उद्यमियों का कहना है कि प्लांट को शिफ्ट करने से गुडग़ांव का गौरव ही हो जाएगा खत्म, अन्य छोटे-बड़े उद्योग भी होंगे प्रभावित

गुडग़ांव, 12 सितम्बर (अशोक): ऑटो मोबाईल क्षेत्र में देश की अग्रणी मारुति सुजूकी के गुडग़ांव स्थित प्लांट को सोनीपत जिले के खरखौदा क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से शिफ्ट किए जाने की चर्चाएं दिन-प्रतिदिन जोर पकड़ती जा रही हैं। शहरवासियों ने भी गुडग़ांव के प्लांट को अन्यत्र शिफ्ट करने पर असहमति जताते हुए कहा है कि मारुति प्लांट की बदौलत ही गुडग़ांव को विश्व में पहचान मिली थी। अब यदि यहां से प्लांट अन्यत्र शिफ्ट हो जाता है तो गुडग़ांववासियों के समक्ष रोजगार व अन्य समस्याएं भी खड़ी हो जाएंगी।

मारुति में कंपोनेंट की आपूर्ति करने वाली प्रतिष्ठानों की बड़ी संख्या है। इनमें कार्यरत कर्मचारी व श्रमिक गुडग़ांव व आस- पास में ही निवास करते हैं और किराए पर मकानों में रहते हैं। यदि कंपनी शिफ्ट हो जाती है तो मकान मालिकों को भी बड़ी समस्याओं का सामना कोरोना काल में करना पड़ेगा। हालांकि कोरोना काल में पिछले डेढ़ वर्ष से अधिकांश किराए के मकान खाली ही पड़े हैं। उधर औद्योगिक क्षेत्रों में कार्यरत
एसोसिएशनों का भी कहना है कि ग्रामीण परिवेश वाले गुडग़ांव जिले को साईबर सिटी, मिलेनियम सिटी व हाईटेक सिटी का खिताब दिलाने में देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कपंनी मारुति सुजूकी का बड़ा योगदान रहा है।

गुडग़ांव उद्योग विहार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण यादव का कहना है कि जब मारुति का पहला प्लांट गुडग़ांव में स्थापित हुआ था तो उसी के बाद यहां ऑटोमोबाईल, रियल एस्टेट, होटल, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, फूड आदि क्षेत्रों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भी गुडग़ांव में अपने प्रतिष्ठान स्थापित किए थे। हरियाणा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष किशन कपूर का कहना है कि गुडग़ांववासियों की मारुति कंपनी में एक प्रकार से आत्मा बसती है। मारुति के कारण ही आज का गुडग़ांव विश्व में अपनी पहचान बना सका है। उनका कहना है कि गुडग़ांव को प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है। प्रदेश के कुल राजस्व में अकेले गुडग़ांव की भागीदारी करीब आधी रहती है। उनका कहना है कि मारुति का नया प्लांट दूसरे जिले में लगाने से बेहतर है कि उसे गुडग़ांव में ही स्थापित रहने दिया जाए।

गुडग़ांव इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष जेएन मंगला का कहना है कि मारुति का नया प्रस्तावित प्लांट खरखौदा के स्थान पर गुडग़ांव में ही लगना चाहिए। यहां बेहतर औद्योगिक वातावरण भी है। एनसीआर चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष एचपी यादव का कहना है कि यदि मारुति का नया प्लांट लगाना ही है तो इसे गुडग़ांव और धारुहेड़ा के बीच स्थापित किया जाए। क्योंकि इसी क्षेत्र में मारुति को कलपुर्जों की आपूर्ति करने वाली सैकड़ों छोटी-बड़ी कंपनियां भी स्थित हैं। यदि खरखौदा मारुति प्लांट जाता है तो मारुति द्वारा डवलप किए गए वेंडर्स को दूसरे स्थान पर अपनी यूनिटें लगाने के लिए सोचना होगा और यह बहुत ही खर्चीला भी होगा। उनका यह भी कहना है कि यदि दूसरे जिले में यह प्लांट स्थापित किया जाता है तो इससे गुडग़ांव का काफी नुकसान भी होगा। एनसीआर क्षेत्र में मारुति ने सैकड़ों की संख्या में वेंडर्स डवलप किए हुए हैं। इनका खर्चा भी बढ़ जाएगा। औद्योगिक क्षेत्र का ताना-बाना ही छिन्न-भिन्न होकर रह जाएगा।

आईएमटी मानेसर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के महासचिव मनोज त्यागी का कहना है कि यदि मारुति के प्लांट को अन्यत्र शिफ्ट किया जाता है तो ट्रांसपोटर्स, ट्रेवलर्स, होटल, रेस्टोरेंट, किराए के मकानों के मालिक व छोटे-बड़े सभी कारोबार भी इससे प्रभावित होंगे। गुडग़ांव का औद्योगिक चैन बुरी तरह से प्रभावित होगा। उत्पादों की लागत भी बढ़ जाएगी। हालांकि मारुति प्रबंधन ने अभी इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। इतना अवश्य है कि उच्चाधिकारी गुडग़ांव प्लांट को अन्यत्र शिफ्ट करने के लिए चरणबद्ध तरीका अपनाएंगे।

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