26 अगस्त 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2021-22 सीजन के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य अर्थात एफआरपी में 5 रूपये प्रति क्विंटल की बढोतरीे को किसानों के साथ क्रूर मजाक बताया। विद्रोही ने कहा कि वर्ष 2021-22 सीजन के लिए गन्ने के भाव को 285 रूपये प्रति क्विंटल से 290 रूपये प्रति क्विंटल करके मीडिया में भाजपा ऐसा प्रदर्शित कर रही है कि उसमें किसानों को 5 रूपये प्रति क्विंटल गन्ने का भाव बढ़ाकर मानो कारू का खजाना दे दिया हो। एक ओर तो गन्ने के भाव में मात्र 5 रूपये की मामूली बढोतरी करके मोदी सरकार ने किसानों के साथ क्रूर मजाक किया है, वहीं इस क्रूर मजाक को बड़ा तोहफा प्रचारित करके किसानों के जले घावों पर नमक छिडकने का काम कर रही है।

  विद्रोही ने कहा कि गन्ने के भाव में मामूली बढोतरी करके एकबार फिर मोदी-भाजपा-संघी सरकार ने अपना किसान विरोधी चेहरा बेनकाब करके साबित कर दिया है कि उसकी कथनी-करनी में कितना बड़ा अंतर है। इस समय देशभर में पंजाब कांग्रेस सरकार किसानों को सबसे ज्यादा गन्ने का भाव 360 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से दे रही है जबकि हरियाणा में गन्ने का भाव 350 रूपये प्रति क्ंिवटल है। विद्रोही ने कहा कि एक ओर मोदी सरकार किसानों को लागत मूल्य अनुसार लाभकारी मूल्य नही दे रही है, वहीं जो न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित भी करती है, उसका बाजार में भाव नही मिलता। किसानों की फसलों को मनमाने ढंग से औनपौने दामों में लूटा जा रहा है। ऐसी स्थिति में विद्रोही ने मांग की कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सीटू फार्मूले अनुसार फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित हो और किसानों की मांग के अनुसार घोषित समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी देकर एमएसपी से कम फसल खरीदने को कानूनी अपराध बनाने का कानून बने। 

विद्रोही ने हरियाणा विधानसभा मानसून सत्र में भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में परिवर्तन करके पीपीपी परियोजनाओं के लिए किसानों की जमीन बिना किसान की सहमति के लेने के नियम की कठोर आलोचना करते हुए इसे भाजपा-संघ के किसान विरोधी कदम का एक और सबूत बताया। ऐसा करके हरियाणा भाजपा सरकार ने किसानों की जमीन अधिग्रहण करके पीपीपी विकास परियोजना के बहाने जब चाहे तब मनमाने ढंग से औनेपौने दामों में पंूजीपतियों को देने का षडयंत्र रच दिया जो किसानों पर भारी चोट है।