रेवाड़ी, 17 जुलाई 2021 – सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए राहुल गांधी के इस कथन का स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने जोरदार स्वागत किया कि जो नेता आरएसएस से डरते है, उन्हे कांग्रेस में रहने की कोई जरूरत नही है। वे सत्ता आनंद लेने भाजपा में जाने को स्वतंत्र है। विद्रोही ने कहा कि कटु सत्य यही है कि कुछ नेताओं का शरीर बेशक कांग्रेस में है, पर सत्ता में रहते हुए किये गऐ अपने कुकृत्यों से डरेे ऐसे नेता मोदी-भाजपा-आरएसएस के खिलाफ ना केवल बोलने से डरते है अपितु उनकी जनविरोधी नीतियों के खिलाफ चलने वाले संघर्षो को भी नजरअंदाज करते है। ऐसे डरपोक नेता कांग्रेस के अंदरूनी सांगठनिक मामलों में तो लम्बे-चौड़े बयान दागते है, पर मोदी-भाजपा-संघ के खिलाफ बोलते उनकी नानी कर जाती हैै। जब तक कांग्रेस भाजपा-संघ की साम्प्रदायिक, फासिस्ट, पूंजीपतियों के हितों की सोच के खिलाफ वैचारिक रूप से सड़कों पर नही लड़ेगी, तब तक कांग्रेस अपना पुराना गौरव प्राप्त नही कर सकेगी। 

विद्रोही ने कहा कि वे कांग्रेसी जो अपने निजी हितों, स्वार्थ, धन, दौलत की रक्षा करने में जुटे हुए है, वे मोदी-भाजपा-संघ के खिलाफ लड़ ही नही सकते। ऐसे नेताओं को पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने का अर्थ है कि कांग्रेस को कमजोर करना। कांग्रेस को ढुलमुल रवैया छोडकर ऐसे मुद्दे पर सीधी व साफ लाईन लेकर कंाग्रेस के ऐसे तत्वों को अलग-थलग करके मजबूती से भाजपा-संघ की विचारधारा से लडने वाले लोगों को आगे लाना होगा। डरे हुए कांग्रेसियों को अलग-थगल करने से प्रारंभ में बेशक कांग्रेस को नुकसान हो, पर दीर्घकालिक फायदे के लिए ऐसा नुकसान न के बराबर होगा। वहीं विद्रोही ने राहुल गांधी को सलाह दी कि केवल बाते करने से काम नही चलेगा, जो उन्होंने कहा व सोचते है, उस पर तत्काल अमल भी करे। वहीं कांग्रेस विभिन्न मुद्दों पर तत्काल फैसले लेने की बजाय आतंरिक लोकतंत्र के नाम पर उन्हेे अनावश्यक लम्बा खिंचती है, उससे कांग्रेस को काफी नुकसान होता है और जब तक कांग्रेस कोई निर्णय लेती है तो उसे लेने में इतनी देर हो चुकी होती है कि उस निर्णय का लेना या न लेना कोई मायने नही रखता है। जल्दी निर्णय लेने में कुछ गलतियां रह सकती है, पर देर से लिए गए निर्णय से ऐसा निर्णय अच्छा, असरदार व लाभदायक रहता है।

विद्रोही ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व को दरबारी घोडों को महत्व देने की बजाय मैदानी घोड़ों को महत्व देना होगा। दिल्ली दरबार के चक्कर लगाने वाले व अच्छी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले जमीनी धरातल की वास्तविकता से कटे हुए होते है और ये केवल अपने निजी हित साधने के लिए राजनीति करते है और अच्छा मौका मिलते हुए कांग्रेस को दगा देने में एक क्षण भी नही लगाते है। कांग्रेस को मजबूत करने के लिए तत्काल फैसले लेने होंगे और मैदानी घोड़ों को आगे करने की रणनीति पर काम करना होगा। 

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