चंडीगढ़, 19 अगस्त- हरियाणा के राज्यपाल एवं कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के चेयरमैन श्री बंडारु दत्तात्रेय ने कहा कि कुरुक्षेत्र गीता की जन्मस्थली होने के साथ अध्यात्म का प्रमुख केंद्र हैं। महाभारतकालीन कुरुक्षेत्र के 48 कोस परिधि में स्थित कई तीर्थों के जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है, जबकि अन्य तीर्थों का विकास और जीर्णोद्धार प्राथमिकता के आधार पर होगा। यह बात आज श्री दत्तात्रेय ने कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा एवं बोर्ड के सदस्य उपेंद्र सिंघल और राजेश शांडिल्य ने बृहस्पतिवार को हरियाणा के राज्यपाल से शिष्टाचार मुलाकात के दौरान कही। इस मुलाकात के दौरान बोर्ड के शिष्टमंडल का मार्गदर्शन करते हुए राज्यपाल ने कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा चलाई जा रही गतिविधियों की पूरी जानकारी ली और भविष्य में बोर्ड द्वारा किए जाने वाले कार्यों पर चर्चा की। शिष्टमंडल ने धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में सदियों से चले आ रहे उन मेलों और प्रमुख धार्मिक आयोजनों की जानकारी भी दी,जोकि अब विराट उत्सव का रूप धारण कर चुके हैं, जबकि इनमें कई मेले आयोजन पिछले दशकों में को बंद हुए हैं।

राज्यपाल श्री दत्तात्रेय ने कहा कि इन आयोजनों को स्थानीय धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से पुनः जागृत करने की आवश्यकता है,क्योंकि यह मेले और धार्मिक उत्सव हमारी प्राचीन परंपराओं और संस्कृति का प्रतीक हैं।

राज्यपाल ने कहा कि कुरुक्षेत्र में अन्नक्षेत्र और बाल संस्कार केंद्र चलाने के लिए एक व्यापक योजना तैयार करके बोर्ड को अग्रणी भूमिका निभाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि युग युगांतर से कुरुक्षेत्र धर्म संस्कृति का प्रमुख केंद्र रहा है,जहां अनेक तीर्थ विद्यमान हैं और धर्मक्षेत्र को महाभारत के रण और दुनिया में कर्म का संदेश देने वाली गीताजी की जन्मस्थली कुरुक्षेत्र के रुप में एक खास पहचान मिली है।

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