-कमलेश भारतीय

टोक्यो में सबसे बड़ा स्पोर्ट्स इवेंट ओलपिंक चल रहा है और अब तक इसके कुछ संदेश मिले हैं । पहला संदेश मीरा चानू ने दिया कि कैसे एक छोटे से गांव और घर की बेटी बड़ा सपना देख ही नहीं सकती बल्कि पूरा भी कर सकती है । मीरा चानू ने जब यह कर दिखाया और कर्णम् मल्लेश्वरी के बाद वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल जीता तब सारा देश झूम उठा । तिरंगा खुशी से फहराया । मीरा चानू अब अपने घर पहुंच चुकी है । बचपन में उसका सपना था कि अपनी मां को एक बैलगाड़ी खरीद कर दे पाये । अब उसने जो किया वह उसके सपनों से कहीं बड़ा है । सलाम चानू ।

दूसरा बड़ा संदेश हाॅकी टीम ने दिया पूर्व चैंपियन अर्जेंटीना को हरा कर । वो भी आखिरी तीन मिनट में । असल में असली हाॅकी यही है । इसीलिए तो कहते हैं हाॅकी वाई डांस तो ऐसा नाच नचाया पर कि फटाफट दो गोल दाग दिये । गोलकीपर श्रीजेश ने बहुत शानदार बचाव किया । सन् 1980 में मास्को में आखिरी बार गोल्ड मेडल जीता था भारतीय हाॅकी टीम ने और एक मैच पहले ही आस्ट्रेलिया से एक के मुकाबले सात गोल से बुरी तरह हारी थी । इस तरीके से वापसी करना कोई आसान काम नहीं था और यह करिश्मा कर दिखाया । आप सब जानते हैं कि हाॅकी में ही कभी हम गोल्ड मेडल पक्का मान कर चलते थे और क्रिकेट की तरह उन दिनों गली मुहल्लों में हाॅकी खेलते बच्चे दिखते थे । वैसे मैं भी अपने स्कूल टाइम में हाॅकी टीम का गोलकीपर रहा और हमारे प्रिंसिपल हर ओलंपिक हाॅकी फाइनल रेडियो पर सारे स्कूल को इकट्ठा कर सुनवाते थे । वे हाॅकी के स्वर्णिम दिन थे । सिर्फ जिला जालंधर के संसारपुर से ही कितने हाॅकी खिलाड़ी ओलंपिक टीम में खेले । जैसे हरियाणा में शाहाबाद व सिरसा के निकट गांव में हाॅकी खिलाड़ी निकल रहे हैं ।

आज हरियाणा का खेल मंत्री संदीप सिंह पूर्व हाॅकी खिलाड़ी ही तो रहा है । इसी प्रकार मलेशिया का वह मैच कौन भूल सकता है जब असलम शेर खान ने आखिरी मिनट में पैनल्टी काॅर्नर को सफलता पूर्वक गोल में बदल कर भारत को जीत दिलाई थी और बाद में कांग्रेस ने असलम को टिकट देकर चुनाव लड़वाया और वे सांसद बने । जैसे आज क्रिकेट खिलाड़ियों पर दांव लगाती हैं राजनीतिक पार्टियां पहले हाॅकी खिलाडियों पर दांव लगाती थीं । वैसे पंजाब में भारतीय हाॅकी टीम के पूर्व कप्तान परगट सिंह आज की डेट में विधायक हैं पर उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया । क्रिकेट से अजहरुद्दीन, गौतम गंभीर , चेतन चौहान , कीर्ति आजाद और न जाने कितने नेता बना दिये गये । सौरभ गांगुली , कपिल देव और वीरेद्र सहवाग ने ऐसे ऑफर ठुकरा दिये । वे राजनीति में नहीं आए । खैर । चेतन शर्मा सफल नहीं हुए ।

अब बात आती है मेरीकाॅम की जो कल हार गयी लेकिन बेशक उसकी आंखों में आंसू थे लेकिन चेहरे पर मुस्कान थी । उसके कोच का मानना है कि मेरीकाॅम हारी नहीं बल्कि गलत फैसले से हराया गया है। फिर भी 38 साल की उम्र में तीन बच्चों की मां के जज्बे की सलाम । हर बार की तरह याद दिलाता हूं कि मेरीकाॅम ने अपना प्रैक्टिस कैप हिसार के गिरि सेंटर में लगाया था और कोच अनूप अहलावत हमें यानी मीडिया कर्मियों को आमंत्रित करते रहते थे कि आकर प्रैक्टिस कैंप को कवर कीजिए और हम जाते भी थे । मेरीकाॅम को बहुत करीब से प्रैक्टिस करते देखा और वह आने वाले दिनों में महिला मुक्केबाजी की आईकाॅन बन गयी तो बहुत गर्व हुआ कि हमने उसे स्टार बनते देखा है । फिर उसने अपने जुड़वां बेटों के नाम एक कमाल का खत लिखा था कि लड़कियों का सम्मान करना सीखना उनको टीज करना नहीं सीखना । यह बहुत लम्बे खत का सार है जो कमाल की सोच दिखाता है । ऐसी मुक्केबाज चाहे हार गयी या हारी हुई घोषित कर दी गयी उसे भी सलाम और संदेश कि अभी वह संन्यास नहीं लेगी । वाह मेरीकाॅम। शाबाश। इस जज्बे को सलाम । अभी ओलंपिक चल रहा है और हमें पी वी सिंधू , दीपिका और हाॅकी से बड़ी उम्मीदें हैं । शुभकामनाएं।

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