ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला

अमित नेहरा

आखिर वही हुआ जिसकी आशंका व्यक्त की जा रही थी। बुधवार की शाम को बीजेपी ने ऐलनाबाद उपचुनाव के लिए गोविंद कांडा को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। बृहस्पतिवार को भाजपा-जजपा गठबंधन के उम्मीदवार गोविंद कांडा नामांकन भरने के लिए एसडीएम ऑफिस पहुँचे लेकिन वहाँ सिरसा डीसी को खुद आना पड़ा। आप सोच रहे होंगे कि क्या इस विधानसभा उपचुनाव में नामांकन भरने का तरीका बदल गया है? क्योंकि विधानसभा चुनाव का नामांकन एसडीएम ऑफिस में भरा जाता है और सांसद का नामांकन डीसी ऑफिस में जमा किया जाता है। तो क्या वजह रही कि गोविंद कांडा के नामांकन के समय सिरसा के डीसी अनीश यादव को आना पड़ा!

वजह यह थी कि बीजेपी प्रत्याशी गोविंद कांडा के नामांकन भरने से पहले ही तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने एसडीएम कार्यालय का घेराव कर लिया। किसान कह रहे थे कि वे यहाँ बीजेपी प्रत्याशी का ही विरोध करने आए हैं। हालात को काबू करने के लिए मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है और किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए सिरसा के डीसी अनीश यादव व एसपी अर्पित जैन को भी मौके पर मौजूद रहना पड़ा।

गोविंद कांडा का नामांकन पत्र दाखिल करने के समय भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला, सिरसा सांसद सुनीता दुग्गल और जजपा प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह व बिजली मंत्री रंजीत सिंह भी उनके साथ पहुँच गए। इससे किसानों का और ज्यादा चढ़ गया। क्योंकि ये सभी नेता आंदोलनकारी किसानों के निशाने पर हैं।

नामांकन भरते समय ही जब इस तरह का माहौल है तो यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि आगामी 28 अक्टूबर तक बीजेपी उम्मीदवार और नेता जब वोट मांगने विधानसभा क्षेत्र के गांवों में जाएंगे तो नजारा क्या होगा?

वाकई में यह उपचुनाव हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी का भविष्य तय करेगा। जिस प्रकार 2019 में जींद उपचुनाव ने जेजेपी को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उसी तरह ये उपचुनाव भी इनेलो का राजनीतिक भविष्य तय करेगा।

अब आते हैं बीजेपी के उम्मीदवार गोविंद कांडा को टिकट मिलने के मुद्दे पर। बीजेपी को से ऐलनाबाद उपचुनाव लड़ने के इच्छुक 17 नेताओं ने टिकट की दावेदारी जताई थी। इनमें सबसे चौंकाने वाला नाम हलोपा विधायक गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा का रहा। उन्होंने रविवार 3 अक्टूबर 2021 को ही भाजपा का दामन थामा था और उन्हें आनन-फानन में टिकट दे दिया गया। कहा जा सकता है कि गोविंद कांडा को भाजपा-जजपा और हलोपा पार्टी का समर्थन हासिल है।

वैसे गोविंद कांडा राजनीति में नए नहीं हैं। इससे पहले भी वे रानिया विधानसभा क्षेत्र से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। सबसे पहले 2014 में गोविंद कांडा इनेलो प्रत्याशी रामचंद कंबोज से हारे थे। कंबोज को 43971 वोट मिले और कांडा को 39656 वोट मिले थे। उनकी हार का अंतर 4315 वोटों का रहा। साल 2019 में रानियां सीट से निर्दलीय प्रत्याशी रणजीत सिंह चौटाला को 53825 वोट मिले जबकि गोविंद कांडा को 33394 वोट मिले थे। रणजीत सिंह ने उनको 19431 के अंतर से हरा दिया था। समय का चक्र देखिए कि उनको हराने वाले रणजीत सिंह, नामांकन पत्र दाखिल करने के समय खुद मौजूद रहे।

चलते-चलते

अगर ऐलनाबाद क्षेत्र के सर्वाधिक मतों का रिकार्ड देखा जाए तो यह रिकॉर्ड इनेलो के अभय सिंह के नाम है। उन्हें वर्ष 2014 के चुनाव में यहाँ कुल 69162 मत मिले थे।

क्रमशः

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक, लेखक, समीक्षक और ब्लॉगर हैं)

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