भक्ति, तपस्या, ज्ञान संयम और दृढ़ संकल्प का मार्ग प्रशस्त करती हैं मां ब्रह्मचारिणी

गुरुग्राम: श्री माता शीतला देवी मंदिर श्राइन बोर्ड के पूर्व सदस्य एवं आचार्य पुरोहित संघ गुरुग्राम के अध्यक्ष पंडित अमर चंद भारद्वाज ने कहा कि शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन भक्तों ने भावपूर्ण रूप से मां दुर्गा के प्रथम रूप मां शैलपुत्री का पूजन किया। श्रद्धालुओं ने गुरुग्राम स्थित श्री माता शीतला देवी मंदिर के साथ अन्य मंदिरों में पहुंच कर माता का पूजन अर्चन किया।

पंडित अमर चंद ने कहा कि नवरात्रि के दूसरे दिन शुक्रवार को माता दुर्गा के अद्भुत रूप मां ब्रह्मचारिणी का पूजन होगा। मां ब्रह्मचारिणी ऐसी देवी हैं, जिन्होंने सहस्त्र वर्षों तक भोले नाथ को प्राप्त करने के लिए शाक व पत्ते खाकर तपस्या की थी। मां ब्रह्मचारिणी का ये स्वरुप हमें भक्ति, तपस्या, ज्ञान संयम और दृढ़ संकल्पी होने की प्रेरणा देता है। इनके रुप से हमें अपनी अतृप्त इच्छाओं पर नियंत्रण करने की शक्ति मिलती है। मां ब्रह्मचारिणी ने अपनी कठोर तपस्या से भगवान शिव को भी अपने वर के रुप में प्राप्त कर लिया था। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से अपने इच्छित घर और वर की प्राप्ति हो सकती है। पंडित अमर चंद भारद्वाज ने कहा कि मां ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद प्राप्त करने के विधि और विधान से माता का पूजन अर्चन करना चाहिए। सर्वप्रथम एक कुंभ की स्थापना मां ब्रहमचारिणी के चित्र के आगे करें। सभी देवी-देवताओं और 64 योगिनियों का ध्यान करते हुए कुंभ, अक्षत, मौली, रौली और शर्करा अर्पित करें तत्पश्चात 11 सुपारी मां के आगे अर्पित करें। मां से अपने मन की इच्छा व्यक्त करें। पंडित अमर चंद भारद्वाज ने कहा कि आज मां के मंत्रों का उच्चारण रुद्राक्ष की माला से करते हुए अपनी इच्छित वर की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें-

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।