हरियाणा में छह लाख रूपये सालाना आय वाला पिछड़ी जाति क्रीमीलेयर के अंतर्गत अमीर, वहीं आठ लाख रूपये सालाना आय वाला स्वर्ण जाति इकनोमिक वीकर सैक्सन अर्थात आर्थिक रूप से गरीब होने के कारण आरक्षण का पात्र।

25 अगस्त 2021स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने पिछले वर्ग के एक वर्ग को आरक्षण से वंचित करने के लिए हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार की 17 अगस्त 2016 व 28 अगस्त 2018 की अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द करके पिछड़े वर्ग के सभी लोगों को समान रूप से आरक्षण देकर संघी सरकार की आरक्षण को खत्म करने की कुटिल चालों को नाकाम कर दिया। विद्रोही ने कहा कि क्रीमीलेयर के नाम पर हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार ने पिछड़े वर्ग का आरक्षण दो भागों में बाटकर  क्रीमीलेयर के नाम पर पिछड़े वर्ग के लोगों को जिस तरह सरकारी नौकरियों व शिक्षा कोर्सो में प्रवेश के लिए वंचित करने कीे जो कुटिल चाल चली थी, वे न्यायायिक स्क्रूटनी के सामने खरी नही उतरी। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की क्रीमीलेयर के संदर्भ मं 17 अगस्त 2016 व 28 अगस्त 2018 की अधिसूचना को इंदिरा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट की जारी गाईड लाईन के खिलाफ बताकर रद्द करना बताता है कि भाजपा-संघी सरकार किसी न किसी बहाने चोर दरवाजे से पिछडे वर्ग के आरक्षण को समाप्त करने की तिकडमी चाले चलती रहती है। 

विद्रोही ने पिछड़े वर्ग के लोगों से अपील की कि वे मोदी-भाजपा-संघ का असली चाल-चरित्र पहचानकर उनकी पिछडा, दलित आरक्षण विरोधी मानसिकता को समझकर उनको किसी भी हालत में समर्थन देकर अपने व अपनी भावी पीढी के पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का का काम न करे। पिछडा, दलित व गरीब एक बात की गंाठ बांध ले भाजपा-संघ इन वर्गो के मानसिक रूप से विरोधी है और रहेंगे। पिछड़े, दलित व गरीबों की वोट हडपने की चाले चलने वाले संघी इन वर्गो के हितैषी होने की चाहे जितनी नौटंकी करे, कटु सत्य यही है कि मनुवादी हिन्दुत्व वर्ण व्यवस्था में आस्था रखने वाले भाजपाई-संघी कभी भी इन वर्गो के हितैषी व शुभचिंतक नही हो सकते। जिस तरह सांप को चाहे जितना भी दूध पिला दे, वह डसने की अपनी प्रकृति को नही बदल सकता, उसी तरह मोदी-भाजपाई-संघी चाहे जितनी गिरगिटी रंग बदले व पिछड़ा, दलित, आदिवासी व गरीब विरोधी अपनी मूल मानसिकता व संघी मनुवादी सोच को नही बदल सकते। 

विद्रोही ने पिछड़े वर्ग के लोगों से आग्रह किया कि वे विचारे कि हरियाणा में छह लाख रूपये सालाना आय वाला पिछड़ी जाति क्रीमीलेयर के अंतर्गत अमीर, वहीं आठ लाख रूपये सालाना आय वाला स्वर्ण जाति इकनोमिक वीकर सैक्सन अर्थात आर्थिक रूप से गरीब होने के कारण आरक्षण का पात्र। क्या यह अंतर नही बताता कि भाजपाई-संघीयों की इन वर्गो के प्रति सोच क्या है? पिछड़ों की जनसंख्या देश में कितनी है, यह सामने नही आये इसलिए मोदी-भाजपा सरकार जातिगत जनगणना से भाग रही है क्योंकि काग्रेस राज में 2011 से 2013 के बीच हुई जातिगत जनगणना के मध्यनजर मोदी-भाजपा सरकार जानती है कि ओबीसी जातियों की संख्या उसको दिये जा रहे आरक्षण व सुविधाओं के अनुपात में कहीं ज्यादा है। इस कारण भाजपा-संघ जातिगत जनगणना से भाग रहे है। विद्रोही नेे ओबीसी वर्ग से आग्रह किया कि वे जातिगत जनगणना की मांग करते हुए सरकार को स्पष्ट चेतावनी दे कि यदि जातिगत जनगणना नही हुई तो वे पूरी जनगणना का ही बहिष्कार करेंगे। 

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