– मुकेश शर्मा…..आर्थिक विश्लेषक जिस प्रकार से कुछ राज्यों में पैट्रोल के दाम सौ रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम नब्बे रुपये प्रति लीटर को पार कर गए हैं, इन दरों ने आम आदमी को सोचने के लिए मज़बूर कर दिया है।भला कौन है इन निरंतर बढ़ती दरों के पीछे?गत चार मई से अब तक लगभग तीस बार पैट्रोल, डीजल की कीमतों में बदलाव हो चुका है। इसके लिए सबसे पहले पैट्रोलियम मंत्रालय द्वारा ज़ारी पिछले तीन वर्षों के क्रूड ऑयल प्रति बैरल के औसत रेट (यूएस डॉलर) का जायज़ा ले लेते हैं।वित्तवर्ष 2018-19 में क्रूड ऑयल प्रति बैरल रेट यूएस डॉलर में 69.88 था,जो घटते हुए वित्तवर्ष 19-20 में 60.47,जबकि 20-21 में और घटकर 44.82 हो गया। इसके अध्ययन से स्पष्ट हो गया कि क्रूड ऑयल के रेट तो घट रहे हैं, लेकिन फिर भी पैट्रोल, डीजल की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं?अब एक निगाह डालते हैं पैट्रोल, डीजल पर लागू सैंट्रल एक्साइज, सैस,वैट आदि की दरों पर।टैक्स पर आधारित छप रहे जर्नल, पत्रिकाओं सरल टैक्स आदि के मुताबिक जून,2021 में पैट्रोल प्रति लीटर पर सैंट्रल एक्साइज,सैस रु34.50, वैट (औसत दर) रु21.10, डीलर का कमीशन प्रति लीटर रु03.80 है,जबकि पैट्रोल की मूल कीमत मात्र रु34.60 रही।इन सबको जोड़ दें तो पैट्रोल की कीमत हो गई रु94 प्रति लीटर। अब आइए डीजल की कीमत (प्रति लीटर) पर।सैंट्रल एक्साइज, सैस रु33.30, वैट (औसत) रु 14.88,डीलर का कमीशन रु02.60 ,जबकि डीजल की मूल कीमत मात्र रु36.22।इन सबका जोड़ कर दें तो डीजल की कीमत बन गई रु87 प्रति लीटर। चूंकि किसी राज्य में वैट का रेट बीस फीसदी है,तो कहीं बढ़कर चौबीस फीसदी तो कहीं और बढ़कर अठाइस फीसदी है,इसलिए यहाँ वैट की रकम औसत रूप से ली गई है।इसीलिए यह फिगर बाज़ार के मौजूदा रेट से सौ फीसदी मैच नहीं करेगी, लेकिन इस गणित का स्पष्ट अनुमान अवश्य दे रही हैं। अप्रैल,2014 में पैट्रोल पर जो सैंट्रल एक्साइज ड्यूटी रु9.50 प्रति लीटर थी,वह मई,2021 में बढ़कर 33रु हो चुकी है।इसी प्रकार डीजल की ड्यूटी में भी इस दौरान लगभग नौ गुणा इजाफा हो गया।अब चाकू को कैसे भी सैट कर लो,कट रहा है खरबूजा ही। ऊपर दी गई दरों से स्थिति एकदम स्पष्ट हो जाती है कि एक ओर क्रूड ऑयल के रेट घट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकारी टैक्स की दरें बढ़ती जा रही हैं।पैट्रोल, डीजल की बढ़ती कीमतों के मूल में ये सरकारी टैक्स की क्रूर दरें ही हैं। आम आदमी मज़बूर है,उसे आवागमन के लिए पैट्रोल, डीजल खरीदना ही पड़ेगा।इन बढ़ती दरों के कारण महंगाई दर बढ़ रही है, वाहनों के भाड़े,बसों की टिकट, टैक्सी के रेट,राशन, सब्जी,फल की कीमतें आदि सभी सम्बन्धित पक्षों से सीधे सेंक साधारण व्यक्ति को ही लग रही है।शायद ग़ज़लकार दुष्यन्त कुमार ने इसीलिए यह शे’र कहा हो-‘जो चाहे,बजा ले हमें इस सभा में, हम नहीं हैं आदमी, हम झुनझुने हैं।’ Post navigation जिला अध्यक्ष गार्गी कक्कड़ के नेतृत्व में आपातकाल पर एक संगोष्ठी का आयोजन कोरोना के सभी वैरिएंट में होम्योपैथी कारगर : डॉ. नितिका शर्मा