• हम सभी को तरुण भारद्वाज की शहादत पर गर्व है – दीपेंद्र हुड्डा• सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने सर छोटूराम के लेख व भाषणों पर आधारित पुस्तक विमोचन समारोह में शिरकत की• चौ. छोटूराम जी हुकूमत के अत्याचारों के खिलाफ़ न तो बोलने से डरते थे और न ही लिखने से – दीपेंद्र हुड्डा 19 सितंबर, गुरुग्राम। सांसद दीपेंद्र हुड्डा आज गांव भोंडसी में शहीद तरुण भारद्वाज के घर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि देकर परिवारजनों से मुलाकात की एवं शोक संवेदनाएं प्रकट कीं। उन्होंने कहा कि देश के सबसे दुर्गम सीमावर्ती इलाके सियाचिन में गश्त के दौरान हिमस्खलन हादसे में ग्लेशियर की चपेट में आये भारतीय सेना के जांबाज जवान तरुण भारद्वाज ने देश के लिये शहादत दी है। सियाचिन का क्षेत्र दुर्गम और बर्फीली पहाड़ियों का क्षेत्र है और यहां बेहद विपरीत परिस्थितियों में हमारी सेना के वीर जवान देश सेवा का कर्त्तव्य निभाते हैं। हम सबको तरुण की शहादत पर गर्व है। पूरा देश अपने शहीद के परिवार के साथ एकजुट खड़ा है। इससे पहले दीपेंद्र हुड्डा ने आज गुरुग्राम के कई सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत की। वे सेक्टर 44 स्थित अपैरल हाउस में हरियाणा इतिहास एवं संस्कृति अकादमी द्वारा दीनबंधु सर छोटूराम जी के लेख व भाषणों पर आधारित पुस्तकों के 5 वॉल्यूम के विमोचन समारोह में शामिल होने पहुंचे। इस मौके पर सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि चौ. छोटूराम जी नैतिक साहस की मिसाल थे। वे हुकूमत के अत्याचारों के खिलाफ़ न तो बोलने से डरते थे और न ही लिखने से। चौ. छोटूराम जी ने पद की लालसा छोड़कर हमेशा ग़रीबों व किसानों के हकों की लड़ाई लड़ी। उनके लिए गरीब और जरुरतमन्द किसानों की भलाई हर एक राजनीति, धर्म और जात-पात से ऊपर थी। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि चौ. छोटू राम जी ने पराधीन भारत में कृषि की समस्याओं के निदान के लिए लगातार संघर्ष किया एवं किसानों व मजदूरों के हित में कानून बनवाने का काम किया। गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी एक्ट-1938 से किसानों को ज़मीन के अधिकार मिलने का रास्ता साफ़ हुआ। आज अगर किसान जमीन का मालिक है तो इसका पूरा श्रेय छोटूराम जी को जाता है। उन्होंने आजादी से पहले कर्जा वसूली के लिये जमीन की नीलामी पर रोक लगायी थी। चौ. छोटूराम से प्रेरणा लेकर ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार ने कर्ज न चुका पाने वाले किसानों की जमीन की नीलामी वाले काले कानून को खत्म किया था। Post navigation बुढ़ापा पेंशन की तरह ऐतिहासिक है निजी क्षेत्र में 75 फीसदी रोजगार आरक्षण कानून – दिग्विजय चौटाला क्या परिणाम होंगे शहीद सम्मान समारोह के ?