पूर्व उपायुक्त गरिमा मित्तल के खिलाफ स्टोन क्रेशर मामले में फर्जी दस्तावेज तैयार करने व जालसाजी करने के एवज में प्रधानमंत्री के अधिकार क्षेत्र के तहत आने वाले कार्मिक मंत्रालय को आपराधिक मुकदमा चलाने हेतु भेजी कानूनी शिकायत राज्यपाल हरियाणा, मुख्य सचिव, हरियाणा, को भी भेजी शिकायत!नारनौल के वर्तमान जिला उपायुक्त अजय कुमार व मेंबर सेक्रेट्री, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण विभाग के खिलाफ खातोली जाट के स्टोन क्रेशर K S Y BUILDCON मामले में निर्धारित समय 1 महीने के अंदर रिपोर्ट भेजने की बजाय 6 महीने तक लंबित रखने के एवज में मुख्य सचिव हरियाणा को भेजी कानूनी शिकायत भारत सारथी/कौशिक नारनौल। नांगल चौधरी क्षेत्र के बहुचर्चित अवैध स्टोन क्रेशर मामले में एक रोचक मोड़ आ गया है! पिछले 4 सालों से अवैध स्टोन क्रेशरों व पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे सामाजिक कार्यकर्ता व पर्यावरणविद् इंजीनियर तेजपाल यादव ने जिले व प्रदेश के बड़े-बड़े आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कानूनी संघर्ष का एक नया मोर्चा खोल दिया है! इंजीनियर तेजपाल यादव ने नारनौल की पूर्व जिला उपायुक्त(DC) व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी श्रीमती गरिमा मित्तल के खिलाफ मामले में फर्जी दस्तावेज तैयार करने व जालसाजी करने के एवज में प्रधानमंत्री के अधिकार क्षेत्र के तहत आने वाले विभाग कार्मिक मंत्रालय, भारत सरकार, मुख्य सचिव हरियाणा, राज्यपाल हरियाणा, को आपराधिक मुकदमा शुरू करने हेतु विभिन्न धाराओं में कानूनी शिकायत भेजी है! पूर्व जिला उपायुक्त के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-19, CrPC-1973 की धारा-197 के तहत कार्रवाई करने हेतु उपरोक्त शिकायत इंजी० तेजपाल यादव ने भेजी है! क्या है मामला नांगल चौधरी क्षेत्र में अवैध स्टोन क्रेशरों के गोरखधंधे के खिलाफ इंजीनियर तेजपाल यादव की याचिका OA No. 679/2018 पर एनजीटी में चल रहे मुकदमे में उपायुक्त गरिमा मित्तल ने गलत, गुमराह करने वाली, क्रेशरों को बचाने हेतु भ्रामक रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी! उदाहरण के तौर पर, यूनिक स्टोन क्रेशर, कारोता के मामले में उन्होंने 10 दिसंबर 2018 की अपनी रिपोर्ट में बताया कि यूनिक स्टोन क्रशर सभी कानूनी दूरी मापदंड पूरे करता है! लेकिन जब एनजीटी द्वारा 12 दिसंबर 2018 को पूरे महेंद्रगढ़ जिले के स्टोन क्रेशरों की जांच के आदेश देने के उपरांत, एनजीटी को सौंपी गई 23 जुलाई 2019 की अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन जिला उपायुक्त जगदीश शर्मा जी ने तथ्यपरक, सटीक और सही रिपोर्ट सौंपते हुए उसी यूनिक स्टोन क्रशर, कारोता को उस समय की नगर परिषद नारनौल की सीमा की मौजूदा स्थिति अनुसार कहा कि संबंधित क्रशर कि नगर परिषद सीमा से दूरी सिर्फ 183 मीटर है जो कि पर्यावरण मंत्रालय के नोटिफिकेशन 11 मई 2016 के अनुसार 1500 मीटर होनी चाहिए! चूँकि यह पूरा मामला फर्जी दस्तावेज तैयार करना, एनजीटी कोर्ट को गुमराह करना, बड़े स्तर पर जन स्वास्थ्य का नुकसान करना, क्रेशर संचालकों के साथ मिलीभगत करके लाभ पहुंचाने का मामला बनता है, जिसके तहत एक आईएएस अधिकारी के द्वारा अपने पद के दुरुपयोग करने के चलते IPC-1860, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-1988 के तहत गैर जमानती, संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है! वहीं इंजीनियर तेजपाल यादव ने खातोली जाट के स्टोन क्रेशर K S Y BUILDCON जो कि एनजीटी के आदेश पर दिसंबर 2018 में जिसकी NOC रद्द हो चुकी थी! उसके बाद कुछ अधिकारियों द्वारा क्रेशर संचालक के साथ मिलीभगत करके दोबारा NOC देने उपरांत, 17 फरवरी 2021 को दोबारा एनजीटी में मुकदमा किया, जिसमें सुनवाई की तारीख 17 फरवरी 2021 को माननीय NGT ने जिला उपायुक्त नारनौल, मेंबर सेक्रेट्री, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण विभाग को उपरोक्त स्टोन क्रेशर की जांच करके एक माह के अंदर कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था! लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि आदेश के 6 महीने बीत जाने पर भी नारनौल जिला उपायुक्त अजय कुमार, मेंबर सेक्रेट्री, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने एनजीटी को के K S Y BUILDCON स्टोन क्रेशर की रिपोर्ट अभी तक नहीं सौंपी है! इसलिए उपरोक्त इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ इंजीनियर तेजपाल यादव ने मुख्य सचिव हरियाणा को उचित कानूनी कार्रवाई करने हेतु शिकायत भेजी है! गौरतलब है कि पिछले 4 साल से महेंद्रगढ़ जिले के अवैध स्टोन क्रेशरों का मामला एनजीटी, हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट सभी दरवाजों पर दस्तक देने के बावजूद, सड़क पर पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ अनेकों जन संघर्षों के बावजूद व एनजीटी के 3 दिसंबर 2020 के महेंद्रगढ़ जिले के 72 स्टोन क्रेशरों को तत्काल बंद करने के आदेश के बावजूद जिले व प्रदेश के संबंधित अधिकारी टालमटोल का रवैया अपनाए हुए हैं! पता नहीं क्यों और अपने किन राजनीतिक आकाओं के दबाव में संबंधित अधिकारी इन क्रेशरों को उखाड़ने की पूर्ण विराम कार्रवाई करने में हिचक रहे हैं! इंजीनियर तेजपाल यादव ने कहा कि पूर्व जिला उपायुक्त नारनोल श्रीमती गरिमा मित्तल, वर्तमान जिला उपायुक्त अजय कुमार व हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण विभाग के मेंबर सेक्रेटरी के खिलाफ उपरोक्त दोनों मामलों में जो भी संबंधित कार्रवाई हेतु लिखा गया है अगर उसको सरकार द्वारा कानूनी रूप से निर्धारित समय सीमा के अंदर अमल में नहीं लाया गया तो विशेष रूप से आईएएस अधिकारी गरिमा मित्तल द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार करने के मामले में जिला सत्र न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक जाने से भी वे गुरेज नहीं करेंगे! ताकि कोई भी आईएएस अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग, पूंजीपति वर्ग को फायदा पहुंचाने के लिए ना करें! क्योंकि उनका ऐसा करने से बेकसूर, बेबस व बेहाल जनता को प्रदूषण से टीबी, दमा, सिलिकोसिस जैसी गंभीर व जानलेवा बीमारियों से तिल तिल कर मजबूर होकर मरना पड़ता है! Post navigation मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए 30 लाख हेक्टेयर जमीन को सुधारने का लक्ष्य : भूपेंद्र यादव जिले के विभिन्न ज्वलंत मुद्दों को लेकर गुमला के अध्यक्षता में एक बैठक संपन्न