज रिपोर्टिंग ने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के बावजूद बलात्कार पीड़ितों और बचे लोगों की पहचान से समझौता किया। फेक न्यूज, पीत पत्रकारिता महत्वपूर्ण चिंताएं हैं जो जनता को प्रभावित कर रही हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर रही हैं। उदाहरण के लिए, मीडिया के माध्यम से भय फैलाने से मॉब लिंचिंग, प्रवासी आबादी पर हमले हुए हैं। भारत जैसे विकासशील देशों में, जातिवाद और सांप्रदायिकता जैसे पिछड़े विचारों से लड़ने और गरीबी और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संघर्ष में लोगों की मदद करने के लिए मीडिया की एक बड़ी जिम्मेदारी है। इसलिए, पत्रकारिता नैतिकता का होना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। Post navigation ‘सनातन धर्म’ के बदलते अर्थ ……. स्वतंत्रता खो रही पत्रकारिता- -डॉ. प्रियंका सौरभ