यह कैसी लोकतांत्रिक मोदी-भाजपा-संघी सरकार ? विद्रोही

27 अगस्त 2021स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कृषि कानूनों के खिलाफ 9 माह से आंदोलनरत किसानों के 25 सितम्बर को भारत बंद आहवान का जोरदार समर्थन करते हुए देश के सभी विपक्षी दलों, व्यापारिक संगठनों, कर्मचारी, मजदूर, युवा संगठनों से आग्रह किया कि वे 25 सितम्बर के भारत बंद को सफल बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा को खुले दिल से समर्थन दे। विद्रोही ने कहा कि वीरवार 26 अगस्त को किसानों को दिल्ली बार्डर पर धरना देते 9 माह का समय पूरा हो गया। आज तक भारत के प्रजातांत्रिक इतिहास में किसानों का इतने ज्यादा दिन धरना व बड़ा जन-आंदोलन कभी नही हुआ था। आश्चर्य है कि प्रकृति के नियमों के अनुसार 9 माह में बच्चे का मां के गर्भ से जन्म हो जाता है, लेकिन यह कैसी लोकतांत्रिक मोदी-भाजपा-संघी सरकार है जो 9 माह से दिल्ली बार्डर पर दिये जा रहे विशाल धरने-प्रदर्शन के बाद भी तीन कृषि कानूनों पर सर्वमान्य हल निकालकर अन्नदाता किसानों को संतुष्ट नही सकी है। 

विद्रोही ने कहा कि मोदी सरकार तीन कृषि कानूनों का समाधान करने की बजाय जान-बूझकर सत्ता अहंकार में अपने आचरण से किसानों को चिड़ाने व भडकाने का काम कर रही है। मोदी सरकार द्वारा गन्ना के भाव में मात्र 5 रूपये प्रति क्विंटल की बढोतरी करके उसे किसानों के लिए बहुत बड़ा तोहफा प्रचारित करना किसानों को चिडाने का ही भौंडा कदम है। इसी तरह किसान आंदोलन के केन्द्र हरियाणा में भी भाजपा-जजपा खट्टर सरकार किसानों के घावों पर नकम छिडकने का काम कर रही है। एक ओर किसानों पर अंधाधुंध संगीन धाराओं के तहत एफआईआर यहां तक देशद्रोह के मुकदमे दर्ज करके आंदोलनरत किसानों को सत्ता व पुलिस बल से दबाने का असफल कुप्रयास किया जा रहा है, वहीं किसान विरोधी फैसले लेकर किसानों से अनावश्यक टकराव पैदा करने का भी कुप्रयास हो रहा है। इसी कड़ी में मोनसून विधानसभा सत्र में आठ साल पूर्व कांग्रेस द्वारा पारित भूमि अधिग्रहण कानून में परिवर्तन करके पीपीपी परियोजनाओं के नाम पर किसानों की जमीन बिना उनकी सहमति के औनेपौने दामों में अधिग्रहित करने का कानून बनाकर ना केवल किसानों पर एक और आर्थिक चोट मारी है अपितु उनके स्वाभिमान पर भी बडी चोट की है। 

विद्रोही ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार व हरियाणा की भाजपा खट्टर सरकार का किसान विरोधी आचरण बताता है कि संघीयों के मन में अन्नदाता किसानों के प्रति कितना जहर भरा हुआ है और अब वे सत्ता बल पर अपने अंदर भरे नफरत के जहर को किसानों पर उढ़ेलने का कोई मौका नही चूकना चाहते है। ऐसी स्थिति में अन्नदाता किसान के अन्न का कर्ज उतारने देश के सभी 140 करोड़ नगारिकों का नैतिक व सामाजिक कर्तव्य है कि वे किसानों के हकों की लड़ाई में उनके साथ खड़े होकर 25 सितम्बर के भारत बंद को ऐतिहासिक बनाकर मोदी-संघी सरकार को मजबूर करके किसानों को न्याय दिलवाने में सहयोग दे। 

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