रेवाड़ी, 29 सितम्बर 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही नेे हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार द्वारा खरीफ फसल 2021 में किसानों का बाजरा न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रूपये प्रति क्विंटल भाव से खरीदने की बजाय जिन किसानों ने सरकारी पोर्टल पर रजिस्टेऊशन करवाया है, उन किसानों को कथित भावांतरण योजना के तहते 600 रूपयेे प्रति क्विंटल भावांतर देने के निर्णय की कठोर आलोचना करते हुए इसे किसानों को ठगने का कुप्रयास बताया। विद्रोही ने कहा कि सरकार के निर्णय अनुसार सरकार ने खुले बाजार में बाजरे का भाव 1650 रूपयेे प्रति क्विंटल मानकर बाजरा बेचने के इच्छुक जिन 2 लाख 71 हजार किसानों ने 8 लाख 65 हजार एकड़ भूमि में उत्पादित बाजरे को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार को बेचने के लिए सरकारी पोर्टल पर रजिस्टेऊशन करवाया है, उन किसानों को प्रति एकड़ औसत बाजरा उत्पादन के आधार पर कथित भावांतर योजना के तहत प्रति क्विंटल 600 रूपये भावांतर देने का निर्णय किया है। इसका अर्थ है कि बचे हुए बाजरे की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नही होगी और 2 लाख 71 हजार किसानों का बाजरा उत्पादन भूमि के सत्यापन के आधार पर प्रति एकड़ औसत उत्पादन अनुसार 600 रूपये प्रति क्विंटल भावांतर सरकार देगी। वहीं सरकार ने यह भी फैसला किया है कि रजिस्टेऊशन करवाने वाले किसानों के कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत हिस्सा सरकार बाजार भाव 1650 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदेगी ताकि बाजार भाव बना रहे। विद्रोही ने कहा कि सरकार द्वारा किसानों का 25 प्रतिशत बाजरा बाजार भाव से खरीदने के बाद भी यह कैसे गारंटी दी जा सकती है कि व्यापारी खुले बाजार में किसानों का बाजरा 1650 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से ही खरीदेगा। इसका अर्थ यह होगा कि व्यापारी अनाज मंडियों में जो चाहे भाव किसानों को देंगे, सरकार तो अपने कथित सत्यापन के आधार पर औसत बाजरा उत्पादन प्रति एकड के आधार पर प्रति क्विंटल 600 रूपये ही कथित भावांतर योजना के तहत रजिस्टेऊशन करवाने वाले किसानों को देगी। ऐसी स्थिति में निजी व्यापारी इस अवसर का लाभ उठाकर 1200-1300 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों का बाजरा हडपेंगे। इससे अनाज व्यापारियों की तिजौरियां भरेगी व किसानों की जेब खाली होगी। कथित भावातंर योजना के नाम पर सरकार मनमाने ढंग से किसानों के बाजरा को भावांतर देकर ठगेगी। विद्रोही ने कहा कि हरियाणा में जिन कथित 21 बागवानी फसलों को भावांतर योजना के तहत पहले से ही रखा हुआ है, उसका अनुभव हरियाणा के किसानों के लिए बहुत कटु रहा है। बागवानी फसलों में भावांतर के नाम पर किसानों को ठगा ही गया है। यही स्थिति बाजरा उत्पादक किसानों की होने वाली है। वैसे भी सरकार बाजरा उत्पादक किसानों का केवल 25 प्रतिशत बाजरा उत्पादन को ही खुले बाजार से खरीदकर एक तरह से व्यापारियों को किसानों का बाजरा लूटने का खुला अवसर दे रही है। इस तरह एक सुनियोजित योजना के तहत कथित भावांतर योजना के नाम पर बाजरा उत्पादक किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रूपये प्रति क्विंटल भाव से वंचित करके लूटा जायेगा। विद्रोही ने मांग की कि भाजपा सरकार भावांतर योजना के नाम पर बाजरा उत्पादक किसानों को ठगने की बजाय सारे बाजरा उत्पादन को 2250 रूपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य के हिसाब से खरीदकर अपनी कथनी-करनी एक करे। Post navigation किसान आंदोलन में 700 से ज्यादा कुर्बानी देने के बाद भी सहानुभूति के दो शब्द भी नही प्रधानमंत्री द्वारा : विद्रोही राव आया-फसल का भाव आया, राव गया-फसल का भाव गया