महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार चला रही कई योजनाएं. महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार की मौजूद हैं कई योजनाएं न्यू इंडिया में भी महिला स्वामित्व वाले व्यवसायों की जा रही विभिन्न पहल फतह सिंह उतालागुरुग्राम ।’ केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि भारत की प्रगति के लिए महिलाओं व पुरुषों को शिक्षा और रोजगार के लिए समान अवसर मिलने चाहिए। देश के सतत विकास के लिए महिलाओं, जो कुल आबादी की 48ः हैं, की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित की जानी अत्यंत आवश्यक है, तभी भारत की विकास दर को 9 से 10ः या इससे अधिक तक पहुंचाया जा सकता है। राव बुधवार को आईआईसीए द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के तहत इंस्पायरिंग चेंज- कंट्रीब्यूटिंग टू स्मार्ट, सस्टेनेबल एंड इंक्लूसिव ग्रोथ आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा कि महिलाओं को मुख्यधारा में लाने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ, उज्जवला योजना तथा वन स्टॉप सेंटर जैसी कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि देश की 79ः महिलाओं को लेबर फोर्स से जोड़ने का अभी हमें एक लंबा रास्ता तय करना है। लेबर फ़ोर्स में महिलाओं की भारत में भागीदारी 21ः है जबकि अन्य कामकाजी महिलाएं 47 प्रतिशत के वैश्विक औसत से आधी हैं। एक अध्ययन के अनुसार भारत में केवल महिलाओं को समान अवसर देकर वर्ष 2025 तक देश की जीडीपी में 770 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि आज हम न्यू इंडिया देख रहे हैं और इस नए भारत में महिला स्वामित्व वाले ज्यादातर व्यवसायों को और सक्षम करने के लिए विभिन्न पहल की जा रही हैं। नीति आयोग का महिला उद्यमिता मंच एक ऐसी पहल है जो देश भर में आने वाली युवा महिला उद्यमियों को इको सिस्टम अर्थात पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न विकास अनुमानों से पता चलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2021 में 9.5 फीसदी तथा 2022 में 8.5 फ़ीसदी की दर से बढ़ेगी जोकि अपनी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का टैग बनाए रखेगी। अब आर्थिक गतिविधियां तेज हो रहीराव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि कोरोनावायरस की दूसरी लहर के खत्म होने के साथ ही आर्थिक गतिविधियां तेज हो रही है। प्रौद्योगिकी डाटा और नवाचार विकास के प्रमुख प्रवर्तक है। कोरोना महामारी ने दुनिया भर में इसके महत्व को और अधिक समझाया है। भारत सरकार निजी क्षेत्र में युवा और नए उद्यमियों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि भारत को टेक गैरेज तथा अग्रणी स्मार्ट राष्ट्र के रूप में विकसित किया जा सके। उन्होंने कहा कि दुनिया में तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम के साथ भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, एनालिटिक्स तथा डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन में वैश्विक नेतृत्व करने की क्षमता है। अटल इन्नोवेशन मिशन देश में नवाचार और उद्यमिता के पारिस्थितिकी तंत्र को लगातार बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वर्तमान में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में 9200 टिंकरिंग लैब तथा 68 अटल सामुदायिक नवाचार केंद्र है, जो नवाचार को बढ़ावा देते हैं। इसके साथ ही ,भारत ने सतत और हरित विकास के महत्व को पहचाना है। क्लीन एनर्जी तथा क्लीनर औद्योगिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग पर भारत का प्राथमिक फोकस है। सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए कई औद्योगिक नीतियां तैयार की गई है जिसमें अक्षय ऊर्जा की भागीदारी बढ़ाना तथा इंडस्ट्रियल सेक्टर में ग्रीन टेक्नोलॉजी अपनाने संबंधी कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को आत्मसात किया गया है। भेदभाव को समाप्त करने पर बलइंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ कॉरपोरेट अफेयर्स के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा कॉरपोरेट मामले मंत्रालय के संयुक्त सचिव मनोज पांडे ने कहा कि भारत की इंक्लूसिव तथा रिस्पांसिबल ग्रोथ के साथ सतत विकास लक्ष्यों (एस जी डी) को वर्ष 2030 तक प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना है। उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उनके खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने पर बल दिया और कहा कि उनके पास आर्थिक संसाधनों पर समान अधिकार होना चाहिए। इसके साथ ही, राष्ट्रीय कानून के मुताबिक महिलाओं की भूमि और अन्य प्रकार की संपत्ति वित्तीय सेवाओं, विरासत तथा प्राकृतिक संसाधनों पर स्वामित्व और नियंत्रण तक पहुंच होनी चाहिए। एसोचौम नेशनल काउंसिल फॉर कॉरपोरेट अफेयर्स चेयर पर्सन तथा कंपनी लॉ एंड कॉरपोरेट गवर्नेंस की चेयर पर्सन एवम स्मार्ट भारत ग्रुप एंड पास्ट प्रेसिडेंट आईसीएसआई प्रीति मल्होत्रा ने कहा कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कोरोना महामारी के दौरान कंपनीज एक्ट 2013 में कंपनियों की सुविधा के लिए कई प्रकार के संशोधन और प्रावधानों में बदलाव करते हुए उद्योगों का समर्थन किया। आईआईसीए की डॉक्टर लता सुरेश ने भी संगोष्ठी में अपने विचार रखे। Post navigation 1947 के विभाजन का दर्द – बुजुर्गों की जुबानी ऐलनाबाद उपचुनाव: अंतिम दिन इनेलो और भाजपा दिखे मैदान में