-कमलेश भारतीय बड़ी अजीब टिप्पणी सोशल मीडिया पर लेकिन एकदम सटीक । मध्यप्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार संभाला तो यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर आई-आओ महाराज , हम दोनों बिकाऊ हैं । असल में आप सब जानते हैं कि महाराजा एयरलाइंस का एक पुराना प्रतीक है जो हवाई जहाज में बैठने को दोनों हाथ पसारे कर आमंत्रित करता दिखाई देता है । हालांकि एयरलाइंस भी बिकने से बाल बाल बच गया है । पर हम तो बात कर रहे थे बिकाऊ होने की । लगभग एक साल पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार का तख्ता पलटने के लिए भाजपा का दामन थाम लिया जिसके चलते व्यंग्य में कहा गया कि आओ महाराज , हम दोनों बिकाऊ हैं । उन्हें तब मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से उपेक्षा मिली और यह भी संदेह हो गया कि उनका राज्यसभा जाना मुश्किल है क्योंकि प्रियंका गांधी बाड्रा को राज्यसभा में मध्य प्रदेश से भेजने की बात दिग्विजय ने चला दी थी । इसलिए महाराजा पहले ही भाग खड़े हुए । और भाजपा का कमल थाम कर ही दम लिया । इस तरह वे राज्यसभा में पहुंचे और अब मंत्री भी बन गये । वैसे भी महाराजा और बिना मंत्री पद के शोभा कहां देते हैं ? अब कौन पूछता है कि बिकाऊ थे या नहीं ? जब से भाजपा सत्ता में आई है तब से यह बिकाऊ राजनीति या कहिए विधायकों की खरीद फरोख्त बढ़ती ही गयी है । कितने उदाहरण हैं और कितने राज्य हैं जहां विधायक सरेआम बिके और सरकारें पलट गयीं । चाहे गोवा की बात करें या मणिपुर की या फिर मध्य प्रदेश की । चाहे उत्तराखंड की बात हो जो हाईकोर्ट में जाकर पलट गयी । बिकाऊ तो पश्चिमी बंगाल के विधायक भी हुए और महाराष्ट्र के भी लेकिन बात बनी नहीं । अब वही नेता तृणमूल कांग्रेस में वापसी के लिए ममता बनर्जी को खत लिख रहे हैं । बिकने से पद नहीं मिला , टिकट नहीं मिली और फिर ममता बनर्जी का डर अलग । बिकाऊ तो राजस्थान में भी हुए लेकिन बात नहीं बनी । अभी नयी मंडियां खुल रही हैं । यूपी और पंजाब के विधानसभा चुनाव आने वाले हैं । दल बदल की झांकियों से सारा मौसम सराबोर हो जायेगा, खुशगवार हो जायेगा। अभी जितिन प्रसाद गये हैं । कुछ और जायेंगे । कुछ जाने को तैयार होंगे । पर तोल रहे होंगे और कीमत बढ़ने की इंतजार कर रहे होंगे। बिकने बी है तो अच्छी कीमत पर बिको । चलो चली की बेला । कौन कौन कितने पानी में सबकी है पहचान मुझेकितना बड़ा नादान है जो समझे नादान मुझे ,, ,,, Post navigation किशोरावस्था के समय मानसिक स्वास्थ्य पर खास ध्यान : डाॅ तरूणा गेरा सफाई कर्मचारियों में स्वाभिमान पैदा करने की कोशिश : अशोक गर्ग