कहा , टीबी उन्मूलन के लिए संबंधित विभाग व अधिकारी आपसी तालमेल स्थापित करते हुए करें काम ।

गुरूग्राम, 23 अगस्त। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आज लघु सचिवालय के सभागार में उपायुक्त डा. यश गर्ग की अध्यक्षता में सभी संबंंिधत विभागों व हितधारकों की बैठक आयोजित की गई। उपायुक्त डा. यश गर्ग ने बैठक में टीबी उन्मूलन के लिए सभी संबंधित अधिकारियों तथा हितधारको को बेहतर तालमेल स्थापित करते हुए काम करने के लिए कहा। बैठक में जिन अधिकारियों की अनुपस्थिति रही, उन्हें उपायुक्त ने कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।

उपायुक्त ने कहा कि गुरूग्राम एक बड़ा जिला है, ऐसे में जरूरी है कि टीबी उन्मूलन के लिए बेहतर कार्ययोजना बनाते हुए आपसी सहयोग से काम किया जाए। उपायुक्त ने कहा कि सरकार ने सन्-2025 तक हर हाल में देश को टीबी की बीमारी से मुक्त करवाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए जरूरी है कि समय रहते टीबी के मरीजों की पहचान कर उनका ईलाज शुरू किया जाए।

बैठक के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन के कंसल्टेंट डा. प्रवीन ने टीबी उन्मूलन को लेकर पावर प्रैजेंटेशन भी दी। डा. प्रवीन ने बताया कि टीबी को लेकर हमारे समाज में गलत अवधारणाएं प्रचलित हैं जिन्हें दूर किया जाना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए टीबी की बीमारी से ठीक हो चुके 6 लोगों को टीबी चैंपियन्स बनाया गया है, जो टीबी को लेकर लोगों की भ्रांतियों को दूर करेंगे। इस दौरान वे इस बीमारी के दौरान के अपने अनुभव भी लोगों से सांझा करते हुए उन्हें इसके बचाव उपायों व ईलाज संबंधी लोगों का मार्गदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिला में विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हितधारकों का भी सहयोग लिया जा रहा है। बैठक में राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की अपेक्षाएं सभी हितधारकों के साथ विस्तार से सांझा की गई और उन्हें उनकी जिम्मेदारियों के बारे में बताया गया।

उन्होंने बताया कि किसी भी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक खांसी रहे तो वह अपने बलगम की जांच अवश्य करवाए। उन्होंने कहा कि अब सरकार टीबी से ग्रस्त पाए जाने वाले मरीज का केवल ईलाज ही नहीं करवाती बल्कि निक्षय पोषण योजना के तहत उसके खाते में 500 रूपए की राशि हर महीने जमा भी करवाती है ताकि वह मरीज दवा के साथ-साथ अपने पोषण का भी ध्यान रख सके। अगर टीबी मरीज के घर में 6 साल से छोटा कोई बच्चा है तो उसको 6 महीने तक आईएनएच दवा रोेज दी जानी होती है जिसमें समेकित एवं बाल विकास सेवाएं विभाग के सहयोग की जरूरत है।

बैठक में बताया गया कि दो सप्ताह से अधिक खांसी वाले मरीज के बलगम की जांच जरूरी है। बलगम जांच में यदि लक्षण पॉजिटिव पाए जाते हैं तो मरीज की सीबी नेट मशीन से रीफेंपिन दवा की कारगरता चैक की जाती है ताकि टीबी के ईलाज में केवल प्रभावी दवाओं का इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके। यही नहीं, हर टीबी मरीज का ब्लड शुगर व एचआईवी जांच भी की जानी जरूरी होती है जोकि सरकार मुफत में करवाती है।

इस अवसर पर सिविल सर्जन डा. विरेन्द्र यादव, डा. प्रवीन, डा. पूनम सहित विभिन्न विभागों से आए अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।

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