जीवन में सुख और शांति लाता है, “सत्संग” : परमसंत कँवर साहेब जी गुरु से प्रेम नहीं है, तब तक परमार्थ नहीं कमा सकते : परमसंत कँवर साहेब जी सकटं की घड़ी में धैर्य और संयम से काम ले, खुद सुरक्षित रहें और औरों को भी सुरक्षित रखें : परमसंत कँवर साहेब जी महाराज दिनोद धाम जयवीर फोगाट 27 सितंबर,सत्संग जीवन की चिंताओं को हर कर मनुष्य के जीवन में सुख और शांति लाता है। कोरोना वायरस के कारण समाज में कई तरह की व्याधियों ने घर कर लिया।इनमें डिप्रेशन तनाव और दुश्चिंता के मामलों में बहुत ज्यादा व्रद्धि हुई। मनुष्य को सभी तनावों से केवल सत्संग साधन ही मुक्त कर सकता है। सत्संग हरि का भजन है परमात्मा का गुणगान है और परमात्मा ही जीवन की उथल पुथल को समाप्त कर सकता है। यह सत्संग वाणी परमसंत कँवर साहेब ने दिनोद में सत्संग फरमाते हुए कही। गुरु महाराज ने कहा कि अगर आप इस आपाधापी से मुक्त होकर परमार्थ कमाना चाहते हो तो प्रेम और सेवा करना सीखो। बिना प्रेम के सेवा लाभ नहीं देती। सेवा निस्वार्थ होनी चाहिए और ये बिना प्रेम के सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि हम लग्न तो लगाते हैं लेकिन नकारात्मक। जितनी लग्न कामी को कामनी से लगती है उतनी ही लग्न यदि सकारात्मक रूप से गुरु के प्रति हो जाए तो आपके वारे न्यारे हो जाएंगे। हुजूर कँवर साहब ने कहा कि जब तक गुरु से प्रेम नहीं है तब तक परमार्थ नहीं कमा सकते। बिना प्रेम के तो केवल हम नकल ही करते हैं। जो मनमुखी हैं वो भक्ति में नकल करते हैं और मन के वश में होकर ही विचरते हैं। जबकि गुरुमुख गुरु के ख्याल में ही रहता है वो हर पल गुरु को ही आगे रखता है इसलिये यदि अपने जीवन का कल्याण चाहते हो तो गुरु का हाथ पकड़ लो। उन्होंने कहा कि इंसान के लिए उसके प्राण से प्यारा कुछ नहीं है। प्राण हैं तो सब कुछ है ऐसे ही जब गुरु आपका प्राण बन जाएगा तब आपका कल्याण निश्चित है। गुरु से बढ़कर दौलत कौन दे सकता है। गुरु ने तो सृष्टि का आधार शब्द का भेद ही दे दिया। क्योंकि सब कुछ शब्द में ही तो समाया है। बिना शब्द के भेद या ज्ञान के तो जीव ऐसे ही फिरता है जैसे धुंध में इंसान भटक जाता है। गुर महाराज जी ने कहा कि इंसान पांच इंद्रियों के वश में अपना जीवन बर्बाद कर रहा है। भंवरा, मछली, मृग, हाथी और पतंगा एक इंद्री के वश में होकर अपने जीवन को मुसीबत में डाल लेते हैं जबकि मनुष्य तो पांच इंद्री का गुलाम है ऐसे में उसका कैसे कल्याण हो। कल्याण तभी सम्भव है जब राधास्वामी की शरण ले लोगे। राधास्वामी दयाल अपनी मेहर से आपको परमात्म रूपी खजाने से सराबोर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस संकट की घड़ी में धर्य और संयम से काम ले। खुद सुरक्षित रहें और औरों को भी सुरक्षित रखें, जरूरतमंद की मदद करें। Post navigation अध्यापक संघ ने सोमवार को भारत बंद का समर्थन किया। ऐतिहासिक भारत बंद की कामयाबी का श्रेय आम जनमानस को, सरकार की खोली आंखें : सोमबीर सांगवान