टीम के सभी सदस्यों को क्लीयर होने चाहिए अपने ‘डूज एंड डोन्टस‘, लापरवाही की नही रहनी चाहिए गुंजाइश।

गुरूग्राम, 9 जुलाई। गुरूग्राम के उपायुक्त डा. यश गर्ग ने कहा कि जिला में पहले के इतिहास के आधार पर जलभराव आशंका वाले क्रिटीकल स्थानों पर लगाए गए सभी नोडल अधिकारी शीघ्रातिशीघ्र अपने अधिकार क्षेत्र में पड़ने वाली साइटों का निरीक्षण करें। इस दौरान यदि उन्हें किसी भी स्थान पर जल निकासी संबंधी कोई कमी दिखाई दें तो उसे तत्काल दूर कर लें ताकि बरसात होने पर वहां जलभराव ना हो।

डॉक्टर गर्ग आज वर्चुअल माध्यम से मानसून के दौरान जल निकासी संबंधी इंतजामों को लेकर आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा सहित सभी क्रिटीकल स्थानों पर लगाए गए नोडल अधिकारियों ने भाग लिया। उपायुक्त ने कहा कि आगामी एक-दो दिनों में मानसून की पहली बारिश होने की संभावना है, ऐसे में जरूरी है कि अधिकारी समय रहते जल निकासी संबंधी इंतजाम सुनिश्चित कर लें। उन्होंने अधिकारियों को साइट विजिट करने के निर्देश दिए और कहा कि अपनी टीम के साथ साइट का मौका मुआयना करें। यदि उन्हें साइट विजिट के दौरान जलभराव संबंधी कोई आशंका हो तो तत्काल आवश्यकता अनुरूप बदलाव करवा लें। बारिश होने पर टीम के प्रत्येक व्यक्ति को अलर्ट होते हुए अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करना है, इसलिए टीम के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को अपनी ड्यूटी के बारे में पता होना चाहिए कि उन्हें कब, कैसे और क्या करना है।

उपायुक्त ने कहा कि प्रत्येक नोडल अधिकारी को 6-7 स्थान दिए गए हैं, जहां पर जल निकासी संबंधी प्रबंध जैसे- पंप सैट, डीजल, पानी , आप्रेटर आदि सहित अन्य इंतजाम सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी उनकी होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि नोडल अधिकारी अपनी टीम के सदस्यों के साथ बैठक करें ताकि समय आने पर बेहतर तालमेल के साथ काम किया जा सके। उन्होंने कहा कि टीम में उच्च अधिकारी से लेकर नीचे तक के सभी अधिकारियों कर्मचारियों को डूज एंड डोन्ट्स के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

बैठक में नगर निगम के एसई रमेश शर्मा ने बताया कि जलभराव आशंका वाले क्रिटीकल स्थानों की माॅनीटरिंग सहित अन्य इंतजाम सुनिश्चित करने को लेकर जीएमडीए व नगर निगम द्वारा 8 क्विक रिस्पांस टीमें (क्यू आर टी) भी गठित की गई है। इसके अलावा, नगर निगम क्षेत्र में जल निकासी संबंधी आवश्यक इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं।

उन्होंने बताया कि जिला में जलभराव आशंका वाले 113 स्थानों को सूचीबद्ध करते हुए वहां प्रबंध सुनिश्चित किए गए हैं। इन सभी स्थानों की पहचान के लिए आरडब्ल्यूए संस्थाओं का सहयोग लिया गया है। इसके लिए आरडब्ल्यूए संस्थाओं को गूगल शीट दी गई ताकि जिला प्रशासन को जलभराव वाले स्थानों की सटीक जानकारी प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा जलभराव संबंधी समस्या के स्थाई समाधान के लिए कंट्रोल रूम-0124-2322877 तथा हैल्पलाइन नंबर-1950 तथा 1800-180-1817 व 0124-4753555 भी स्थापित किया गया है। हमारा प्रयास रहेगा कि कंट्रोल रूम पर प्राप्त होने वाली जलभराव संबंधी शिकायतों का तत्परता से समाधान किया जाए।

उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान हर बार जिलावासियों को जलभराव की समस्या के जूझना पड़ता है। हमारा प्रयास है कि इस बार लोगों को मानसून के दौरान जलभराव संबंधी परेशानी ना हो। उन्होंने कहा कि यदि टीम के सभी सदस्यों को अपने उत्तरदायित्वों की जानकारी होगी तो निश्चित तौर पर ही हम आपसी तालमेल से जलभराव की समस्या से निपट सकेंगे।

इस बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा, नगराधीश सिद्धार्थ दहिया, बादशाहपुर के एसडीएम सतीश यादव, हिपा की संयुक्त निदेशक ऐकता चोपड़ा, संयुक्त आयुक्त प्रदीप अहलावत , जितेन्द्र कुमार, सुमित, नगर निगम गुरूग्राम के एसई रमेश शर्मा , जिला राजस्व अधिकारी मनबीर सिंह, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों व मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी नियोनिका सहित कई अधिकारीगण उपस्थित थे।

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