कितलाना टोल पर किसानों ने धरने के 273वें दिन हरियाणा वीर एवं शहीदी दिवस मना किये श्रद्धासुमन अर्पित 

चरखी दादरी जयवीर फोगाट

23 सितंबर, आजादी की लड़ाई में हरियाणा के जांबाजों ने अहम भूमिका निभाई और उन्हीं की बदौलत स्वतंत्रता की लौ जली।  यह बात दादरी से निर्दलीय विधायक और सांगवान खाप के प्रधान सोमबीर सांगवान ने हरियाणा वीर एवं शहीदी दिवस के मौके पर कितलाना टोल के धरने पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कही। स्वतन्त्रता सेनानी एवं शहीदों के तप, त्याग, संघर्ष व बलिदान की वजह से आज हम आजादी की फिजा में सांस ले रहे हैं। इसलिए हमारा नैतिक कर्तव्य है कि हम उन महान वीरों की कुर्बानियों को सदैव याद रखें। 

सर्व कर्मचारी संघ के मास्टर वजीर सिंह ने कहा कि शहीदों की गौरवगाथाएं हमें अपनी समृद्ध विरासत की सदैव याद दिलाएंगी। उनकी कुर्बानी सदैव युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत का काम करेंगी। देश के उन शूरवीरों को कभी नहीं भुलाया जा सकता, जिन्होंने अपनी शहादत देकर देश की माटी का कर्ज अदा किया। ऐसे वीरों को सम्मान देते हुए उनके दिखाए मार्ग पर चलकर समाज व देश को तरक्की के रास्ते पर ले जाने का संकल्प हम सभी को लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज तीन काले कानूनों के खिलाफ देश के किसान- मजदूर आजादी की दूसरी लड़ाई लड़ रहे हैं और निश्चित तौर पर जीत हासिल करके रहेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर कितलाना टोल पर धरने के 273वें दिन सांगवान खाप के सचिव नरसिंह सांगवान डीपीई, श्योराण खाप से जगदीश हुई, फौगाट खाप से अत्तर सिंह समसपुर, चौगामा खाप के मीरसिंह नीमड़ीवाली, किसान सभा के रामावतार बलियाली, सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ के राजकुमार दलाल, फुला देवी, संतरा, कृष्ण, रतन्नी देवी डोहकी, सुभाष यादव ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। 

इस मौके पर सर्व कर्मचारी संघ से जुड़े मास्टर सुखदर्शन, सुभाष शर्मा, सुरजभान जटासरा, लोकेश, यादवीरेन्द्र शर्मा, सुशील, ओमप्रकाश शेखावत, दिलबाग जांगड़ा, राजकुमार घिकाड़ा, कृष्ण भागवी, विजय, दलबीर डोहकी, कमलेश, सुभाष फौजी, वीरेन्द्र, सुरेंद्र इत्यादि ने किसान धरने को समर्थन देते हुए कहा कि जब तक तीनों काले कानून रद्द नहीं होते हम सब एकजुटता से लड़ाई लड़ते रहेंगे और 27 सितंबर को ऐतिहासिक भारत बंद होगा। धरने का मंच संचालन सुखदेव पालवास ने की। इस दौरान मास्टर ताराचंद चरखी, सुरजभान सांगवान, राजू मान, सुरेंद्र कुब्जानगर, रामसिंह तिवाला, रणधीर घिकाड़ा, रणधीर कुंगड़, कमलेश भैरवी, सूबेदार सत्यवीर इत्यादि मौजूद थे।

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