क्या निगमायुक्त संबंधित अधिकारियों के खिलाफ करेंगे कोई कार्यवाही गुडग़ांव, 14 जुलाई (अशोक): जीएमडीए और नगर निगम ने मानसून में जलनिकासी के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर डाले हैं, लेकिन गत वर्षों की भांति ही इस वर्ष भी मानसून की पहली बारिश ने उनके बचाव कार्यों की पोल खोल कर रख दी है। गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष भी कोई विशेष फर्क महसूस नहीं किया गया है। कई स्थानों पर पानी की निकासी के लिए ड्रेन का निर्माण तो कर दिया गया, लेकिन ड्रेन का पानी कहां जाना है, उसकी व्यवस्था नहीं की गई। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में सीवरों की सफाई का कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है। तभी तो गत दिवस हुई मानसून की पहली बारिश में ही सीवर उफनते दिखाई दिए और शहरवासियों को विभिन्न क्षेत्रों में गत वर्षों की भांति जलभराव की समस्याओं का सामना करना पड़ा। मास्टर सीवर लाईन और ड्रेन की सफाई के लिए भी टैंडर किए गए थे, लेकिन इसका लाभ भी फिलहाल शहरवसियों को नहीं मिल पाया है। नगर निगम आयुक्त अधिकारियों की बैठकों पर बैठक लेते रहे और उन्हें आगाह भी कर दिया गया था कि यदि किसी अधिकारी के क्षेत्र में जलभराव की समस्या आती है तो उसके लिए वही जिम्मेदार होगा। अब देखना यह है कि निगमायुक्त अपने अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही करते हैं, क्योंकि शहर के अधिकांश क्षेत्र जलभराव से ग्रसित रहे हैं। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की हालत भी विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी ही दयनीय है। अधिकांश का सफाई ही नहीं की गई है। सैक्टर 10 स्थित राजकीय अस्पताल के मुख्य द्वार पर जलभराव रहता है। यह समस्या कई वर्षों से है। इस तक का समाधान भी नगर निगम व जीएमडीए नहीं करा सका है। कोरोना महामारी के दौरान इस जलभराव से ही निकलकर लोगों को उपचार के लिए अस्पताल आना-जाना पड़ता है, लेकिन प्रशासन को शायद इससे कोई लेना-देना नहीं है। जलभराव को लेकर शहरवासियों में जिला प्रशासन के प्रति रोष दिखाई देने लगा है। Post navigation जनता की नहीं चिंता, जनाधार बढ़ाने में लगी हैं सभी राजनैतिक पार्टियां संक्रमण की रोकथाम के लिए आमजन सजगता, सतर्कता व जागरूकता बनाएं रखें -उपायुक्त