केन्द्र सरकार की गलत नीतियों के कारण रसोई गैस, पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी: चंद्रमोहन

पंचकूला,  01 जुलाई । हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने आरोप लगाया है कि केन्द्र सरकार की गलत नीतियों के कारण ही रसोई गैस, पेट्रोल और डीजल के दामों में निरन्तर अप्रत्याशित बढ़ोतरी हो रही है। आज भी रसोई गैस सिलेंडर के दामों में 25 रुपए 50 पैसे प्रति रसोई गैस सिलेंडर की बढ़ोतरी की गई है। जिसके परिणामस्वरूप गरीब और गरीब तथा अमीर और अमीर होता जा रहा है।

उन्होंने कहा कि आज  भी रसोई गैस सिलेंडर के दामों में 25 रुपए 50  पैसे प्रति रसोई गैस सिलेंडर की बढ़ोतरी करके गृहणियों के ‌सपनों को धराशाही कर दिया है।  मंहगाई का भूत आम आदमी का पीछा नहीं छोड़ रहा है। जो रसोई गैस सिलेंडर कांग्रेस के शासनकाल में सन् 2014 में  430 रुपए में मिलता था आज उसकी कीमत बढ़कर 834 रुपए 50 पैसे प्रति रसोई गैस सिलेंडर तक पहुंच गई है। जबकि जनवरी 2021 में एक रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 694 रुपए थी।

पिछले 7 वर्षों के दौरान भाजपा के शासनकाल के दौरान पेट्रोलियम पदार्थों  में 700 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है। कांग्रेस के शासनकाल में डीजल पर एक्साइज ड्यूटी केवल मात्र  2 रुपए 60 पैसे प्रति लीटर लगती थी वह आज बढ़कर 28 रुपए 60 पैसे प्रति लीटर तक पहुंच गई है। एक लीटर पेट्रोल पर उपभोक्ता को 60 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से टैक्स अदा करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से आज ही के दिन देश के लोगों पर बिना सोचे समझे  जीएसटी थोप कर उन्हें बर्बाद करने का संकल्प लिया था वह अब पूरा होता नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि 1 जुलाई 2017 को देश में जी एस टी लागू करते समय देश के लोगों को बड़े सब्ज बाज दिखलाने का काम किया गया था। आज 4 साल बीतने के बाद भी लोगों को मंहगाई में एक पैसे की रियासत नहीं मिली, अपितु मंहगाई से चारों तरफ हा-हा कार मची हुई है।

आज से दूध के दाम भी 2 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बढ़ गए हैं। सरसों का तेल पहले ही दोहरा शतक लगा चुका है। देश के लोग कोरोना महामारी और मंहगाई का दोहरा दंश झेल रहे हैं। देश में कोरोना महामारी कै बावजूद  अमीरों की संख्या में 5.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि इसी दौरान 3 लाख 20 हजार ‌लोगों ने अपना मध्यम दर्जे का तगमा खो दिया है यानी वह उससे नीचे चले गए हैं। आज से महंगाई का की  डोज बैंकिंग क्षेत्र और वाहनों की खरीद पर भी  मिलने वाला  है। अब देश का गरीब लोग पीड़ा महसूस कर रहा है और उनकी इस पीड़ा को सरकार ने नहीं अपितु सर्वोच्च न्यायालय ने समय- समय पर अनेक जन हितैषी आदेश पारित करके  कम करने का स्तुत्य प्रयास किया है।      

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