भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। वर्तमान में हरियाणा की जनता कोरोना, किसान आंदोलन, महंगाई, बेरोजगारी से बुरी तरह त्रस्त है और इन स्थितियों में हरियाणा की लगभग सभी राजनैतिक पार्टियों का रूझान जनता की समस्याओं को सुलझाने की तरफ कम और अपना जनाधार बढ़ाने की ओर अधिक दिखाई दे रहा है। जैसा कि चुनाव से पूर्व अमूमन देखा जाता है। सर्वप्रथम बात करें सत्तारूढ़ भाजपा की तो भाजपा की ओर से जनता के लिए रोज लोक-लुभावन योजनाएं घोषित की जा रही हैं। स्वाभाविक बात है कि जिस त्वरित गति से ये योजनाएं घोषित की जा रही हैं, वे पूरी होने वाली नहीं इसलिए कहा कि माहौल चुनाव पूर्व जैसा दिखाई देता है। भाजपा की सरकार और संगठन मिले-जुले ही नजर आते हैं। लगता है कि सरकार के आदेश पर ही संगठन चलता है और भाजपाई आजकल लगातार इवेंट-इवेंट का खेल खेल रहे हैं। जब कोई इवेंट नहीं बनता तो कोई प्रदेश का अधिकारी उनके पास आ जाता है तो उसे इवेंट बना देते हैं। किसी का जन्मदिन आ जाता है तो उसे इवेंट बना लेते हैं। अर्थात कहीं न कहीं प्रसन्न होने का मौका ढूंढ ही लेते हैं। प्रदेश की जनता क्या इनकी नहीं है। वह परेशानियों से त्रस्त है और ये जश्न मनाते हैं तो जनता पर इसकी क्या प्रतिक्रिया होगी, यह इनको समझना चाहिए। अब बात करें सत्ता के दूसरे पार्टनर अर्थात जजपा की तो उनकी ओर से भी ऐसी ही घोषणाएं की जाती हैं। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला हर मौके पर यह बताने के प्रयास में लगे रहते हैं कि वह कितने विभागों के मंत्री हैं। सरकार की घोषणाएं अपने द्वारा करते ही हैं और साथ ही आजकल बड़ी तेजी से संगठन का विस्तार करते जा रहे हैं। नए-नए पद सृजित करते हैं और उनके पदाधिकारी बनाते हैं तथा मीडिया में छाये रहने का प्रयास करते रहते हैं। प्रश्न उठता है कि जब पुराना संगठन है, संगठन भंग भी नहीं हुआ फिर रोज नए पदाधिकारियों की नियुक्ति किस लक्ष्य से? अब मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की बात करें तो उसके नेता हरियाणा में अपनी चौधर की लड़ाई में संघर्ष कर रहे हैं। परंतु इसके बीच शायद दिल्ली के आदेशों से अब जनता से भी मुखातिब होने लगे हैं, जो पहले नहीं होते थे। अभी 16 तारीख से हस्ताक्षर अभियान भी आरंभ किया है और इससे पहले महंगाई के लिए धरने भी दिए गए। ओमप्रकाश चौटाला के आने के बाद इनेलो में भी जोश आ गया है और वह भी पार्टी पदाधिकारियों की नियुक्ति बराबर कर रहे हैं जजपा की तरह। हालांकि अभी विधानसभा में उनकी कोई सीट नहीं है लेकिन फिर भी चर्चाएं चलती हैं कि मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला होंगे या अभय चौटाला। इसी प्रकार हरियाणा में पांव पसारने के लिए आप पार्टी भी बड़ी तेजी से सक्रिय है और इसकी कमांड पार्टी ने सांसद सुशील गुप्ता को दे रखी हैं, जो अपने काम बखूबी अंजाम दे रहे हैं। लगातार पार्टी पदाधिकारियों की संख्या बढ़ा रहे हैं और रोज सभी को सक्रिय करते रहते हैं तथा विज्ञप्तियों के माध्यम से अखबारों में भी छाये रहते हैं। मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे भी रहस्य बने हुए हैं कि आखिर ऐसे कौन-से कारण आ गए हैं, जो उन्हें मिलना पड़ रहा है और आज तो उनका कार्यक्रम था राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा जी से मिलने का लेकिन मिल नहीं पाए राष्ट्रीय अध्यक्ष की व्यस्तता के कारण। इस प्रकार सवाल-सवाल हैं। Post navigation श्रमिक यूनियन ने कंपनी प्रबंधन पर उत्पीडऩ के लगाए आरोप सहायक श्रमायुक्त को दी शिकायत करोड़ों खर्च करने के बाद भी शहरवासी झेल रहे हैं जलभराव का दंश