29 जून 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने एक बयान में कहा कि चौटाला परिवार की पारिवारिक पार्टी इनेलो टूटकर औमप्रकाश चौटाला के दो बेटों के बीच बटकर हरियाणा में एक प्रमुख विपक्षी दल के रूप में अपनी प्रसांगिकता खो चुकी है। विद्रोही ने कहा कि हरियाणा विधानसभा अक्टूबर 2019 चुनाव से पहले इनेलो में दो फाड होकर दो गुट बन गए थे। इनेलो के नाम से बचे गुट पर अभय चौटाला व उसके बेेटे का कब्जा है, वहीं इनेलो से टूटकर बने दूसरे गुट जजपा पर अजय सिंह चौटाला व उसके दो बेटो दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय चौटाला का कब्जा है। वहीं जब इनेलो का बटवारा हुआ और अलगांव की नींव पड़ी तब औमप्रकाश चौटाला व अजय चौटाला दोनो पिता-पुत्र पैरोल से बाहर थे। इनेलो में बटवारा औमप्रकाश चौटाला के जेल से बाहर रहते हुआ और वे इस बटवारे को रोक नही पाये। 

विद्रोही ने कहा कि इनेलो के बटवारे के लगभग ढाई-तीन साल बाद बेशक औमप्रकाश चौटाला अपनी दस साल की सजा काटकर रिहा हो चुके है, पर यह भी कटु सत्य है कि 91 वर्षीय श्री औमप्रकाश चौटाला अब हरियाणा की राजनीति में बीता हुआ इतिहास हो चुके है। कभी औमप्रकाश चौटाला की प्रदेश की राजनीति में बेशक धाक रही है, पर आज वे प्रदेश की राजनीति में अप्रसांगिक है। मुठ्ठीभर इनेलो कार्यकर्ताओं को छोडकर आमजन पर चौटाला अपनी राजनीतिक पकड़ खो चुके है। चौटाला के जेल जाने व रिहा होने के बीच हरियाणा की राजनीति रूपी यमुना-गंगा नदी में काफी पानी बह चुका है। विद्रोही ने कहा कि अब प्रदेश में कांग्रेस व भाजपा के रूप में दो राष्ट्रीय दल राजनीति में अपना दबदबा इस कदर बढ़ा चुके है कि हरियाणा में किसी तीसरे-चौथे प्रमुख दल बनने की कोई संभावना नही। आज की राजनीति का कटु सत्य व यर्थाथ यही है कि इनेलो हो या जजपा, चौटाला परिवार के इन दोनो गुटो को कंाग्रेस या भाजपा का सहयोगी दल बनकर ही अपनी भविष्य की राजनीति करनी होगी। औमप्रकाश चौटाला के जेल से रिहा होने के बाद इनेलो नेता-कार्यकर्ता प्रदेश में प्रमुख दल बनने का मुंगेरीलाल का हसीन सपना तो ले सकते है, पर प्रमुख राजनीतिक दल नही बन सकते। 

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