गुडग़ांव, 28 सितम्बर (अशोक): अवैध रुप से महिला का गर्भपात कराने के मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार की अदालत ने पुख्ता सबूतों व गवाहों के आधार पर एक निजी अस्पताल की चिकित्सक को दोषी मानते हुए 3 वर्ष की कैद व एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माने का भुगतान न करने पर दोषी को अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 की 8 मार्च को जिले के सिविल सर्जन को मिली गुप्त सूचना के आधार पर कि पटेल नगर स्थित एक निजी अस्पताल में कानूनों का उल्लंघन कर अवैध रुप से गर्भपात कराया जाता है। जिस पर सिविल सर्जन ने तत्कालीन उप सिविल सर्जन डा. सरयू शर्मा की अगुवाई में एक टीम का गठन कर छापामार कार्यवाही की गई थी। इस टीम में तत्कालीन ड्रग्स कंट्रोलर अमनदीप चौहान, जिला रेडक्रॉस सोसायटी के तत्कालीन सचिव श्याम सुंदर व क्षेत्र के सिविल लाईन थाना प्रभारी शामिल थे। उन्होंने एक महिला को गर्भपात कराने अस्पताल भेजा व उसे 4500 रुपए भी दिए थे। जिन पर टीम ने लघु साईन भी किए हुए थे। बताया जाता है कि महिला को दवाई दी गई और उसका गर्भपात भी करा दिया। जिसकी एवज में उससे 2 हजार रुपए अस्पताल की चिकित्सक डा. सुनीता पंवार ने लिए।

छापामार टीम ने छापा मारकर डा. सुनीता पंवार व उससे 2 हजार रुपए भी बरामद कर लिए थे और टीम ने सिविल लाईन पुलिस थाना में मेडिकल टर्मिनेशन एक्ट 1971 की धारा 3, 4 व 5 तथा ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 की धारा 18 व 27 के तहत डा. सुनीता पंवार के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मामला अदालत में चला।

अभियोजन पक्ष ने अदालत में जो सबूत व गवाह पेश किए, उनसे आरोपी पर लगे आरोप सिद्ध होना पाते हुए अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए 3 साल की कैद व एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुना दी है। जुर्माने का भुगतान न करने पर दोषी को अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।