-कमलेश भारतीय

किशोरावस्था के समय मानसिक स्वास्थ्य पर मेरा खास ध्यान और काम है । फिर कोरोना काल ने तो इन पर बहुत असर डाला है । यह कहना है गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की एसिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ तरूणा गेरा का । उन्हें हाल ही में गुजवि के मनोवैज्ञानिक मार्गदर्शन व परामर्श की सहायक निदेशक बनाया गया है । मूलरूप से हिसार के सेक्टर सोलह की निवासी तरूणा गेरा की शिक्षा हिसार व सिरसा में हुई । हिसार के गवर्नमेंट काॅलेज से ग्रेजुएशन तो सिरसा के नेशनल काॅलेज से मनोविज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन की । प्रो संदीप राणा के निर्देशन में पीएचडी की ।

-पहली जाॅब कहां ?
-एफ सी काॅलेज में । विभाग ही स्थापित करने का अवसर मिला ।छह साल रही इस काॅलेज में और उन्हीं दिनों में आपसे भी परिचय हुआ ।

-इसके बाद कहां ?
-राजस्थान के लक्ष्मणगढ़ की मोदी यूनिवर्सिटी में अढ़ाई साल ।

-फिर ?
-एएमटी मानेसर में ।

-गुजवि में कब से ?
-सन् 2016 से एसिस्टेंट प्रोफेसर।

-क्या शौक हैं आपके ?
-संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना। ।रवींद्रनाथ टैगोर की गीतांजलि प्रिय पुस्तक । संगीत आत्मा का भोजन है । लता मंगेशकर के गाने और ओ पी नैयर का संगीत पसंद हैं । भोजन बनाना खूब पसंद ।

कोई उपलब्धि ?
-मनोविज्ञान की एम ए में गोल्ड मेडलिस्ट । ग्रेजुएशन में भी प्रथम ।

-क्या लक्ष्य ?
-मेरा शोध का विषय था आत्महत्या के कारण और निदान । किशोरावस्था में किशोरों को समझना और सही मार्गदर्शन प्रदान करना आज के परिवेश में अतिआवश्यक है। कोरोना काल में काउंसिलिंग की सेवाए निरंतर प्रदान कर रही हैं और साइकलाजिकल गाइडेन्स एंड काउन्सलिंग सेल के माध्यम से विशेष वेबिनार के द्वारा उनका मार्गदर्शन तथा लाइफ़ स्क़िल्ल्स ट्रेनिंग का आयोजन कर छात्रों को जीवन में सफल बनाना ही एकमात्र उद्देश्य।

हमारी शुभकामनाएं डाॅ तरूणा गेरा को । आप इस नम्बर पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं : 860742233

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