चार लाख से ज्यादा विद्यार्थियों ने छोड़ा सरकारी स्कूल,खटटर सरकार दे जवाब;- डा सुशील गुप्ता सांसद

दिल्ली माॅडल से सीखे खटटर सरकार;- डा सारिका वर्मा, प्रवक्ता दक्षिण हरियाणा

गुरुग्राम 1 जुलाई । हरियाणा सरकार अपने सरकारी स्कूलों की दशा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा लागू माॅडल की तरह से सुधारनी चाहिए, ताकि अधिक के अधिक बच्चे प्राइवेट स्कूलों की बजाए, सरकारी स्कूल में पढने के लिए आए। यह कहना है डा सुशील गुप्ता सांसद व हरियाणा सहप्रभारी आम आदमी पार्टी।

डा गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने शिक्षा,स्वास्थ के लिए सबसे अधिक बजट रखा हुआ है। दिल्ली की शिक्षा माॅडल को देखने के लिए विदेशों तक के प्रतिनिधि आकर उसको अपने यहां लागू करने की बात करते है। वहीं दिल्ली से सटा हरियाणा इससे कोई सीख लेने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि हरियाणा में अभी तक 4 लाख से अधिक बच्चों ने सरकारी स्कूलों को छोड दिया है। कोविड लॉकडाउन के दौरान हजारों सरकारी स्कूल हरियाणा सरकार बंद कर चुकी हैl क्या हरियाणा सरकार जानबूझकर सरकारी स्कूलों में कोई सुधार नहीं करना चाहती ताकि गरीब से गरीब आदमी को भी प्राइवेट स्कूलों के सामने घुटने टेकना पड़े? क्या वजह है कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूल पिछले 5 साल में फीस बढ़ा नहीं पाए लेकिन हरियाणा के स्कूलों में कोविड-19 बावजूद फीस बढ़ाई जा रही है?

डॉ सारिका वर्मा आम आदमी पार्टी दक्षिण हरियाणा प्रवक्ता ने कहा अगर प्रदेश सरकार की नीयत साफ हो तो बच्चे सरकारी स्कूलों से जोडे जा सकते है। दिल्ली के सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले बेहतर हो गए हैंl वहां बच्चों को कोचिंग दी जा रही है ताकि वे मेडिकल और इंजीनियरिंग के एंट्रेंस एग्जाम क्लियर कर लेl हरियाणा में आज तक ऐसा क्यों नहीं हुआl हरियाणा में महामारी के तहत मध्यमवर्ग को नौकरी जाने की वजह से या बिजनेस बंद होने की वजह से फीस भरने में बहुत मुश्किल आ रही है l आज तक खट्टर सरकार ने हरियाणा के अभिभावकों को प्राइवेट स्कूल फीस के बोझ से कोई राहत नहीं दिलाई हैl हरियाणा सरकार को हर साल शिक्षा बजट में बढ़ोतरी करनी होगा। दूसरा सरकारी स्कूलों की दशा में गुणात्मक सुधार लाना होगा। प्राथमिक व प्राइमरी स्कूलों को पहले से अधिक बेहतर सुविधाओं देकर छात्रों को स्कूलों तक लाना होगा। जबकि प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों को सरकार ने लगभग बंद ही कर दिया है।

सुशील गुप्ता ने बताया कि गत वर्ष शिक्षा मंत्री ने सार्वजनिक तौर पर कई बार इस बात पर खुशी जाहिर की थी कि 2020 में दो लाख बच्चों ने सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया। अब उन्हीं का शिक्षा विभाग कह रहा है कि 2021 में पिछले शिक्षा सत्र के मुकाबले चार लाख से ज्यादा बच्चे सरकारी स्कूलों में कम हो गए हैं। इनमें पलवल जिले के ही 20957 बच्चे शामिल हैं। इसी प्रकार मुख्यमंत्री के गृह जिले करनाल से 22740 व शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर के गृह जिले यमुनानगर से 20191 छात्र भी शामिल बताये गए हैं। इस स्थिति से घबराए पंचकूला में बैठे उच्च अधिकारियों ने आनन-फानन में वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से जिला शिक्षा अधिकारियों को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार मानते हुए, इन बच्चों को ढूंढने और उनको पुनः सरकारी स्कूलों में वापिस लाकर छात्रों की संख्या बढ़ाने के हर संभव प्रयास करने के आदेश दिए हैं।
इससे साफ हो जाता है कि हरियाणा में शिक्षा का स्तर कितना गिर गया है। उन्होंने कहा कि इस शर्मनाक स्थिति के लिए सरकार अपने को कसूरवार नहीं मान रही है। दरअसल सरकार ने सरकारी स्कूलों को एक प्रयोगशाला बना दिया है। सरकारी स्कूलों की दशा में सुधार कराने के लिए कई निरंतर प्रयोग किए जाने चाहिए ।

डा सुशील गुप्ता ने आगे कहा कि ऐसी बात भी नहीं है कि सरकारी स्कूलों की दशा में सुधार नहीं हो सकता। इसके लिए सरकार को अपनी नीयत साफ रखनी होगी। दूसरा बेहतर सुविधाओं के साथ बच्चों और उनके अभिभावकों के बीच एक भरोसा कायम करना होगा, तभी हम प्रदेश से अशिक्षा को दूर भाग सकेंगे।

You May Have Missed

error: Content is protected !!