आईटी के उपयोग से पारदर्शी बनी हरियाणा सरकार की योजनाएं

सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समानता देने वाली हरियाणा सरकार के 7 साल पूरा होने पर विशेष

डा०संजय शर्मा मीडिया प्रमुख
भारतीय जनता पार्टी – हरियाणा

” दिल्ली से 100 पैसा भेजते हैं तो बेनेफिशयरी तक पहुंचते-पहुंचते 84 पैसे रास्ते में ही खत्म हो जाते हैं।” पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की उक्त बात कांग्रेस राज में चले भयंकर भ्रष्टाचार पर ऐसा कबुलनामा है, जिसे बाद के कांग्रेस राज में भी ठीक करने की कोई कोशिश नहीं हुई। एक समय ऐसा आया जब लोगों ने सरकारी भ्रष्टाचार को व्यवहार का नाम देना शुरू कर दिया था और इस व्यवस्था से जूझते हुए देश को 30 साल हो गए थे, लेकिन भ्रष्टाचार से जूझते लोगों ने साल 2014 में केंद्र और हरियाणा में सरकारें बदली तो चुनी हुई केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों ने अपनी इच्छा शक्ति के दम पर टेक्नोलॉजी के उपयोग से परिस्थितियां भी बदली।

मोदी जी का सदा मानना रहा है कि सरकार और प्रदेश को इंडिविजुअल ड्रिवन नहीं बल्कि ‘पॉलिसी ड्रिवन’ होना चाहिए।

हरियाणा की मनोहर लाल सरकार ने इन्हीं आदर्शों पर चलते हुए आईटी को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाते हुए पारदर्शिता को लक्ष्य बनाया।
जन-धन खातों का मजाक उड़ाने वाले लोग भी आज मानते हैं कि इन्हीं खातों की वजह से पैसा सीधे जरूरतमंद के खाते में आता है और टांके-बाजी बंद हुई है।

मनोहर सरकार ने हरियाणा में तमाम राजनीतिक जोखिम उठाते हुए नौकरी, ट्रांसफर, ठेके व अन्य सरकारी कार्यों में व्यक्तिगत इंटरफ्रेंस को कम किया और अधिक से अधिक आईटी को बढ़ावा दिया। हरियाणा एक पॉलिसी ड्रिवन स्टेट की तरफ आगे बढ़ रहा है और हर नागरिक को जो कुछ भी सरकार दे रही है, वो 100 फ़ीसदी उसे हासिल हो रहा है।

एक पारदर्शी सरकार का लक्ष्य भी यही होना चाहिए और हरियाणा लगातार उसी समानता की तरफ बढ़ रहा है। क्षेत्रीय भेदभाव या फिर शक्ल देखकर काम करने का जो चलन हरियाणा में था, वो खत्म हुआ है। हां, ये भी सत्य है कि कोई भी जब नई व्यवस्था बनती है तो समाज धीरे-धीरे ही उसको स्वीकार करता है। व्यक्तिगत हस्तक्षेप के लाभार्थी बिचौलिए होते हैं , जो निश्चित तौर पर ऐसी योजनाओं का विरोध करते हैं, पर धीरे-धीरे जब समाज उसे स्वीकार कर लेता है तो फिर बिचौलियों के विरोध का कोई मतलब भी नहीं रह जाता।

हरियाणा में भाजपा सरकार के सात सालों के बदलाव का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि ये चंडीगढ़ का चक्कर कटवाने वाली सरकार नहीं है। इन्फॉमेशन टेक्नोलॉजी के सहारे प्रदेश में ऐसा व्यवस्था बनाई गई है कि आम लोगों के सरकारी काम अब ऑनलाइन घर बैठे होते हैं। ये सात साल अपने आप में बदलाव की एक कहानी हैं।

2014 में सचिवालय में निजी काम करवाने वाले लोगों की इतनी भीड़ होती थी, जिससे लगता था, जैसे आधा हरियाणा उठकर चंडीगढ़ पहुंच गया हो। उसी समय मनोहर सरकार ने इस व्यवस्था को इनफॉमेशन टेक्नोलॉजी के माध्यम से बदलना शुरू किया और 2500 दिनों में ‘राइट टू करप्शन’ से ‘राइट टू सर्विस’ तक का सफर तय किया है।

मनोहर सरकार ने पिछली सरकारों में चले आ रहे “लूट के अधिकार” को खत्म करके, आईटी के माध्यम से ‘राइट टू सर्विस’ को लागू किया। पहले लोगों की आधी जिंदगी तो पटवारी से लेकर कचहरी और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने में ही निकल जाती थी। अब जमाबंदी हाथों-हाथ होती है, फर्द और इंतकाल हाथों-हाथ होता है और यहां तक कि गिरदावरी भी ऑनलाइन ही होती है।

सरल पोर्टल ने भी आम लोगों की जिंदगी को और सरल बना दिया है। 547 सरकारी सेवाएं अब सरल पोर्टल पर उपलब्ध हैं। घर बैठे ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं। अब लोगों को चंडीगढ़ आने की जरूरत नहीं। प्रदेश के आखिरी छोर पर बैठा आदमी भी घर बैठे अपने काम की ट्रैकिंग कर सकता है।।

इतना ही नहीं 7 सालों में बिचौलिये गायब हुए हैं और दफ्तरों से लंबी लंबी लाईन समाप्त हो गई है। एक वो समय था जब सरकारी खजाने को लूटने को ताकतवर लोग अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते थे और सिस्टम इन्हीं ताकतवर लोगों को सपोर्ट करता था। इसलिए लूट के अधिकार की संस्कृति स्थापित हो गई थी। सरल पोर्टल के माध्यम से 547 सेवाओं को ऑनलाइन गया और ह्यूमन इंटरफेरेंस कम किया गया। भाजपा सरकार ने हरियाणा में फाइलों पर चढ़ावा रखने का प्रचलन खत्म किया है। यही बात नौकरियों पर भी लागू होती है। सरकारी नौकरियां अब राजनीतिक गुलामी से मुक्त हुई हैं।

एक समय वो भी था जब सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों की हाजिरी नहीं होती थी और लोग धक्के खाते रहते थे। बायोमैट्रिक सिस्टम लाने के बाद अब कर्मचारियों को दफ्तर में बैठना पड़ता है, रोज अंगूठा लगाना पड़ता है, दफ्तर जाना भी पड़ता है और काम करना भी पड़ता है।

मनोहर सरकार ने पहले दिन से ही आईटी पर जोर इसलिए दिया, क्योंकि भ्रष्टाचार के जहरीले सांप को खत्म करने का यही सबसे कारगर और ऑटोमेटिक फार्मूला है। लेकिन जब किसी भी सिस्टम में कोई बुनियादी बदलाव होता है, तो पुराने सिस्टम के लाभार्थी लोग उसका विरोध
करते ही हैं,ये स्वभाविक है। अब धीरे-धीरे हरियाणा के लोगों की आदतें बदल रही हैं और वो पुराने सिस्टम के मकड़जाल से बाहर निकल रहे हैं और नई व्यवस्था को तेजी से अडॉप्ट भी कर रहे हैं।

आई.टी के उपयोग से कितने क्रांतिकारी बदलाव के काम हो सकते हैं, इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि जब कोरोना की पहली ही लहर आई
और सब कुछ बंद हो गया था, सड़कें सुनसान रहती थी।

ऐसे में आईटी आधारित व्यवस्था का प्रयोग करके ही लोगों तक राशन और उनके खाते में सहायता राशि पहुंचाई गई। बुजुर्गों को पेंशन पहुंचाई गई।

बुनियादी बदलाव की दिशा में उठाये गए कदम।

  1. परिवार पहचान पत्र।।
    परिवार पहचान पत्र, (PPP)
    ये मात्र 3 शब्द नहीं है, बल्कि योजनाओं को सही लोगों तक पहुंचाने की एक मजबूत योजना है।
    पहले सही लोगों तक योजना का लाभ नहीं पहुंच पाता था। सेलेक्टेड लोग सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाग ले लिया करते थे और वास्तव में जिस का हक है, वो उससे वंचित हो जाता था।
    असली हकदार को न्याय और हक दिलाने के लिए ये सबसे कारगर योजना है,
    जिससे कि लाभ अब हर हकदार के घर तक पहुंचेगा। परिवार पहचान पत्र की
    वजह से एक झटके में सारे नकली लाभार्थी बाहर हो जाएंगे और योजनाओं में होने वाले भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।
  2. MSP पर सबसे ज्यादा फसलों की खरीद कर किसानों के खातों में सीधा भुगतान करने में भाजपा सरकार ने कीर्तिमान स्थापित किए हैं। देश में हरियाणा ही एकमात्र राज्य है, जहां धान और गेंहू के अलावा बाजरा, सूरजमुखी, सरसों और मुंगफली की MSP पर खरीद हो रही है। अब तक ना सिर्फ सबसे ज्यादा गेंहू की MSP पर खरीद की है, बल्कि किसानों
    के खातों में सीधे पैसे पहुंचाने का काम किया है। किसान के खाते में देरी से पैसे पहुंचने पर उसे सरकार ने ब्याज सहित पैसे का भुगतान किया है। किसान के साथ-साथ आढतियों को भी 450
    करोड़ रुपये का ब्याज सहित भुगतान किया गया है।
  3. राशन वितरण की व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव।।
    हरियाणा में एक समय ऐसा भी था जब डिपो पर राशन पहुंचने के अगले 24 घंटे में ही बोर्ड लग जाता था कि राशन समाप्त हो चुका है। कभी भी 100% हकदार
    लोगों को उनके हक का राशन नहीं मिल पाता था। अनआधार कार्ड से राशन व्यवस्था को जोड़ने के बाद डिपो धारक खुद गरीब को फोन करता है कि भाई साहब या बहन जी आकर अपना राशन ले जाओ। ये गरीबों के लिए बहुत बड़ा सम्मान और बदलाव है।
  4. कोरोना महामारी की वजह से देश के साथ-साथ प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्रभावित
    हुई। मजबूरन सरकार को लॉकडाउन लगाना पड़ा। इसके बावजूद भाजपा सरकार ने
    गरीब परिवारों को राशन की कोई कमी नहीं होने दी। पिछले साल की तरह इस साल भी गरीब परिवारों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा
    बीपीएल परिवारों के निजी अस्पताल का खर्च भी सरकार ने ही उठाया। होम आइसोलेशन के लिए भी आर्थिक मदद दी गई।
    5:- बुजुर्गो और विधवाओं की पेंशन बढ़ाई गई। मनोहर सरकार ने पिछले दो सालों में बुढ़ापा पेंशन में 500 रुपये की बढ़ोतरी की है। हरियाणा में बुढ़ापा और विधवा पेंशन ढाई हजार रुपये हो गई है, जोकि देश में सबसे ज्यादा है।
  5. पब्लिक सुरक्षा को ध्येय बनाया।
    एक ही टोल फ्री नंबर 112 जारी किया गया। जिससे पुलिस, एंबुलेंस और फायर
    ब्रिगेड की सेवा तत्काल पहुंच रही है।
    एक जमाना ऐसा भी था, जब पुलिस के पास अच्छी गाड़ियां नहीं थी। जिससे वे समय पर पीड़ित के पास नहीं पहुंच पाती थी। लेकिन अब मॉडर्न टेक्नोलॉजी से लैस कॉल सेंटर और साथ ही बेहतरीन वेल
    इक्विप्ड गाड़ियां सुरक्षा में लगाई हैं ताकि 15 मिनट के अंदर पुलिस का सहयोग और सुरक्षा किसी भी जरूरतमंद को हासिल हो जाए।।
  6. नौकरियों में बेईमानी और भेदभाव खत्म, मिशन मेरिट से प्रदेश के युवाओं में बड़ा उत्साह भरने में सरकार कामयाब हुई।
    मानसून सत्र में 78 हजार से ज्यादा नौकरियां हरियाणा के युवाओं को मेरिट पर दी जा चुकी हैं। मिशन मेरिट को सफल बनाना बहुत कठिन कार्य था, लेकिन सरकार ने इसे किया।
    पूरे प्रदेश के युवाओं में माहौल बदला है। युवा आज लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। अब
    युवाओं को विधायकों के नोहरे व चक्कर नहीं काटने पड़ते। प्रदेश के भविष्य के लिए यह बहुत बड़ा बदलाव है।
  7. प्राइवेट नौकरियों में हरियाणवियों को 15 फीसदी आरक्षण देकर स्थानीय युवाओं की स्थिति को मजबूत किया।
    हरियाणा के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिले, इसके लिए हमारी सरकार ने निजी क्षेत्र में 50 हजार से कम सैलरी वाली नौकरियों में हरियाणवियों को 75 फीसदी रोजगार दिया है, इससे हरियाणा के युवाओं को नौकरी के लिए दूसरे प्रदेशों में धक्के नहीं खाने पड़ेंगे।
  8. HSSC ने वन टाइम रजिस्ट्रेशन पोर्टल लॉन्च कर किए क्रांतिकारी बदलाव।
    नौकरी की चाहत रखने वाले युवाओं से पहले सिर्फ फॉर्म इसलिए भरवाए जाते
    थे कि स्टाफ सिलेक्शन कमीशन की आमदनी बढ़े।
    नौकरी किस को देनी है,ये तो पहले से ही तय होता था, लेकिन भाजपा सरकार ने HSSC वन टाइम रजिस्ट्रेशन पोर्टल लॉन्च कर सही योग्यता के आधार पर नौकरी दी। यह
    पोर्टल उन लोगों के लिए है जो ग्रुप सी या डी पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन
    करना चाहते हैं। सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए एक अलग आम पात्रता
    परीक्षा आयोजित करने का निर्णय भी इसी सरकार ने लिया। HSSC द्वारा आयोजित इस परीक्षा का परिणाम 3
    साल के लिए मान्य होगा। जिससे कि ग्रुप सी और डी की सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के पैसे और वक्त दोनों की बचत का पुख्ता इंतजाम है।
  9. भाजपा सरकार ने नौकरियों के साथ-साथ ट्रांसफर में भी पारदर्शी नियम बनाकर
    भेदभाव खत्म करने की कोशिश।
    नौकरियों की पर्ची के अलावा नेताओं के पास और सचिवालय में सबसे ज्यादा
    भीड़ मनचाहे ट्रांसफर के लिए होती थी। ज्यादातर विभागों में ऑनलाइन ट्रांसफर की नीति लागू करने की कोशिश की गई। ट्रांसफर्स में भी व्यक्तिगत हस्तक्षेप और भेदभाव बड़े हद तक कम किए गए।
    11.हर क्षेत्र में बढ़ी पिछड़ों और महिलाओं की मौजूदगी।
    पारदर्शी नीतियों और भेदभाव को खत्म करने से सबसे ज्यादा अगर फायदा किसी वर्ग को मिला है, तो वो है हरियाणा की पिछड़ी जातियां और महिलाएं।
    महिला कर्मचारियों की संख्या के लिहाज से देखेंगे, तो हरियाणा पुलिस में भी तो महिलाओं की मौजूदगी बढ़ी है।
    पंचायती राज व्यवस्था में पिछड़ों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व
    बढ़ाने के लिए मजबूत कदम इस सरकार ने उठाए हैं।
  10. पंचायतों में आॅन लाइन कार्य। पढ़ी-लिखी पंचायतों ने बदली ग्रामीण हरियाणा की तस्वीर।
    सरकार ने शुरुआत में ही पढ़ी- लिखी पंचायतों की बात की और कड़ा फैसला लिया तो विपक्ष ने उसका जमकर मखौल उड़ाया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर सरकार की पीठ थपथपाई।
    अब हरियाणा के गांव-गांव
    में ग्राम सचिवालय है, और वही से सारी सेवाएं ऑनलाइन दी जा रही है।
    13.
    पहली बार किसी सरकार ने ऐसा
    काम किया है कि 60 वर्ष की उम पूरी होते ही 10 हजार की पेंशन पत्रकारों के लिए शुरू की गई।
    पत्रकारों को आयुष्मान भारत योजना के तहत कैशलेस बीमा की सुविधा भाजपा सरकार ने दी है।

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