कमलेश भारतीय

हर बार लोकसभा चुनावों से पहले कोई न कोई नया मोर्चा बनने लगता है । अब भी महाराष्ट्र में शरद पवार नया मोर्चा बनाने की कवायद में जुटे हैं । बेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर गठबंधन का मज़ाक उड़ाते हों लेकिन वे भी छोटे छोटे दलों को गठबंधन में लाते हैं । अनुप्रिया का अपना दल कोई खास महत्त्व नहीं रखता तो भी उन्हें मंत्री पद देकर संतुष्ट करने का प्रयास है । ऐसे ही लोक जनशक्ति पार्टी के रामबिलास पासवान को संतुष्ट किया हुआ था । अब उनके निधन के बाद बेटे व राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को चाचा पारस ने पार्टी का अध्यक्ष मात्र रहने दिया और बाकी पांच सांसद अपने साथ कर लिये और मंत्रिपद की इच्छा रखने लगे हैं । चिराग न्याय मांगने बिहार की जनता के बीच जाने को तैयार है ।

शरद पवार की भी इच्छा सदैव प्रधानमंत्री बनने की रही लेकिन बात नहीं बनी और आखिर सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर कांग्रेस से बाहर आ गये लेकिन बात तब भी नहीं बनी । जिनकी प्रधानमंत्री बनने की दूर दूर तक कोई संभावना नहीं थी , वे मनमोहन सिंह दो दो बार प्रधानमंत्री बन गये । शरद पवार हर बार हाथ मलते रह गये । अब फिर प्रधानमंत्री पद का लड्डू मन में फूटा लगता है और उसके लिए यशवंत सिन्हा के राष्ट्र मंच को चुना है । प्रशांत किशोर कुछ दलों को एकजुट करने में जुटे हैं । हालांकि यशवंत सिन्हा तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये थे और नरेंद्र मोदी के कट्टर आलोचक हैं । इसके बावजूद कांग्रेस को इस नये मोर्चे से बाहर रखने की कोशिश की जा रही है। हालांकि इसे तीसरे मोर्चे का नाम भी नहीं दिया गया है । शिवसेना के संजय राऊत का कहना है कि रह विपक्ष की बैठक नहीं । पवन वर्मा का कहना है कि मंच की बैठकें होती रहती हैं । बस भाजपा के अलावा अन्य दलों को बातचीत के लिए आमंत्रित करते हैं ।

खैर । शरद पवार की प्रधानमंत्री बनने की इच्छा पूरी होगी कि नहीं? बोल जनता, बोल शरद बनेंगे कि नहीं ?

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