26 जून 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से आग्रह किया कि वे सत्ता अहंकार छोडकर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों से वार्ता करके सात माह से ज्यादा चल रहेे किसान आंदोलन का सम्मानजनक समाधान करे। विद्रोही ने प्रधानमंत्री मोदीजी से पूछा कि जब लगभग तीन माह पूर्व किसान संगठन लिखित रूप से सरकार से दोबारा वार्ता शुरू करने की पेशकश कर चुके है तो सरकार भी खुले मन से बिना शर्त वार्ता शुरू क्यों नही करती? यदि सरकार का यह दावा सही भी मान लिया जाये कि कृषि कानून किसान हित में है तो भी यह सरकार की संवैद्यानिक व लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है कि आंदोलनरत किसानों को संतुष्ट करे। भाजपाई-संघीयों को नही भूलना चाहिए कि देश में किसी राजा-महाराजा या सैनिक तानाशाह की सरकार होने की बजाय एक चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार मोदीजी के नेतृत्व में काम कर रही है। विद्रोही ने कहा कि लोकतंत्र में किसी नेता विशेष का सत्ता अहंकार, जिद कोई मायने नही रखती। लोकतंत्र अहंकार, जिद व दमन से चलने की बजाय आपसी सहमति व सहअस्तित्व की भावना से चलता है। यदि लोकतंत्र में लोकलाज नही रहती तो लोकलाज होना या न होना बेमानी हो जाता है। दिल्ली बार्डर पर किसान सर्दी, गर्मी, आंधी, बरसात में दिन-रात चौबीसों घंटे खुले आसमान के नीचे सात माह से ज्यादा समय से बैठे है जो बताता है कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों में कितना भारी रोष है। विद्रोही ने कहा कि जमीनी धरातल पर धरती का सीना चीरकर अन्न किसान पैदा करता है न कि प्रधानमंत्री मोदीजी, कृषि मंत्री तोमर व सरकार के सलाहकार, अधिकारी अन्न पैदा करते है। सरकार व उसके कथित कृषि सलाहकारों का यह मानना कि धरातल पर मिट्टी से मिट्टी मिलाकर अन्न पैदा करने वाले अन्नदाता किसानों से खेती के बारे में वे ज्यादा जानते है, सत्ता अहंकार के सिवाय कुछ नही। सरकार तो वातानुकूलित भवनों में बैठकर कृषि योजनाएं बना देती है, पर जमीन पर उन कानूनों व योजनाओं का क्या असर पड़ेगा, यह किसानों से ज्यादा कौन जान सकता है। ऐसी स्थिति में विद्रोही ने प्रधानमंत्री मोदीजी से आग्रह किया कि वार्ता व आपसी विश्वास कायम करने और जिद छोडऩे से ही कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन का हल निकलेगा। यदि सरकार यह मानती है कि आंदोलन लम्बा ख्ंिाचने से किसानों में हताशा-निराशा पैदा होगी और मैदान छोडकर भाग जाएंगे तो यह सोच देश में ऐसा किसान विद्रोह पैदा करेगी जिससे पूरा देश ऐसे भंवर में फसेंगा जिसमें से निकलने में सालों लग जाएंगे। सरकार का सत्ता अहंकार व जिद कहीं देश में ऐसा किसान विद्रोह न खडा न कर दे जो देश में ही ऐसा माहौल बना दे जिससे कहीं सर्वनाश न हो जाये। विद्रोही ने हरियाणा भाजपा-जजपा सरकार व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को भी नसीहत दी कि वे सत्ता बल पर उछल-उछल कर किसान विरोधी बयानबाजी करना छोड़े वरना हरियाणा में ऐसी सामाजिक खाई पैदा होगी जिसमें गिरकर भाजपाई-संघी तो जमीन में दबकर खत्म होंगे ही, साथ में खुशहाल हरियाणा को भी बदहाल हरियाणा में बदल देंगे। Post navigation 25 जून, आपातकाल व क्रिकेट वर्ल्ड कप की वर्षगाँठ ! नथुने के छेद में घुसी चिड़िया…..रविशंकर का ट्विटर अकाउंट एक घंटे के लिए बंद