गुड़गांव : दिनांक: 29.06.2021 – आज ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन ने किसान विरोधी तीन काले कानूनों, बिजली बिल संशोधन 2020 के खिलाफ तथा एम.एस.पी. को कानूनी दर्जा देकर खरीद की गारंटी की मांग पर सेक्टर 9 के मोड़ से टिकरी बॉर्डर सभास्थल तक जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। ले कानून रद्द करो, बिजली बिल संशोधन 2020 वापस लो, कॉरपोरेट की दलाली करना बंद करो, किसान मजदूर एकता जिंदाबाद, डीजल पेट्रोल के रेट आधे करो, किसान मजदूर विरोधी सरकार मुर्दाबाद, कॉरपोरेट हितेषी बीजेपी सरकार मुर्दाबाद, इंकलाब ज़िंदाबाद नारे लगाए तथा 7 महीने से बॉर्डर पर बैठे किसानों की हौसला अफ्जाई की।

सभा को संबोधित करते हुए संगठन के प्रदेश सचिव जयकरण मांडौठी ने कहा कि यह जो आंदोलन चल रहा है, इसे आगे बढ़ाना है। इस आंदोलन ने मोदी की कुर्सी के नीचे भूचाल मचा दिया है। वह डगमगा रही है। 26 जून को राष्ट्रपति के दरवाजे पर भी हलचल मचा दी। जैसा पंजाब, हरियाणा तथा दिल्ली बोर्डरों पर आंदोलन है, वैसा ही देश के प्रांत- प्रांत में इस आंदोलन की लहर को जोरदार बनाना है तथा बॉर्डर पर जो पहले से चल रहा है, इसे स्ट्रांग करना है। यह हमारे आंदोलन की दिशा है। हमारे संगठन ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन जैसे ही कोरोना से राहत मिली है, ने जोर शोर से आंदोलन को मजबूत करने में लगा हुआ है।

हाल ही के दिनों में चौधरी बीरेंद्र सिंह डूमरखां ने कहा है कि एमएसपी है और जारी रहेगी। हम पूछते हैं कहां है? हमें दिखाओ एमएसपी कहां है? आपको पता नहीं कि मक्का की फसल का हरियाणा सरकार क्या दे रही है। हरियाणा सरकार, आपकी सरकार ने पिछले साल क्या दिया, इस साल भी घोषित एमएसपी का आधा भी नहीं दे रही। मोदी के अलार्म की तरह आप टन टन बजना बंद करें। एमएसपी पर कानून बनाओ और खरीद की गारंटी दो।

उन्होंने कहा कि बिजली बिल का असर आना शुरू हो गया है। मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही के दिनों में ट्यूबवैलों के खर्चे डबल कर दिए हैं। 1991 से यही परंपरा है कि कानून बाद में आते हैं ,पहले उन्हें लागू कर देते हैं। आंदोलन ही इसका जवाब है। आंदोलन को छोड़कर कुछ नहीं है। मोदी सरकार ने जबरन तीन काले कृषि कानूनों को किसानों पर थौंप दिया, जिनके खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले हम सब मिलकर लड़ रहे हैं। अनेक झूठे आरोप लगाकर आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की गई। विनाशकारी, देशद्रोही तक कहा, लेकिन मुंह की खानी पड़ी। कृषि मंत्री अब तक झूठ बोल रहे हैं कि किसान यह नहीं बता पाए कि इन कानूनों में काला क्या है। मोदी जी तथा मंत्री बोलते हैं कि हम ये कानून किसानों की भलाई के लिए लाए हैं परंतु ये ना केवल किसानों के खिलाफ हैं बल्कि देश की तमाम मेहनतकश जनता के खिलाफ हैं। अडानी -अंबानी जैसे कॉरपोरेट घरानों के हित में हैं। बीजेपी सरकार को देश की गरीब जनता दिखाई नहीं देती। बढ़ती बेरोजगारी, डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस, सरसों के तेल तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं के रेट, किसान मजदूरों का शोषण, ₹2 किलो आलू- प्याज- टमाटर लेकर 40-50 -100 रुपए प्रति किलो तक बेचना, कुछ भी दिखाई नहीं देता।

संगठन के उपाध्यक्ष विजय कुमार रेवाड़ी ने बताया कि यही नहीं,मजदूरों के अधिकारों को समाप्त कर 4 लेबर कोड बना दिए। सार्वजनिक उद्योगों-संस्थानों को कौड़ियों के भाव पूंजीपतियों के हाथ में बेच दिया।

जिला अध्यक्ष करतार सिंह ने कहा कि किसानों समेत हर उसको देशद्रोही बताया जा रहा है जो मोदी सरकार के जुल्म सितम के खिलाफ आवाज उठाता है। ऐसी फासीवादी, जनतंत्र-विरोधी सोच का विरोध होना चाहिये। तीन काले कृषि कानूनों व बिजली बिल 2020 को रद्द करने और जनतांत्रिक अधिकारों व परम्पराओं को बहाल करने की मांगों पर आंदोलन को और मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर आने वाले दिनो में खेती बचाओ -कॉरपोरेट भगाओ- जनतंत्र बचाओ आन्दोलन अब एक साथ चलेगा। सबने किसान, मजदूर, आम लोगों से अपील की, कि आंदोलन में ज्यादा ज्यादा शामिल हों। इसे हर तरह मजबूत करें। पूरे देश में इसे फैला दें।

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